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National Sports Day, खिलाड़ी ठेले पर बेचते हैं चाय और बनाते हैं पंचर, बोले अब तेजस्वी से ही उम्मीद

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Published : Aug 29, 2022, 4:29 PM IST

Updated : Aug 29, 2022, 5:49 PM IST

बिहार में खिलाड़ियों की जिंदगी में तब क्रांति आई थी जब सरकार ने ऐलान किया था पदक लाओ नौकरी पाओ. खिलाड़ी देश के लिए कई मेडल तो लेकर आए लेकिन सरकार उन्हें नौकरी नहीं दे सकी. ऐसे में मायूस खिलाड़ी ठेले पर चाय बचने को या गाड़ी का पंचर बनाने को मजबूर हैं. पढ़ें.

Bad condition of players in Patna Bihar
Bad condition of players in Patna Bihar

पटना: राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day 2022) के मौके पर 29 अगस्त को हर साल राज्य सरकार की तरफ से खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है. उनके विकास के बड़े बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन बिहार के खिलाड़ियों की तकदीर बदलने में अभी और वक्त लगेगा. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का मान सम्मान बढ़ाते हुए पदक लाने वाले खिलाड़ियों ( Bad condition of players in Patna) को आज भी दर-दर भटकना पड़ रहा है. कुछ ऐसे ही खिलाड़ियों से हमारी टीम ने बात की.

पढ़ें-बोले खेल मंत्री- खेल विश्वविद्यालय से बिहार में बहुरेंगे खेल और खिलाड़ियों के दिन, मिलेगी नौकरी

'पदक लाओ नौकरी पाओ' के तहत नहीं मिली नौकरी: सरकारी उदासीनता और लापरवाही का खामियाजा कई खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है. इतना ही नहीं परिवार का भरण पोषण करने के लिए चाय की स्टॉल तो पंचर बनाने के काम में भी कई खिलाड़ी लगे हुए हैं.बिहार सरकार भले ही खिलाड़ियों के लिए हमदर्दी दिखाती है लेकिन जो स्थिति है वह बद से बदतर है क्योंकि बिहार में पिछले 7 सालों से खेल कोटा से खिलाड़ियों की बहाली नहीं हुई है. सरकार की यह घोषणा है कि मेडल लाओ नौकरी पाओ लेकिन मैडल लाने के बाद भी खिलाड़ियों को नौकरी नहीं मिली.

खो खो खिलाड़ी बनाते हैं पंचर: पटना के रहने वाले खो खो खिलाड़ी मंसूर आलम ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि मन में बस एक ही सपना था कि खेल के दौरान बिहार ही नहीं बल्कि देश का मान सम्मान बढ़ाएं. अपने खेल से हमने देश का मान बढ़ाया. मेडल लाओ नौकरी पाओ के सरकार की घोषणा के अनुरूप कई भवन सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए. लेकिन नौकरी हाथ नहीं लगी. मजबूरन आज घर परिवार चलाने के लिए साइकिल मोटर साइकिल का पंचर बनाते हैं.

"कई मंत्री आए गए लेकिन खिलाड़ियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. खिलाड़ी आज भी सरकार की बहाली का राह देख रहे हैं. 2015 से लेकर 2019 तक खेल चुके हैं. 2018 में इंटरनेशनल स्तर पर इंडिया को रिप्रेजेंट किया है. अब नई सरकार से उम्मीद बंधी है. तेजस्वी जी खिलाड़ी रहे हैं और खास करके कला संस्कृति युवा विभाग के मंत्री से यह उम्मीद है कि जो सरकार का वादा है उसके हिसाब से खिलाड़ियों को नौकरी दिया जाए."- मंसूर आलम, खो खो खिलाड़ी

नेशनल तैराक बेच रहे ठेले में चाय: वहीं पटना के नेशनल लेवल तैराक गोपाल प्रसाद यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि पिछले कई साल से बिहार में खेल कोटा से बहाली नहीं हो रही है. हर रविवार को निशुल्क बच्चों को गंगा में तैराकी सिखाते हैं लेकिन इससे आजीविका तो नहीं चलेगी. इसलिए एक छोटी सी चाय की दुकान पर लोगों को चाय पिलाते हैं. 6 रुपये कप चाय लिखे हैं पर 5 रुपये कप मिलता है. नेशनल तैराक टी स्टॉल पर उन्होंने अपने सारे मेडल को सजा रखा है.

"कोरोना काल के बाद स्थिति ओर खराब हो गयी है. हमारी चाय की दुकान का नाम नेशनल तैराक टी स्टॉल है. अब मात्र एक ही सपना है कि सरकार कोई भी हो खिलाड़ियों को उचित सम्मान दें. ट्रेनर के रूप में भी सरकार चाहे तो कहीं नौकरी दे सकती है."- गोपाल प्रसाद यादव, तैराक

'सरकार ने खिलाड़ियों की उपेक्षा की': वहीं हमने इस मामले को लेकर के प्लेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी से बात की तो उन्होंने सरकार पर खेल और खिलाड़ियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार की खेल विरोधी नीति के कारण बिहार के सैकड़ों नहीं, हजारों खिलाड़ियों का भविष्य अंधेरे में है. मेरे संघर्ष की बदौलत आज सचिवालय में कई खिलाड़ी काम भी कर रहे है. मुख्यमंत्री का सपना पदक लाओ नौकरी पाओ है लेकिन यह अधिकारी पदाधिकारियों की गलती के कारण 6 वर्ष से बन्द है.

"नई सरकार बनी है जिसके वाइस कैप्टन ही तेजस्वी यादव है. तेजस्वी यादव एक अच्छे खिलाड़ी भी हैं जिसके कारण सभी खिलाड़ियों और युवाओं के चेहरे पर मुस्कान लौटेगी. उम्मीद है कि खिलाड़ियों की तकदीर और तस्वीर बदलेगी. अभी नई सरकार का गठन हुआ है इसलिए खिलाड़ियों को थोड़ा सा सब्र करना होगा. सरकार किसी की भी हो खिलाड़ियों और खेल के प्रति हम हमेशा सड़कों पर उतरे हैं आगे भी जरूरत पड़ी तो उतरेंगे."- मृत्युंजय तिवारी,अध्यक्ष, प्लेयर एसोसिएशन

मंत्री ने कही यह बात: खिलाड़ियों के नौकरी को लेकर के ईटीवी भारत की टीम ने कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री जितेन्द्र राय से बात की तो उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे जानकारी है कि कला संस्कृति युवा विभाग से ऐसा संकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि कार्मिक विभाग के तहत पहले ऐसा हुआ होगा. मैं पता कर लेता हूं, बिहार के खिलाड़ियों के लिए उनके हित में ही सरकार कदम उठाएगी.

"कला संस्कृति एवं युवा विभाग ऐसा संकल्प नहीं है. कार्मिक विभाग से प्रोत्साहन मिला है. खिलाड़ियों को सम्मान मिले रोजगार मिले इसकी कोशिश रहेगी."- जितेन्द्र राय, कला संस्कृति एवं युवा विभाग मंत्री, बिहार



राष्ट्रीय खेल दिवस: हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन (Major Dhyan Chand birthday ) के मौके पर हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) मनाया जाता है. इस दिन खिलाड़ियों के सम्मान में कई कार्यक्रम किए जाते हैं. इस बार बिहार के विभिन्न खेलों के 220 खिलाड़ियों और 6 दिव्यांग खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया है.

पटना: राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day 2022) के मौके पर 29 अगस्त को हर साल राज्य सरकार की तरफ से खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है. उनके विकास के बड़े बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन बिहार के खिलाड़ियों की तकदीर बदलने में अभी और वक्त लगेगा. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का मान सम्मान बढ़ाते हुए पदक लाने वाले खिलाड़ियों ( Bad condition of players in Patna) को आज भी दर-दर भटकना पड़ रहा है. कुछ ऐसे ही खिलाड़ियों से हमारी टीम ने बात की.

पढ़ें-बोले खेल मंत्री- खेल विश्वविद्यालय से बिहार में बहुरेंगे खेल और खिलाड़ियों के दिन, मिलेगी नौकरी

'पदक लाओ नौकरी पाओ' के तहत नहीं मिली नौकरी: सरकारी उदासीनता और लापरवाही का खामियाजा कई खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है. इतना ही नहीं परिवार का भरण पोषण करने के लिए चाय की स्टॉल तो पंचर बनाने के काम में भी कई खिलाड़ी लगे हुए हैं.बिहार सरकार भले ही खिलाड़ियों के लिए हमदर्दी दिखाती है लेकिन जो स्थिति है वह बद से बदतर है क्योंकि बिहार में पिछले 7 सालों से खेल कोटा से खिलाड़ियों की बहाली नहीं हुई है. सरकार की यह घोषणा है कि मेडल लाओ नौकरी पाओ लेकिन मैडल लाने के बाद भी खिलाड़ियों को नौकरी नहीं मिली.

खो खो खिलाड़ी बनाते हैं पंचर: पटना के रहने वाले खो खो खिलाड़ी मंसूर आलम ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि मन में बस एक ही सपना था कि खेल के दौरान बिहार ही नहीं बल्कि देश का मान सम्मान बढ़ाएं. अपने खेल से हमने देश का मान बढ़ाया. मेडल लाओ नौकरी पाओ के सरकार की घोषणा के अनुरूप कई भवन सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाए. लेकिन नौकरी हाथ नहीं लगी. मजबूरन आज घर परिवार चलाने के लिए साइकिल मोटर साइकिल का पंचर बनाते हैं.

"कई मंत्री आए गए लेकिन खिलाड़ियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. खिलाड़ी आज भी सरकार की बहाली का राह देख रहे हैं. 2015 से लेकर 2019 तक खेल चुके हैं. 2018 में इंटरनेशनल स्तर पर इंडिया को रिप्रेजेंट किया है. अब नई सरकार से उम्मीद बंधी है. तेजस्वी जी खिलाड़ी रहे हैं और खास करके कला संस्कृति युवा विभाग के मंत्री से यह उम्मीद है कि जो सरकार का वादा है उसके हिसाब से खिलाड़ियों को नौकरी दिया जाए."- मंसूर आलम, खो खो खिलाड़ी

नेशनल तैराक बेच रहे ठेले में चाय: वहीं पटना के नेशनल लेवल तैराक गोपाल प्रसाद यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि पिछले कई साल से बिहार में खेल कोटा से बहाली नहीं हो रही है. हर रविवार को निशुल्क बच्चों को गंगा में तैराकी सिखाते हैं लेकिन इससे आजीविका तो नहीं चलेगी. इसलिए एक छोटी सी चाय की दुकान पर लोगों को चाय पिलाते हैं. 6 रुपये कप चाय लिखे हैं पर 5 रुपये कप मिलता है. नेशनल तैराक टी स्टॉल पर उन्होंने अपने सारे मेडल को सजा रखा है.

"कोरोना काल के बाद स्थिति ओर खराब हो गयी है. हमारी चाय की दुकान का नाम नेशनल तैराक टी स्टॉल है. अब मात्र एक ही सपना है कि सरकार कोई भी हो खिलाड़ियों को उचित सम्मान दें. ट्रेनर के रूप में भी सरकार चाहे तो कहीं नौकरी दे सकती है."- गोपाल प्रसाद यादव, तैराक

'सरकार ने खिलाड़ियों की उपेक्षा की': वहीं हमने इस मामले को लेकर के प्लेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी से बात की तो उन्होंने सरकार पर खेल और खिलाड़ियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार की खेल विरोधी नीति के कारण बिहार के सैकड़ों नहीं, हजारों खिलाड़ियों का भविष्य अंधेरे में है. मेरे संघर्ष की बदौलत आज सचिवालय में कई खिलाड़ी काम भी कर रहे है. मुख्यमंत्री का सपना पदक लाओ नौकरी पाओ है लेकिन यह अधिकारी पदाधिकारियों की गलती के कारण 6 वर्ष से बन्द है.

"नई सरकार बनी है जिसके वाइस कैप्टन ही तेजस्वी यादव है. तेजस्वी यादव एक अच्छे खिलाड़ी भी हैं जिसके कारण सभी खिलाड़ियों और युवाओं के चेहरे पर मुस्कान लौटेगी. उम्मीद है कि खिलाड़ियों की तकदीर और तस्वीर बदलेगी. अभी नई सरकार का गठन हुआ है इसलिए खिलाड़ियों को थोड़ा सा सब्र करना होगा. सरकार किसी की भी हो खिलाड़ियों और खेल के प्रति हम हमेशा सड़कों पर उतरे हैं आगे भी जरूरत पड़ी तो उतरेंगे."- मृत्युंजय तिवारी,अध्यक्ष, प्लेयर एसोसिएशन

मंत्री ने कही यह बात: खिलाड़ियों के नौकरी को लेकर के ईटीवी भारत की टीम ने कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री जितेन्द्र राय से बात की तो उन्होंने कहा कि जहां तक मुझे जानकारी है कि कला संस्कृति युवा विभाग से ऐसा संकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि कार्मिक विभाग के तहत पहले ऐसा हुआ होगा. मैं पता कर लेता हूं, बिहार के खिलाड़ियों के लिए उनके हित में ही सरकार कदम उठाएगी.

"कला संस्कृति एवं युवा विभाग ऐसा संकल्प नहीं है. कार्मिक विभाग से प्रोत्साहन मिला है. खिलाड़ियों को सम्मान मिले रोजगार मिले इसकी कोशिश रहेगी."- जितेन्द्र राय, कला संस्कृति एवं युवा विभाग मंत्री, बिहार



राष्ट्रीय खेल दिवस: हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन (Major Dhyan Chand birthday ) के मौके पर हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) मनाया जाता है. इस दिन खिलाड़ियों के सम्मान में कई कार्यक्रम किए जाते हैं. इस बार बिहार के विभिन्न खेलों के 220 खिलाड़ियों और 6 दिव्यांग खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया है.

Last Updated : Aug 29, 2022, 5:49 PM IST
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