पटना : बिहार में मुकेश सहनी को मंत्री पद गंवाना पड़ा. मुख्यमंत्री की अनुसंशा के बाद राज्यपाल की अनुमिति मिलते ही राज्य सरकार ने हटा (Mukesh Sahani Remove From Nitish Cabinet ) दिया. सरकार की ओर से नोटिफिकेशन भी जारी हो चुका है. मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग की अधिसूचना में बताया गया है कि राज्यपाल के आदेश से मुकेश सहनी अब बिहार सरकार में मंत्री नहीं रहे. गौरतलब है कि मुकेश सहनी को हटाने के बाद पशुपालन एवं मत्स्य विभाग का प्रभार डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद को सौंप दिया गया है.
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27 मार्च से प्रभावी है बर्खास्तगी का आदेश : 28 मार्च 2022 को सचिवालय मंत्रालय विभाग की ओर से एक पत्र जारी कर लिखा गया है कि- 'भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (1) में निहित प्रावधान के अंतर्गत मुकेश सहनी दिनांक 27 मार्च 2022 के प्रभाव से राज्य के मंत्री तथा मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं रहे.' बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 164 (1) के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह पर की जाती है. ऐसे में मुख्यमंत्री की अनुसंशा स्वीकार लेने के बाद मंत्री को हटा दिया जाता है.
मंत्री इस्तीफा ना दे तो कैसे होती है कार्रवाई : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में जब सीएम नीतीश गए हुए थे तभी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और नीतीश की मुलाकात के दौरान ही मुकेश सहनी के इस्तीफे की स्क्रिप्ट लिख दी गई थी. मुकेश सहनी से इस्तीफे की मांग की जा रही थी. अगर मुकेश सहनी इस्तीफा दे देते तो उन्हें बर्खास्त करने की कार्रवाई नहीं करनी पड़ती. मुकेश सहनी सीएम नीतीश को इस्तीफा भेजते जिसे मुख्यमंत्री स्वीकार लेते.
मंत्रिमंडल सचिवालय जारी करता है अधिसूचना : दरअसल, मुकेश सहनी को हटाने के लिए मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को अनुसंशा भेजी थी. जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया. क्योंकि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है. वहीं अन्य मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल द्वारा की जाती है. इसलिए मुकेश सहनी मंत्री पद से हटा दिए गए. इसकी अधिसूचना मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग जारी (Notification of Bihar Cabinet Secretariat Department) करता है. इसी नोटिफिकेशन के बाद राज्य सरकार के मंत्री को औपचारिक रूप से पदविहीन मान लिया जाता है. मुकेश सहनी ने अपने ट्विटर एकाउंट पर आज ही स्टेटस भी अपडेट किया है जिसमें उन्होंने खुद को पूर्व मिनिस्टर बिहार सरकार लिखा हुआ बताया है.
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NDA के सभी सहयोगी दल एवं माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी को मुझे यह अवसर देने के लिए आभार।
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मैं निषाद समाज को SC/ST आरक्षण, अतिपिछड़ा समाज के आरक्षण को 15% बढ़ाने एवं बिहार और बिहारियों के सम्मान और सम्पूर्ण विकास के लड़ाई के लिए समर्पित हूँ। (2/2)
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मैं निषाद समाज को SC/ST आरक्षण, अतिपिछड़ा समाज के आरक्षण को 15% बढ़ाने एवं बिहार और बिहारियों के सम्मान और सम्पूर्ण विकास के लड़ाई के लिए समर्पित हूँ। (2/2)
23 मार्च को सहनी के विधायक बीजेपी में हुए थे शामिल: 23 मार्च को सहनी के तीनों विधायक राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने पार्टी छोड़ दी और BJP में शामिल हो गए. तीनों विधायकों के शामिल होने के बाद ही BJP के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा था कि तीनों विधायक हमेशा से BJP के थे. मुकेश सहनी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि जब तक सीएम नीतीश चाहेंगे मंत्री पद पर रहेंगे, लेकिन वो इस्तीफा नहीं देंगे. गौरतलब है कि मुकेश सहनी को हटाने के बाद पशुपालन एवं मत्स्य विभाग का प्रभार डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद को सौंप दिया गया है.
यहां से डगमगाई मुकेश सहनी की नाव : भारतीय जनता पार्टी ने मुजफ्फरपुर के बोचहां उपचुनाव में भी कैंडिडेट उतार दिया. यह सीट विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के विधायक रहे मुसाफिर पासवान के निधन के कारण खाली हुई थी. 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर एनडीए से वीआईपी लड़ी थी, लेकिन उपचुनाव के लिए बीजेपी ने यह सीट वीआईपी को नहीं दी. इस उपचुनाव के लिए 12 अप्रैल को वोटिंग होगी और 16 अप्रैल को नतीजे आएंगे. यहां बीजेपी से बेबी कुमारी, वीआईपी से डॉक्टर गीता और आरजेडी से अमर पासवान प्रत्याशी हैं. यूपी विधानसभा में चुनावं लड़े तो लड़े लेकिन NDA में रहते हुए बोचहां विधानसभा उपचुनाव और एमएलसी चुनाव में एनडीए प्रत्याशी के सामने अपना अलग उम्मीदवार खड़ा करना मुकेश सहनी को भारी पड़ गया.
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