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पटना से सटे कई गांवों में अब तक नहीं पहुंचा नल का जल, काम भी नहीं शुरू हुआ अब तक - patna latest news

पटना से सटे कई गांवों में अब तक नल जल योजना का काम शुरू तक नहीं हो सका है. हजारों की आबादी आज भी महज कुछ चापाकल और कुएं पर पानी के (Water problem for people in Masaurhi) निर्भर है. पढ़ें पूरी खबर...

गांवों में अब तक नहीं पहुंचा नल का जल
गांवों में अब तक नहीं पहुंचा नल का जल
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Published : Feb 7, 2022, 6:05 PM IST

पटना (मसौढ़ी): मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वकांक्षी सात निश्चय योजना के तहत हर घर में नल जल पहुंचाने का सपना आज भी अधूरा ही है. पटना से सटे मसौढी प्रखंड के कई ऐसे गांव हैं जहां अभी तक नल जल योजना की शुरुआत ही (Nal Jal Yojna Work Not Started In Many Villages) नहीं हुई है. आलम ये है कि घर तक पानी पहुंचने की आस में बैठे हजारों की आबादी अब कुएं और एक सरकारी चापाकल पर निर्भर है.

इसे भी पढ़ें- नल जल योजना के तहत जल मिनार तो बना, पर नहीं हो रही पानी की सप्लाई

ईटीवी भारत संवाददाता ने मसौढ़ी के चेथौल गांव में पहुंचकर जब नल जल योजना की पड़ताल की तो हकीकत चौंकाने वाला सामने आया. यहां हजारों की आबादी इस महत्वाकांक्षी योजना की सफलता और घर तक पानी पहुंचने की आस में है. कुएं के पानी पर जिंदगी चल रही है. ग्रामीणों ने बताया कि अभी तो इसमें पानी भी है, गर्मी बढ़ते ही जलस्तर घटने लगता है. चापाकल सूख जाते हैं. लोग पानी को मोहताज हो जाते हैं.

इसे भी पढ़ें- 'नल जल योजना' के लाभुकों से अब हर महीने 30 रुपये वसूलेगी सरकार

ग्रामीण को कुएं का पानी पीने की मजबूरी है. उन्हें डर है कि गंदे पानी की वजह से वे बीमारियों का शिकार भी हो जाएंगे. चापाकल के बारे में वे बताते हैं कि एकमात्र चापाकल अक्सर खराब ही रहता है. जब इस बावत बिहार राज पंचायती पदाधिकारी विनय कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जहां-जहां सात निश्चय का काम नहीं हुआ है, उसकी सूची तैयार की जा रही है. जल्द ही वार्ड स्तर पर नया वित्तीय फंड लाया जाएगा. मसौढ़ी प्रखंड के भी सभी पंचायतों के मुखिया को सूची तैयार करने के लिए कहा गया है. जिन गांवों, वार्डों में नल जल योजना के काम की शुरूआत नहीं हुई है, वहां अगले वित्तीय फंड से काम शुरू किया जाएगा.

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पटना (मसौढ़ी): मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वकांक्षी सात निश्चय योजना के तहत हर घर में नल जल पहुंचाने का सपना आज भी अधूरा ही है. पटना से सटे मसौढी प्रखंड के कई ऐसे गांव हैं जहां अभी तक नल जल योजना की शुरुआत ही (Nal Jal Yojna Work Not Started In Many Villages) नहीं हुई है. आलम ये है कि घर तक पानी पहुंचने की आस में बैठे हजारों की आबादी अब कुएं और एक सरकारी चापाकल पर निर्भर है.

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ईटीवी भारत संवाददाता ने मसौढ़ी के चेथौल गांव में पहुंचकर जब नल जल योजना की पड़ताल की तो हकीकत चौंकाने वाला सामने आया. यहां हजारों की आबादी इस महत्वाकांक्षी योजना की सफलता और घर तक पानी पहुंचने की आस में है. कुएं के पानी पर जिंदगी चल रही है. ग्रामीणों ने बताया कि अभी तो इसमें पानी भी है, गर्मी बढ़ते ही जलस्तर घटने लगता है. चापाकल सूख जाते हैं. लोग पानी को मोहताज हो जाते हैं.

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ग्रामीण को कुएं का पानी पीने की मजबूरी है. उन्हें डर है कि गंदे पानी की वजह से वे बीमारियों का शिकार भी हो जाएंगे. चापाकल के बारे में वे बताते हैं कि एकमात्र चापाकल अक्सर खराब ही रहता है. जब इस बावत बिहार राज पंचायती पदाधिकारी विनय कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जहां-जहां सात निश्चय का काम नहीं हुआ है, उसकी सूची तैयार की जा रही है. जल्द ही वार्ड स्तर पर नया वित्तीय फंड लाया जाएगा. मसौढ़ी प्रखंड के भी सभी पंचायतों के मुखिया को सूची तैयार करने के लिए कहा गया है. जिन गांवों, वार्डों में नल जल योजना के काम की शुरूआत नहीं हुई है, वहां अगले वित्तीय फंड से काम शुरू किया जाएगा.

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