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अयांश को बचाना है: दुर्लभ बीमारी का दर्द झेल रहा मासूम, 16 करोड़ के एक इंजेक्शन से बचेगी जान

10 महीने के अयांश को एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज बिहार में है ही नहीं. बिहार ही क्या उसका इलाज भारत में भी नहीं है. अमेरिका से एक इंजेक्शन मंगाया जाएगा. उसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. पढ़ें रिपोर्ट.

पटना का अयांश
पटना का अयांश
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Published : Jul 26, 2021, 3:08 PM IST

Updated : Jul 26, 2021, 6:31 PM IST

पटना: राजधानी के रूपसपुर (Rupaspur) इलाके में रहने वाले आलोक सिंह और नेहा सिंह के 10 महीने के बेटे को एक दुर्लभ बीमारी है. जिसका नाम है स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy). एसएमए (SMA) एक दुर्लभ बीमारी (Rare Disease) है. इसके इलाज के लिए जो इंजेक्शन (Injection worth rupees 16 crores) चाहिए होती है. उसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. इस बीमारी में बच्चे के शरीर का अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है.

मेडिकल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी के लक्षण के साथ जन्म लेने वाले बच्चे अधिक से अधिक 2 साल तक जिंदा रह पाते हैं. फिर भी इसका अगर ठीक ढंग से ट्रीटमेंट हो जाए, तो बच्चे को नया जीवन मिल सकता है.

यह भी पढ़ें- बीच सफर में मां ने तोड़ा दम, तीन साल की मासूम को नहीं है घर का पता

अयांश की मां नेहा सिंह ने बताया कि जब बच्चा 2 महीने का था, तब इस बीमारी के बारे में पता चला. उस समय उनके पांव तले जमीन खिसक गयी. उन्होंने बताया कि अभी बच्चे के गर्दन का एक हिस्सा काम करना बंद कर चुका है. बच्चे का इलाज बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज में चल रहा है. बच्चे के इलाज में उपयोग होने वाले इंजेक्शन, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. डॉक्टरों के मुताबिक यह बीमारी लाख बच्चों में से किसी एक को होती है.

माता-पिता इलाज के लिए रुपए इकट्ठा करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. नेहा सिंह ने बताया कि वह, उनके पति और परिवार के सभी सदस्य पैसे इकट्ठा करने के लिए क्राउडफंडिंग का सहारा ले रहे हैं और लोगों से बच्चे के इलाज के लिए यथाशक्ति से जो कुछ भी बन पाता है, सहायता राशि देने की अपील कर रही हैं.

नेहा सिंह ने बताया कि वह लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के पास भी अपने बच्चे को बचाने की गुहार लगा चुके हैं. उन्होंने बताया कि वह साधारण परिवार से आती हैं और ऐसे में वह लोगों से अपील करती हैं कि बच्चे के इलाज के लिए अधिक से अधिक लोग आकर मदद करें. उन्होंने बताया कि मुंबई में बीते दिनों एक ऐसा ही मामला आया था, लोगों ने क्राउडफंडिंग में खूब भागीदारी निभाई और बच्चे को समय पर इंजेक्शन मिल पाया और अब बच्चा काफी स्वस्थ है.

दुर्लभ बीमारियां यानी ऐसी स्वास्थ्य स्थिति या रोग जो बहुत कम ही लोगों में पाया जाता है. अलग-अलग देश में दुर्लभ बीमारियों के मतलब अलग-अलग होते हैं. 80 फीसदी तक दुर्लभ बीमारियां आनुवांशिक होती हैं. दुर्लभ बीमारियों पर राष्ट्रीय नीति-2021 के अनुसार आनुवंशिक रोग ( Genetic Diseases), दुर्लभ कैंसर (Rare Cancer), उष्णकटिबंधीय संक्रामक रोग (Infectious Tropical Diseases) और अपक्षयी रोग (Degenerative Diseases) शामिल हैं.

देश में 450 दुर्लभ बीमारियों की लिस्टिंग की गई है, जिनमें से सिकल-सेल एनीमिया, ऑटो-इम्यून रोग, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, गौचर रोग (Gaucher’s Disease) और सिस्टेम फाइब्रोसिस सबसे आम बीमारियां हैं. वैश्विक स्तर पर दुनिया में 7000 से ज्यादा ऐसी बीमारियां हैं, जिन्हें दुर्लभ श्रेणी में रखा गया है. इनमें हटिन्गटन्स डिजीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस और मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Atrophy) वगैरह कुछ प्रमुख नाम हैं.

यह भी पढ़ें- मजबूर दादी का शौचालय बना ठिकाना, टॉयलेट में जलता है चूल्हा, भीख मांगकर पोती को खिलातीं हैं खाना

पटना: राजधानी के रूपसपुर (Rupaspur) इलाके में रहने वाले आलोक सिंह और नेहा सिंह के 10 महीने के बेटे को एक दुर्लभ बीमारी है. जिसका नाम है स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy). एसएमए (SMA) एक दुर्लभ बीमारी (Rare Disease) है. इसके इलाज के लिए जो इंजेक्शन (Injection worth rupees 16 crores) चाहिए होती है. उसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. इस बीमारी में बच्चे के शरीर का अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है.

मेडिकल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी के लक्षण के साथ जन्म लेने वाले बच्चे अधिक से अधिक 2 साल तक जिंदा रह पाते हैं. फिर भी इसका अगर ठीक ढंग से ट्रीटमेंट हो जाए, तो बच्चे को नया जीवन मिल सकता है.

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अयांश की मां नेहा सिंह ने बताया कि जब बच्चा 2 महीने का था, तब इस बीमारी के बारे में पता चला. उस समय उनके पांव तले जमीन खिसक गयी. उन्होंने बताया कि अभी बच्चे के गर्दन का एक हिस्सा काम करना बंद कर चुका है. बच्चे का इलाज बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज में चल रहा है. बच्चे के इलाज में उपयोग होने वाले इंजेक्शन, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है. डॉक्टरों के मुताबिक यह बीमारी लाख बच्चों में से किसी एक को होती है.

माता-पिता इलाज के लिए रुपए इकट्ठा करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. नेहा सिंह ने बताया कि वह, उनके पति और परिवार के सभी सदस्य पैसे इकट्ठा करने के लिए क्राउडफंडिंग का सहारा ले रहे हैं और लोगों से बच्चे के इलाज के लिए यथाशक्ति से जो कुछ भी बन पाता है, सहायता राशि देने की अपील कर रही हैं.

नेहा सिंह ने बताया कि वह लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के पास भी अपने बच्चे को बचाने की गुहार लगा चुके हैं. उन्होंने बताया कि वह साधारण परिवार से आती हैं और ऐसे में वह लोगों से अपील करती हैं कि बच्चे के इलाज के लिए अधिक से अधिक लोग आकर मदद करें. उन्होंने बताया कि मुंबई में बीते दिनों एक ऐसा ही मामला आया था, लोगों ने क्राउडफंडिंग में खूब भागीदारी निभाई और बच्चे को समय पर इंजेक्शन मिल पाया और अब बच्चा काफी स्वस्थ है.

दुर्लभ बीमारियां यानी ऐसी स्वास्थ्य स्थिति या रोग जो बहुत कम ही लोगों में पाया जाता है. अलग-अलग देश में दुर्लभ बीमारियों के मतलब अलग-अलग होते हैं. 80 फीसदी तक दुर्लभ बीमारियां आनुवांशिक होती हैं. दुर्लभ बीमारियों पर राष्ट्रीय नीति-2021 के अनुसार आनुवंशिक रोग ( Genetic Diseases), दुर्लभ कैंसर (Rare Cancer), उष्णकटिबंधीय संक्रामक रोग (Infectious Tropical Diseases) और अपक्षयी रोग (Degenerative Diseases) शामिल हैं.

देश में 450 दुर्लभ बीमारियों की लिस्टिंग की गई है, जिनमें से सिकल-सेल एनीमिया, ऑटो-इम्यून रोग, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, गौचर रोग (Gaucher’s Disease) और सिस्टेम फाइब्रोसिस सबसे आम बीमारियां हैं. वैश्विक स्तर पर दुनिया में 7000 से ज्यादा ऐसी बीमारियां हैं, जिन्हें दुर्लभ श्रेणी में रखा गया है. इनमें हटिन्गटन्स डिजीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस और मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Atrophy) वगैरह कुछ प्रमुख नाम हैं.

यह भी पढ़ें- मजबूर दादी का शौचालय बना ठिकाना, टॉयलेट में जलता है चूल्हा, भीख मांगकर पोती को खिलातीं हैं खाना

Last Updated : Jul 26, 2021, 6:31 PM IST
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