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CSC के माध्यम से मुजफ्फपुर के किसान ने लंदन के खरीदार को लीची बेची

बिहार के दो जिलों में कॉमन सर्विस सेंटर से कृषि उपज के विक्रय का काम शुरू किया गया है. अभी ये काम सिर्फ पटना और मुजफ्फरपुर जिले के कॉमन सर्विस सेंटर पर किया जा रहा है और धीरे-धीरे इससे किसान जुड़ते जा रहे हैं.

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Published : Jun 9, 2020, 10:38 PM IST

लीची किसान
लीची किसान

पटना: राजधानी में मंगलवार 9 जून की सुबह बिहार की प्रसिद्द लीची के व्यापार के लिए ऐतिसाहिक सुबह बन गई. पहली बार मुजफ्फरपुर के एक लीची किसान ने अपने बगीचे की लीची को लंदन के खरीददार को बेचा. किसान ने कॉमन सर्विस सेण्टर के किसान ई-मार्ट नाम के डिजिटल क्रय विक्रय प्लेटफॉर्म पर इसकी विक्री की. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संस्था कॉमन सर्विस सेंटर ने कोरोना महामारी के समय में किसानों के लिए नई स्कीम लायी है. जिसमें किसान फसलों का उचित मूल्य उपलब्ध करवाने के लिए फसल क्रय विक्रय का डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलने वाले इस प्लेटफार्म का निर्माण पुणे (महाराष्ट्र) के एक स्टार्टअप एग्री 10 एक्स ने किया है. इसके माध्यम से किसान कॉमन सर्विस सेंटर पर आकर देश भर के खरीददारों को अपनी फसल बेच सकते हैं. साथ ही उनकी फसल को ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है.

patna
लीची की बिक्री

डिजिटल क्रय विक्रय प्लेटफॉर्म से हुआ मुनाफा
मुजफ्फरपुर के लीची किसान सुनील कुमार ने अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर इस डिजिटल क्रय-विक्रय प्लेटफॉर्म पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर लीची के फसल की जानकारी डाली थी. जिसे लंदन में बैठे खरीददार ने देखा और इसे खरीदने में अपनी रूचि दिखाई. इसके बाद किसान और खरीददार में दाम तय होने के बाद खरीददार के संबंधी मुजफ्फरपुर आकर लीची की गुणवत्ता का मुआयना किया और अपनी रिपोर्ट भेजी. जब दोनों पक्षों में सहमति बन गई तो खरीददार ने किसान के खाते में आधे पैसे एडवांस के रूप में ट्रांसफर कर दिये. इसके बाद मंगलवार की सुबह लीची को तोड़ने का काम शुरू किया गया. बगीचे में भी खरीददार के प्रतिनिधि के सामने लीची तोड़ने, साफ करने और डब्बों में पैक करने का काम किया गया. सारी तैयारी होने के बाद गाड़ियों में भरकर इसे पटना हवाई अड्डे के लिए रवाना कर दिया गया.

फसल का मिला उचित मूल्य
किसान सुनील कुमार को भी इस माध्यम से लीची बेचने से अपनी फसल का अच्छा दाम मिल गया. पीएम देश में किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलवाने के लिए मंडी में फसल बेचने की बाध्यता को खत्म करने का फैसला लिया है. डिजिटल इंडिया अभियान के तहत कॉमन सर्विस सेंटर की ओर से किसान अपनी फसल अब देश-विदेश के किसी भी खरीददार को बेच सकते हैं. कॉमन सर्विस सेंटर ने इसके लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है. जिसको अभी पाइलेट के तौर पर बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर जिले में शुरू किया गया है. इसके तहत किसान कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर अपने आपको रजिस्टर करवाकर अपनी फसल का विवरण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डाल देना है. ऐसे में इसकी जानकारी देशभर के सभी खरीददारों को मिल जाएगी. जो भी खरीददार फसल के लिए किसान को सबसे अधिक दाम दे सकता है. किसान उसे फसल बेचने के लिए स्वतंत्र होता है.

  • Delighted that Litchi from Muzaffarpur is going to London.
    A farmer from Muzaffarpur in Bihar has sold Litchi to a buyer in London through digital platform of Common Service Center. Farmer not only got the best price for Litchis but also saved transportation related challenges. pic.twitter.com/vVhP06Gfp5

    — Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) June 9, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

फसल की जांच के लिए लगे हैं एक्सपर्ट
कॉमन सर्विस सेंटर के संचालक भी फसल की जांच में एक्सपर्ट का सहयोग करते हैं. एक्सपर्ट की रिपोर्ट वेबसाइट पर डालने के बाद किसान के खाते में खरीददार आधा पैसा एडवांस के रूप में भेज देता है. फिर इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े चालकों को सूचना दी जाती है. जो फसल को किसान के पास से उठाकर खरीददार के पास तक पहुंचा देते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में ट्रांसपोर्ट का खर्च खरीददार को ही वहन करना पड़ता है. जिससे किसान का मुनाफा और बढ़ जाता है. जैसे ही ट्रांसपोर्टर फसल को गाड़ी में लादने की सूचना डिजिटल प्लेटफॉर्म को देता है. वैसे ही खरीददार बचा हुआ पेमेंट किसान के बैंक खाते में भेज देता है. इसके बाद कॉमन सर्विस सेंटर के संचालक को भी कुल राशि का एक प्रतिशत कमीशन के तौर पर दिया जाता है. इस तरह ये पूरी प्रक्रिया डिजिटल तरीके से पूरी हो जाती है.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किया ट्वीट
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी ट्वीट करके इस पर अपनी प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि आज मुजफ्फरपुर की लीची लंदन तक जा रही है. कॉमन सर्विस सेंटर की ओर से ये संभव हो पाया है. इस से किसान को अपनी फसल का सही दाम भी मिलेगा और ट्रांसपोर्ट से जुडी समस्याओं से निजात भी मिलेगी. वहीं, इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना किसान सशक्तिकरण भी साकार होगा.

किसानों को की फसल का मिलेगा सही मूल्य
वहीं, इस विषय में कॉमन सर्विस सेंटर के बिहार के प्रमुख संतोष तिवारी ने जानकारी दी है कि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की प्रेरणा से बिहार के दो जिलों में कॉमन सर्विस सेंटर से कृषि उपज के विक्रय का काम शुरू किया गया है. अभी ये काम सिर्फ पटना और मुजफ्फरपुर जिले के कॉमन सर्विस सेंटर पर किया जा रहा है और धीरे-धीरे इससे किसान जुड़ते जा रहे हैं. जल्द ही बिहार के अन्य जिलों में भी किसानों को ये सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी. जिससे किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिलेगा और उनका सशक्तिकरण होगा.

पटना: राजधानी में मंगलवार 9 जून की सुबह बिहार की प्रसिद्द लीची के व्यापार के लिए ऐतिसाहिक सुबह बन गई. पहली बार मुजफ्फरपुर के एक लीची किसान ने अपने बगीचे की लीची को लंदन के खरीददार को बेचा. किसान ने कॉमन सर्विस सेण्टर के किसान ई-मार्ट नाम के डिजिटल क्रय विक्रय प्लेटफॉर्म पर इसकी विक्री की. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संस्था कॉमन सर्विस सेंटर ने कोरोना महामारी के समय में किसानों के लिए नई स्कीम लायी है. जिसमें किसान फसलों का उचित मूल्य उपलब्ध करवाने के लिए फसल क्रय विक्रय का डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है.

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलने वाले इस प्लेटफार्म का निर्माण पुणे (महाराष्ट्र) के एक स्टार्टअप एग्री 10 एक्स ने किया है. इसके माध्यम से किसान कॉमन सर्विस सेंटर पर आकर देश भर के खरीददारों को अपनी फसल बेच सकते हैं. साथ ही उनकी फसल को ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है.

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लीची की बिक्री

डिजिटल क्रय विक्रय प्लेटफॉर्म से हुआ मुनाफा
मुजफ्फरपुर के लीची किसान सुनील कुमार ने अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर इस डिजिटल क्रय-विक्रय प्लेटफॉर्म पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर लीची के फसल की जानकारी डाली थी. जिसे लंदन में बैठे खरीददार ने देखा और इसे खरीदने में अपनी रूचि दिखाई. इसके बाद किसान और खरीददार में दाम तय होने के बाद खरीददार के संबंधी मुजफ्फरपुर आकर लीची की गुणवत्ता का मुआयना किया और अपनी रिपोर्ट भेजी. जब दोनों पक्षों में सहमति बन गई तो खरीददार ने किसान के खाते में आधे पैसे एडवांस के रूप में ट्रांसफर कर दिये. इसके बाद मंगलवार की सुबह लीची को तोड़ने का काम शुरू किया गया. बगीचे में भी खरीददार के प्रतिनिधि के सामने लीची तोड़ने, साफ करने और डब्बों में पैक करने का काम किया गया. सारी तैयारी होने के बाद गाड़ियों में भरकर इसे पटना हवाई अड्डे के लिए रवाना कर दिया गया.

फसल का मिला उचित मूल्य
किसान सुनील कुमार को भी इस माध्यम से लीची बेचने से अपनी फसल का अच्छा दाम मिल गया. पीएम देश में किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलवाने के लिए मंडी में फसल बेचने की बाध्यता को खत्म करने का फैसला लिया है. डिजिटल इंडिया अभियान के तहत कॉमन सर्विस सेंटर की ओर से किसान अपनी फसल अब देश-विदेश के किसी भी खरीददार को बेच सकते हैं. कॉमन सर्विस सेंटर ने इसके लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है. जिसको अभी पाइलेट के तौर पर बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर जिले में शुरू किया गया है. इसके तहत किसान कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर अपने आपको रजिस्टर करवाकर अपनी फसल का विवरण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डाल देना है. ऐसे में इसकी जानकारी देशभर के सभी खरीददारों को मिल जाएगी. जो भी खरीददार फसल के लिए किसान को सबसे अधिक दाम दे सकता है. किसान उसे फसल बेचने के लिए स्वतंत्र होता है.

  • Delighted that Litchi from Muzaffarpur is going to London.
    A farmer from Muzaffarpur in Bihar has sold Litchi to a buyer in London through digital platform of Common Service Center. Farmer not only got the best price for Litchis but also saved transportation related challenges. pic.twitter.com/vVhP06Gfp5

    — Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) June 9, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

फसल की जांच के लिए लगे हैं एक्सपर्ट
कॉमन सर्विस सेंटर के संचालक भी फसल की जांच में एक्सपर्ट का सहयोग करते हैं. एक्सपर्ट की रिपोर्ट वेबसाइट पर डालने के बाद किसान के खाते में खरीददार आधा पैसा एडवांस के रूप में भेज देता है. फिर इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े चालकों को सूचना दी जाती है. जो फसल को किसान के पास से उठाकर खरीददार के पास तक पहुंचा देते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में ट्रांसपोर्ट का खर्च खरीददार को ही वहन करना पड़ता है. जिससे किसान का मुनाफा और बढ़ जाता है. जैसे ही ट्रांसपोर्टर फसल को गाड़ी में लादने की सूचना डिजिटल प्लेटफॉर्म को देता है. वैसे ही खरीददार बचा हुआ पेमेंट किसान के बैंक खाते में भेज देता है. इसके बाद कॉमन सर्विस सेंटर के संचालक को भी कुल राशि का एक प्रतिशत कमीशन के तौर पर दिया जाता है. इस तरह ये पूरी प्रक्रिया डिजिटल तरीके से पूरी हो जाती है.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किया ट्वीट
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी ट्वीट करके इस पर अपनी प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि आज मुजफ्फरपुर की लीची लंदन तक जा रही है. कॉमन सर्विस सेंटर की ओर से ये संभव हो पाया है. इस से किसान को अपनी फसल का सही दाम भी मिलेगा और ट्रांसपोर्ट से जुडी समस्याओं से निजात भी मिलेगी. वहीं, इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना किसान सशक्तिकरण भी साकार होगा.

किसानों को की फसल का मिलेगा सही मूल्य
वहीं, इस विषय में कॉमन सर्विस सेंटर के बिहार के प्रमुख संतोष तिवारी ने जानकारी दी है कि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की प्रेरणा से बिहार के दो जिलों में कॉमन सर्विस सेंटर से कृषि उपज के विक्रय का काम शुरू किया गया है. अभी ये काम सिर्फ पटना और मुजफ्फरपुर जिले के कॉमन सर्विस सेंटर पर किया जा रहा है और धीरे-धीरे इससे किसान जुड़ते जा रहे हैं. जल्द ही बिहार के अन्य जिलों में भी किसानों को ये सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी. जिससे किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिलेगा और उनका सशक्तिकरण होगा.

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