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5वां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे: बिहार की महिलाएं सशक्त, घर के निर्णय में बढ़ी भागीदारी - आंगनबाड़ी केंद्र

बिहार में लिंगानुपात में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। देश के 22 राज्यों में जनसंख्या, स्वास्थ्य और पोषण के बारे में जारी 5वें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट में बिहार में प्रति हजार नवजात लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या में 26 और कम हो गई. वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि घर के निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.

डीएम दिवाकर, प्रोफेसर, एएन सिन्हा, इंस्टीट्यूट
डीएम दिवाकर, प्रोफेसर, एएन सिन्हा, इंस्टीट्यूट
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Published : Dec 16, 2020, 7:35 PM IST

Updated : Dec 18, 2020, 11:05 AM IST

पटनाः पूरे देश में 22 राज्यों में जनसंख्या स्वास्थ्य और पोषण के बारे में जारी पांचवी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट आ गई है. जिसमें बिहार कुछ मामले में पिछड़ा है तो बहुत सारे ऐसे मामले हैं. जिसमें बिहार की स्थिति मजबूत हुई है. बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने यह रिपोर्ट की है.

बता दें कि बिहार कुछ मामले में पिछड़ा है तो बहुत सारे मामले ऐसे हैं जिसमें बिहार की स्थिति मजबूत हुई है.

  • स्वास्थ्य व्यवस्था : स्वास्थ्य की बात करें तो अस्पतालों में डिलीवरी मां के दूध के प्रति भी जागरूकता आई है आपको बता दूं कि अस्पतालों में डिलीवरी 76 फीसदी है जबकि 5 साल पहले या प्रतिशत सिर्फ 63 फीसदी थी इसके साथ डिलीवरी के बाद 1 घंटे के अंदर स्तनपान कराने के मामले में भी प्रतिशत बढ़ी है यह करीब करीब 35 फीसदी के आसपास पहुंच चुका है. वही वैक्सीनेशन के मामले में 12 से 30 माह के बच्चों में यह प्रतिशत बढ़ा है जहां पहले 61 फीसदी बच्चे की वैक्सीनेशन होती थी वहीं अब 2019 से 20 के बीच या 71 फीसदी हो गई है.
  • महिला हुई सशक्त : बिहार में महिला पहले से ज्यादा सशक्त हो चुकी है और घरों के निर्णय में भागीदारी निभा रही है 2015 से 16 के आंकड़ों के अनुसार 75 फीसदी महिलाएं ही घर के निर्णय में शामिल होती थी लेकिन वही 2019 से 20 की बात करें तो इसमें भागीदारी बढ़ गई है और 86 फीसदी महिलाएं अपने घर के निर्णय में भागीदार बन रही है. खासकर बिहार के लिए सबसे खुशी की बात यह है कि इसमें ग्रामीण महिला अधिक सक्रिय है. बिहार में ग्रामीण क्षेत्र पूरे देश में सबसे ज्यादा है. वहीं सरकार की नई कोशिश के वजह से बैंक अकाउंट के मामले में बिहार की महिलाओं में इजाफा देखने के लिए मिला है बिहार के महिलाओं के पास बैंक के अकाउंट 2015 से 16 में 26 फीसदी थी वहीं 2019 से 2020 के बीच बड़ी बढ़ोतरी हुई है और यह 76 फीसदी पहुंच चुका है.
    देखें पूरी खबर
  • घरेलू अपराध : इस रिपोर्ट दर में बिहार में 18 से 49 वर्ष की महिला के विरुद्ध अपराध में 5 सालों में गिरावट देखने के लिए मिला है पति द्वारा हिंसा के मामले में 5 सालों में 3.7 फीसदी की गिरावट आई है. बता दें कि पहले यह हिंसा बिहार में 43 प्रतिशत होती थी जो कि अब गिरावट होने के बाद सिर्फ 40फीसदी पर ही रह गया है.

बिहार में प्रजनन दर पूरे देश में सबसे अधिक

वहीं, बिहार में प्रजनन दर पूरे देश में सबसे अधिक है. लेकिन अब इसमें गिरावट होना शुरू हो गयी है. महिला सशक्तिकरण का असर भी अब दिख रहा है. 2015-16 में जहां 3.4 फीसदी प्रजनन दर था. वहीं अब घटकर 2019-20 में 3 फीसदी हो गया है. दिल्ली में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में जागरुकता अभियान के कारण कई तरह के बदलाव आए हैं. शिशु मृत्यु दर भी 48.1 से घटकर 46.8 फीसदी हो गया है. विशेषज्ञ एवं एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर दिवाकर का कहना है कि यह बड़े बदलाव के अच्छे संकेत हैं. हालांकि राष्ट्रीय औसत से अभी भी बिहार का प्रजनन दर काफी अधिक है. पिछले साल राष्ट्रीय औसत 2.18% था.

पेश है रिपोर्ट
प्रजनन दर की प्रतिशतता

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में प्रजनन दर में बड़ी गिरावट आई है. इसके साथ परिवार नियोजन कार्यक्रम में भी वृद्धि हुई है.
वर्ष ---- प्रजनन दर

  • 1998-99 : 3.7%
  • 2005-06 : 4.0%
  • 2015-16 : 3.4%
  • 2019-20 : 3.0%

वर्ष ---- नवजात शिशु मृत्यु दर

  • 2015-16 : 36.7%
  • 2019-20 : 34.5%

5 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु दर 58.11 फीसदी से घटकर 56.4 फीसदी हो गया है. दोनों मानकों में शिशुओं की मृत्यु दर में 2 फीसदी की गिरावट आई है.

55.8 फीसदी लोग अपना रहे परिवान नियोजन

जहां 5 साल पहले महिलाएं 24.1 फीसदी परिवार नियोजन को अपना रही थीं. वहीं यह दर अब बढ़कर अब 55.8 फीसदी हो गया है. पहले 23.3 फीसदी महिलाएं परिवार नियोजन के आधुनिक तरीकों को अपना रही थी. जबकि यह दर बढ़कर अब 44.4 फीसदी हो गया है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के बंध्याकरण में 2015-16 में जहां 20.7 फीसदी था. वह बढ़कर 2019-20 में 34.8 फीसदी हो गया है.

डीएम दिवाकर, प्रोफेसर, एएन सिन्हा, इंस्टीट्यूट
डीएम दिवाकर, प्रोफेसर, एएन सिन्हा, इंस्टीट्यूट

पुरुष नसबंदी में नहीं आया ज्यादा अंतर

पुरुषों की नसबंदी में बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया है. 5 साल पहले यह दर नगण्य था. उसमें अब 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 की रिपोर्ट पर विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है कि 2015-16 में जो रिपोर्ट आई थी उसके मुकाबले सुधार जरूर हुआ है. यह अच्छे संकेत हैं. लेकिन मामूली उपलब्धि है. बिहार में इससे कहीं अधिक सुधार की उम्मीद थी. इसलिए आगे बड़ी चुनौती है.

जागरुकता अभियान का हो रहा असर

बिहार में शिशु मृत्यु दर घटने का एक बड़ा कारण संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी भी माना जा रहा है. पहले 63.8 फीसदी था, जो अब बढ़कर 76.83 फीसदी हो गया है. यानी 13 फीसदी की बढ़ोतरी इसमें हुई है. बिहार में प्रजनन दर घटने, शिशु मृत्यु दर घटने के पीछे बड़ा कारण सरकार की ओर से चलाया जा रहा कार्यक्रम बताया जा रहा है. महिलाओं के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान, आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषक आहार की व्यवस्था बड़ा कारण है. ऐसे राष्ट्रीय औसत की बात करें तो बिहार अभी भी काफी पीछे है.

पटनाः पूरे देश में 22 राज्यों में जनसंख्या स्वास्थ्य और पोषण के बारे में जारी पांचवी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट आ गई है. जिसमें बिहार कुछ मामले में पिछड़ा है तो बहुत सारे ऐसे मामले हैं. जिसमें बिहार की स्थिति मजबूत हुई है. बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने यह रिपोर्ट की है.

बता दें कि बिहार कुछ मामले में पिछड़ा है तो बहुत सारे मामले ऐसे हैं जिसमें बिहार की स्थिति मजबूत हुई है.

  • स्वास्थ्य व्यवस्था : स्वास्थ्य की बात करें तो अस्पतालों में डिलीवरी मां के दूध के प्रति भी जागरूकता आई है आपको बता दूं कि अस्पतालों में डिलीवरी 76 फीसदी है जबकि 5 साल पहले या प्रतिशत सिर्फ 63 फीसदी थी इसके साथ डिलीवरी के बाद 1 घंटे के अंदर स्तनपान कराने के मामले में भी प्रतिशत बढ़ी है यह करीब करीब 35 फीसदी के आसपास पहुंच चुका है. वही वैक्सीनेशन के मामले में 12 से 30 माह के बच्चों में यह प्रतिशत बढ़ा है जहां पहले 61 फीसदी बच्चे की वैक्सीनेशन होती थी वहीं अब 2019 से 20 के बीच या 71 फीसदी हो गई है.
  • महिला हुई सशक्त : बिहार में महिला पहले से ज्यादा सशक्त हो चुकी है और घरों के निर्णय में भागीदारी निभा रही है 2015 से 16 के आंकड़ों के अनुसार 75 फीसदी महिलाएं ही घर के निर्णय में शामिल होती थी लेकिन वही 2019 से 20 की बात करें तो इसमें भागीदारी बढ़ गई है और 86 फीसदी महिलाएं अपने घर के निर्णय में भागीदार बन रही है. खासकर बिहार के लिए सबसे खुशी की बात यह है कि इसमें ग्रामीण महिला अधिक सक्रिय है. बिहार में ग्रामीण क्षेत्र पूरे देश में सबसे ज्यादा है. वहीं सरकार की नई कोशिश के वजह से बैंक अकाउंट के मामले में बिहार की महिलाओं में इजाफा देखने के लिए मिला है बिहार के महिलाओं के पास बैंक के अकाउंट 2015 से 16 में 26 फीसदी थी वहीं 2019 से 2020 के बीच बड़ी बढ़ोतरी हुई है और यह 76 फीसदी पहुंच चुका है.
    देखें पूरी खबर
  • घरेलू अपराध : इस रिपोर्ट दर में बिहार में 18 से 49 वर्ष की महिला के विरुद्ध अपराध में 5 सालों में गिरावट देखने के लिए मिला है पति द्वारा हिंसा के मामले में 5 सालों में 3.7 फीसदी की गिरावट आई है. बता दें कि पहले यह हिंसा बिहार में 43 प्रतिशत होती थी जो कि अब गिरावट होने के बाद सिर्फ 40फीसदी पर ही रह गया है.

बिहार में प्रजनन दर पूरे देश में सबसे अधिक

वहीं, बिहार में प्रजनन दर पूरे देश में सबसे अधिक है. लेकिन अब इसमें गिरावट होना शुरू हो गयी है. महिला सशक्तिकरण का असर भी अब दिख रहा है. 2015-16 में जहां 3.4 फीसदी प्रजनन दर था. वहीं अब घटकर 2019-20 में 3 फीसदी हो गया है. दिल्ली में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में जागरुकता अभियान के कारण कई तरह के बदलाव आए हैं. शिशु मृत्यु दर भी 48.1 से घटकर 46.8 फीसदी हो गया है. विशेषज्ञ एवं एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर दिवाकर का कहना है कि यह बड़े बदलाव के अच्छे संकेत हैं. हालांकि राष्ट्रीय औसत से अभी भी बिहार का प्रजनन दर काफी अधिक है. पिछले साल राष्ट्रीय औसत 2.18% था.

पेश है रिपोर्ट
प्रजनन दर की प्रतिशतता

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में प्रजनन दर में बड़ी गिरावट आई है. इसके साथ परिवार नियोजन कार्यक्रम में भी वृद्धि हुई है.
वर्ष ---- प्रजनन दर

  • 1998-99 : 3.7%
  • 2005-06 : 4.0%
  • 2015-16 : 3.4%
  • 2019-20 : 3.0%

वर्ष ---- नवजात शिशु मृत्यु दर

  • 2015-16 : 36.7%
  • 2019-20 : 34.5%

5 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु दर 58.11 फीसदी से घटकर 56.4 फीसदी हो गया है. दोनों मानकों में शिशुओं की मृत्यु दर में 2 फीसदी की गिरावट आई है.

55.8 फीसदी लोग अपना रहे परिवान नियोजन

जहां 5 साल पहले महिलाएं 24.1 फीसदी परिवार नियोजन को अपना रही थीं. वहीं यह दर अब बढ़कर अब 55.8 फीसदी हो गया है. पहले 23.3 फीसदी महिलाएं परिवार नियोजन के आधुनिक तरीकों को अपना रही थी. जबकि यह दर बढ़कर अब 44.4 फीसदी हो गया है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के बंध्याकरण में 2015-16 में जहां 20.7 फीसदी था. वह बढ़कर 2019-20 में 34.8 फीसदी हो गया है.

डीएम दिवाकर, प्रोफेसर, एएन सिन्हा, इंस्टीट्यूट
डीएम दिवाकर, प्रोफेसर, एएन सिन्हा, इंस्टीट्यूट

पुरुष नसबंदी में नहीं आया ज्यादा अंतर

पुरुषों की नसबंदी में बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया है. 5 साल पहले यह दर नगण्य था. उसमें अब 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 की रिपोर्ट पर विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का कहना है कि 2015-16 में जो रिपोर्ट आई थी उसके मुकाबले सुधार जरूर हुआ है. यह अच्छे संकेत हैं. लेकिन मामूली उपलब्धि है. बिहार में इससे कहीं अधिक सुधार की उम्मीद थी. इसलिए आगे बड़ी चुनौती है.

जागरुकता अभियान का हो रहा असर

बिहार में शिशु मृत्यु दर घटने का एक बड़ा कारण संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी भी माना जा रहा है. पहले 63.8 फीसदी था, जो अब बढ़कर 76.83 फीसदी हो गया है. यानी 13 फीसदी की बढ़ोतरी इसमें हुई है. बिहार में प्रजनन दर घटने, शिशु मृत्यु दर घटने के पीछे बड़ा कारण सरकार की ओर से चलाया जा रहा कार्यक्रम बताया जा रहा है. महिलाओं के लिए चलाए जा रहे जागरुकता अभियान, आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषक आहार की व्यवस्था बड़ा कारण है. ऐसे राष्ट्रीय औसत की बात करें तो बिहार अभी भी काफी पीछे है.

Last Updated : Dec 18, 2020, 11:05 AM IST
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