पटना (मसौढ़ी): कोरोना संक्रमण को देखते हुए मोहर्रम (Muharram 2021) को लेकर पूरे देश में जुलूस पर रोक है. मदरसों, इमामबाड़ा पर मजलिसों के दौर पर भी पाबंदी है. लेकिन सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए कई जगहों पर ताजिया रखकर लोग हाय हुसैन की याद में मातम मना रहे हैं.
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मुहर्रम को मुहर्रम-उल-हरम (Muharram-ul-Haram) भी कहा जाता है. दुनिया भर के मुस्लिम समुदाय (Muslim community ) के लिए यह रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना (second holiest month) माना जाता है. मोहर्रम का महीना इस्लामिक कैलेंडर (islamic calendar) का पहला महीना होता है. यह महीना शिया और सुन्नी मुस्लिम समुदाय (Shia and Sunni Muslim communities) के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस माह के 10वें दिन आशुरा मनाया जाता है. यह इस्लाम (Islam) मजहब का प्रमुख त्योहार है.
बता दें कि मोहर्रम जुलूस पर रोक के बावजूद अपनी मन्नत पूरी करने के लिए कई जगहों पर लोग सामूहिक तौर पर अपने गांव, टोला और मोहल्ले में ताजिया बनाकर फातिहा पढ़ रहे हैं.
बताया जाता है कि अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए और अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए लोग ताजिया को रखकर फातिहा पढ़ते हैं.
मातम का पर्व मुहर्रम के मौके पर कोरोना को लेकर इस बार सभी मदरसा और इमामबाड़ा की गलियां सूनी पड़ी हुई हैं. शांतिपूर्ण तरीके से सभी मुस्लिम इलाकों में अपने-अपने मोहल्ले टोले में ही पर्व मना रहे हैं.
मोहर्रम में शांति सुरक्षा को लेकर एहतियात बरतते हुए मसौढ़ी अनुमंडल में कुल 35 जगहों को संवेदनशील घोषित करते हुए सभी जगह पर मजिस्ट्रेट और पुलिस की तैनाती की गई है. मसौढ़ी में नदौल, पीपला, भगवान गंज, बिजोरा, दनाडा, रहमतगंज, पुरानी बाजार मलिकाना, धनरूआ में बरनी, अतरपुरा, कादिरगंज, पुनपुन में लखना समेत कुल 35 जगहों पर दंडाधिकारी और पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है.
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