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मोदी सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को किया सच- नंदकिशोर यादव - Shyama Prasad Mukherjee

बिहार के कई जिलों में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 67वीं पुण्यतिथि बलिदान दिवस के रूप में मनाया. इस मौके पर नंदकिशोर यादव ने कहा कि मोदी सरकार ने डॉ. मुखर्जी के सपनों को सच कर दिखाया है.

पटना
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Published : Jun 23, 2020, 10:31 PM IST

पटना: मंगलवार को जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को भाजपा कार्यकर्ताओं ने बलिदान दिवस के रूप में मनाया. वहीं, श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद कर प्रदेश कार्यालय में बीजेपी के तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

मौके पर पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि जनसंघ अपने स्थापना काल से ही संघर्ष करता रहा. उन्होंने कहा कि गोवा की स्वतंत्रता और कश्मीर से धारा 370 हटाने की दिशा में डॉ. मुखर्जी का योगदान अहम रहा. उन्होंने कहा कि लंबे समय के संघर्ष के बाद केंद्र में हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार आने पर हमने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को सच कर दिखाया है.

नवादा: भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर बीजेपी जिला कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया. जिसमें हिसुआ विधानसभा से बीजेपी विधायक अनिल सिंह ने दिवंगत डॉ. प्रसाद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. वहीं, अवसर पर पूर्व विधायक कन्हैया कुमार, पूर्व जिलाध्यक्ष केदार सिंह, जिला महामंत्री अनुज कुमार, मीडिया प्रभारी नंदलाल चौरसिया सहित दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद रहे.

पटना
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर गया स्थित कार्यक्रम में कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार

गया: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने शहर के पिता महेश्वर मोहल्ला स्थित पार्टी कार्यालय में बलिदान दिवस मनाया. इस दौरान कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार सहित कई कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे. सभी लोगों ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्यामा प्रसाद मुखर्जी अमर रहे के नारे भी लगाए.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि आज हम लोग डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मना रहे हैं. देश की आजादी के समय दोहरी व्यवस्था थी. कश्मीर जाने के लिए लोगों को परमिट लेना पड़ता था. उन्होंने कहा कि इसका सबसे पहला विरोध श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया था. उनका कहना था कि देश में एक विधान, एक निशान और एक प्रधान होना चाहिए.

23 जून 1953 को हुई थी मौत
बता दें कि भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 23 जून 1953 में कश्मीर के जेल में रहस्यमय ढंग से मौत हो गई थी. उनकी पुण्यतिथि की स्मृति को संजोए रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी बलिदान दिवस के रूप में मनाती है.

पटना: मंगलवार को जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को भाजपा कार्यकर्ताओं ने बलिदान दिवस के रूप में मनाया. वहीं, श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद कर प्रदेश कार्यालय में बीजेपी के तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

मौके पर पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि जनसंघ अपने स्थापना काल से ही संघर्ष करता रहा. उन्होंने कहा कि गोवा की स्वतंत्रता और कश्मीर से धारा 370 हटाने की दिशा में डॉ. मुखर्जी का योगदान अहम रहा. उन्होंने कहा कि लंबे समय के संघर्ष के बाद केंद्र में हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार आने पर हमने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को सच कर दिखाया है.

नवादा: भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर बीजेपी जिला कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया. जिसमें हिसुआ विधानसभा से बीजेपी विधायक अनिल सिंह ने दिवंगत डॉ. प्रसाद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. वहीं, अवसर पर पूर्व विधायक कन्हैया कुमार, पूर्व जिलाध्यक्ष केदार सिंह, जिला महामंत्री अनुज कुमार, मीडिया प्रभारी नंदलाल चौरसिया सहित दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद रहे.

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डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर गया स्थित कार्यक्रम में कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार

गया: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने शहर के पिता महेश्वर मोहल्ला स्थित पार्टी कार्यालय में बलिदान दिवस मनाया. इस दौरान कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार सहित कई कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे. सभी लोगों ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्यामा प्रसाद मुखर्जी अमर रहे के नारे भी लगाए.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि आज हम लोग डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मना रहे हैं. देश की आजादी के समय दोहरी व्यवस्था थी. कश्मीर जाने के लिए लोगों को परमिट लेना पड़ता था. उन्होंने कहा कि इसका सबसे पहला विरोध श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने किया था. उनका कहना था कि देश में एक विधान, एक निशान और एक प्रधान होना चाहिए.

23 जून 1953 को हुई थी मौत
बता दें कि भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 23 जून 1953 में कश्मीर के जेल में रहस्यमय ढंग से मौत हो गई थी. उनकी पुण्यतिथि की स्मृति को संजोए रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी बलिदान दिवस के रूप में मनाती है.

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