ETV Bharat / state

पटना की सड़कों पर चाय बेच रहे बिहार को मेडल दिलाने वाले खिलाड़ी

अंतरराष्ट्रीय तैराक बनने का सपना देखने वाले गोपाल परिवारिक जिम्मेदारियों और आर्थिक बदहाली के कारण पटना के गाजीपुर में चाय बेचने को विवश हैं.

गोपाल प्रसाद
author img

By

Published : May 28, 2019, 10:43 PM IST

Updated : May 29, 2019, 10:42 AM IST

पटना: गोपाल प्रसाद बिहार में खेल और खिलाड़ियों की बदहाली का एक ज्वलंत उदाहरण हैं. गंगा की लहरों में तैरने वाले और तैराकी को अपना कैरियर बनाकर बिहार का नाम रोशन करने वाले गोपाल आज तंग गलियों में चाय बेचने को मजबूर हैं. राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले गोपाल प्रसाद सिस्टम से पीड़ित हैं.

national swimmer selling tea in patna
अरमानों की खौलती चाय

अंतरराष्ट्रीय तैराक बनने का सपना देखने वाले गोपाल परिवारिक जिम्मेदारियों और आर्थिक बदहाली के कारण पटना के गाजीपुर में चाय बेचते हैं. गोपाल ने अपनी दुकान का नाम नेशनल तैराक टी स्टॉल रखा है.गोपाल कहते हैं कि गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने का उनका सपना अधूरा रह गया है. इसके लिए वह सरकारी अनदेखी को जिम्मेदार ठहराते हैं.

गोपाल प्रसाद की उपलब्धियां

  • साल 1987 में कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में पहली बार गोपाल को बिहार का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला था.
  • गोपाल ने 1988 और 1989 में केरल में आयोजित राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन किया.
    अपने सपनों की दास्तां बताते गोपाल
  • वहीं,साल 1988 में बीसीए दानापुर में आयोजित स्टेट चैंपियनशिप के 100 मीटर बैक स्ट्रोक प्रतियोगिता में वह पहले स्थान पर आए.
  • साथ ही 200 मीटर और 100 मीटर की सामान्य तैराकी में तीसरा मुकाम हासिल किया.
  • 1989 के स्टेट चैंपियनशिप के 200 मीटर बैकस्ट्रोक को फिर से उन्हें प्रथम स्थान मिला था.
    national-swimmer-selling-tea-in-patna-1-1
    नेशनल तैराक टी स्टॉल

गंगा किनारे तैराकी सीखा रहें हैं गोपाल
राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का मान बढ़ाने के बावजूद भी गोपाल गंगा की लहरों में युवाओं को तैराकी सिखाते हैं. बतौर तैराकी शिक्षक उन्होंने अपने अंदर के तैराक को जीवित रखा है. गोपाल प्रसाद कहते हैं कि जब भी कभी गंगा में नाव डूबने की घटना होती है तो सबसे पहले उन्हें ही खोजा जाता है.

पटना: गोपाल प्रसाद बिहार में खेल और खिलाड़ियों की बदहाली का एक ज्वलंत उदाहरण हैं. गंगा की लहरों में तैरने वाले और तैराकी को अपना कैरियर बनाकर बिहार का नाम रोशन करने वाले गोपाल आज तंग गलियों में चाय बेचने को मजबूर हैं. राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले गोपाल प्रसाद सिस्टम से पीड़ित हैं.

national swimmer selling tea in patna
अरमानों की खौलती चाय

अंतरराष्ट्रीय तैराक बनने का सपना देखने वाले गोपाल परिवारिक जिम्मेदारियों और आर्थिक बदहाली के कारण पटना के गाजीपुर में चाय बेचते हैं. गोपाल ने अपनी दुकान का नाम नेशनल तैराक टी स्टॉल रखा है.गोपाल कहते हैं कि गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने का उनका सपना अधूरा रह गया है. इसके लिए वह सरकारी अनदेखी को जिम्मेदार ठहराते हैं.

गोपाल प्रसाद की उपलब्धियां

  • साल 1987 में कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में पहली बार गोपाल को बिहार का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला था.
  • गोपाल ने 1988 और 1989 में केरल में आयोजित राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन किया.
    अपने सपनों की दास्तां बताते गोपाल
  • वहीं,साल 1988 में बीसीए दानापुर में आयोजित स्टेट चैंपियनशिप के 100 मीटर बैक स्ट्रोक प्रतियोगिता में वह पहले स्थान पर आए.
  • साथ ही 200 मीटर और 100 मीटर की सामान्य तैराकी में तीसरा मुकाम हासिल किया.
  • 1989 के स्टेट चैंपियनशिप के 200 मीटर बैकस्ट्रोक को फिर से उन्हें प्रथम स्थान मिला था.
    national-swimmer-selling-tea-in-patna-1-1
    नेशनल तैराक टी स्टॉल

गंगा किनारे तैराकी सीखा रहें हैं गोपाल
राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का मान बढ़ाने के बावजूद भी गोपाल गंगा की लहरों में युवाओं को तैराकी सिखाते हैं. बतौर तैराकी शिक्षक उन्होंने अपने अंदर के तैराक को जीवित रखा है. गोपाल प्रसाद कहते हैं कि जब भी कभी गंगा में नाव डूबने की घटना होती है तो सबसे पहले उन्हें ही खोजा जाता है.

Intro:फुटपाथ पर चाय बेच रहा नेशनल तैराक गोपाल:-- कभी राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का किया है प्रतिनिधित्व, गिनिज बुक मे नाम दर्ज कराने का सपना रहा अधुरा, सिस्टम कि मार से.....।। बिहार में खेलो और खिलाड़ियों की बदहाली का एक ज्वलंत उदाहरण है गोपाल प्रसाद कई वर्षों तक तैराकी में बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले गोपाल प्रसाद को आज अपनी पेट पालने के लिए चाय का ठेला लगाना पड़ रहा है सरकार की तरफ से उसे सिर्फ आश्वासन ही मिलती रहे पटना से शशि तुलस्यान की खास रिपोर्ट:--


Body:कभी गंगा की लहरों में तैरने वाला तैराक और तैराकी को कैरियर बनाकर बिहार का नाम रोशन करने का सपना देखने वाला गोपाल परिवारिक जिम्मेदारियों आर्थिक बदहाली और डूबते भविष्य की चिंता से तंग आकर पटना की भीड़भाड़ वाले इलाके गाजीपुर में ठेला लगाकर चाय बेचने के लिए विवश है गोपाल के चाय दुकान का नाम है नेशनल तैराक की लिस्ट ऑल गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने का सपना इसका अधूरा ही रह गया सिस्टम की मार से विवश गोपाल ने सड़क पर चाय बेचने को विवश हो गया गोपाल ने तैराकी के खेल में कई राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का प्रतिनिधित्व करता रहा है बावजूद आज भी गोपाल एक सुबह गंगा की लहरों में युवाओं को तैराकी सिखाता है कितने सालों बाद भी गोपाल अपने अंदर के तैराकी के कीड़ा को मरने नहीं दिया है बावजूद युवाओं को तैराकी करने के लिए सिखा रहा है गोपाल प्रसाद की माने तो गंगा में नाव दुर्घटना में सबसे पहले गोपाल को ही खोजा जाता है


Conclusion:वर्ष 1987 कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में बिहार का प्रतिनिधित्व करने का अवसर गोपाल को पहली बार मिला उसके बाद 1988 और 89 में केरल में आयोजित राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में उसे बेहतरीन प्रदर्शन किया 1988 में बीसीए दानापुर में आयोजित स्टेट चैंपियनशिप के 100 मीटर बैक स्ट्रोक प्रतियोगिता में वह पहले स्थान पर रहा तथा 200 मीटर और 100 मीटर की सामान्य तैराकी में तीसरे स्थान पर रहा 1989 के स्टेट चैंपियनशिप के 200 मीटर बैकस्ट्रोक को पुनः प्रथम स्थान पर रहा और कई बार अन्य प्रतियोगिताओं में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा
Last Updated : May 29, 2019, 10:42 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.