पटना: राजधानी पटना की कदमकुंआ स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल (Rajkiya Ayurvedic College & Hospital) में सोमवार को राष्ट्रीय पोषण माह (National Nutrition Month In Bihar) कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसका आयोजन भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और राज्य आयुष समिति के निर्देशानुसार किया गया.
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राष्ट्रीय पोषण माह कार्यक्रम के दौरान अस्पताल के शिशु रोग विभाग द्वारा 75 से अधिक कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें पोषण किट प्रदान किया गया. पोषण किट में कई पोषक आहार शामिल रहे. आयुर्वेद अस्पताल के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद चौरसिया ने बताया कि राष्ट्रीय पोषण माह के तहत आज के दिन शिशु रोग विभाग के द्वारा कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर उन्हें पोषण किट दिया गया.
पोषण किट में कई तरह के पौष्टिक आहार के साथ ही दवाईयों का भी वितरण किया गया. इसमें लड्डू, कैलशियम सिरप, पोषक सूप, अश्वगंधादि चूर्ण, लिवर टॉनिक के साथ-साथ पोषक भोजन के बुकलेट और पेंसिल रबर सेट शामिल रहा. बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण करने के बाद उनके माता-पिता को इस बारे में जागरूक किया गया. अभिभावकों को बताया गया कि बच्चों को कैसे कुपोषण से दूर रखा जा सकता है.
आयुर्वेद अस्पताल के शिशु रोग विभाग की सहायक प्राध्यापक ने कहा कि 3 साल पहले साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाने की दिशा में आयुर्वेद की मदद के साथ राष्ट्रीय पोषण माह कार्यक्रम की शुरुआत की थी. भारत में कुपोषण के मामले काफी अधिक हैं.
"बिहार की बात करें तो लगभग तीन लाख के करीब बच्चों में कुपोषण के मामले हैं. इस प्रकार के अभियान का उद्देश्य यह है कि अभिभावकों को यह बताया जा सके कि किन उपायों और प्रयासों के माध्यम से बच्चों को कुपोषण से दूर रख सकते हैं. अगर कुपोषण हो गया तो आगे क्या करना चाहिए ऐसी तमाम बातों को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है."- सहायक प्राध्यापक,शिशु रोग विभाग
आयुर्वेद पद्धति में बच्चों को पोषण युक्त भोजन प्रदान करने के लिए बहुत सारी सामग्रियां बताई गई है. पोषित भोजन के लिए काफी रेसिपीज भी है. डॉ शिल्पी गुप्ता ने कहा कि बच्चों में कुपोषण के कारण ही वायरल फीवर और अन्य प्रकार की बीमारियां जल्दी उन्हें अपनी चपेट में लेती है. कुपोषण की वजह से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और बच्चों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है. उन्होंने कहा कि आज के समय में जरूरी है कि सभी अभिभावक अपने बच्चों को पौष्टिक आहार देने के लिए जिम्मेदार बने.
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