पटना: बिहार में कॉविड मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. अस्पताल, बेड और ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए मारामारी जारी है और इन सबके बीच कोविड-19 को लेकर मरीजों के मन में जो भय और तनाव है वह उनके इलाज में कहीं न कहीं बड़ी बाधा बन रहा है. हाल के दिनों में अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों की हार्ट अटैक से मौत पर गौर करें तो इसकी बड़ी वजह मरीजों के मन में पैदा हुआ वह भय है जो उनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है.
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भय से मौत
हाल के दिनों में 35 से 50 साल के लोग जो कोरोनावायरस अस्पताल में इलाज करा रहे थे इनमें से कई की मौत की वजह हार्ट अटैक रही है. इसमें एक तरफ जहां शारीरिक परेशानियां और अन्य बीमारियां वजह बन रही हैं. वहीं एक बड़ी वजह मरीजों के मन में बैठा मौत का भय है जो उनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है.
दरभंगा में आया ऐसा ही एक मामला
कोरोना के डर से मौत का एक मामला सामने आया है जो एक मई का है. जब दरभंगा में एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहे 48 वर्ष के एक मरीज की मौत हार्ट अटैक से हो गई. मरीज के परिजनों के मुताबिक मरीज अपने बेड के बगल में इलाजरत एक मरीज की मौत से डर गया था. और उसने फोन करके अपने परिजनों से जल्द से जल्द दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने को कहा था. उसके कुछ ही देर में उस मरीज की मौत हार्ट अटैक से हो गई. जबकि उस मरीज का ऑक्सीजन लेवल करीब 90 के आसपास था.
'मरीज की स्थिति दिनों दिन बेहतर हो रही थी लेकिन वह अस्पताल में एक अन्य मरीज की मौत देख कर इतने डर गए कि फोन करके जल्द से जल्द उन्हें दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने को कहा था. हम जब तक कुछ कर पाते तब तक उन्हें हार्ट अटैक आ गया और उनकी मौत हो गई.'- संजीव, मृतक के परिजन
एक्सपर्ट की राय
इस बारे में मेडिकल एक्सपर्ट डॉ दिवाकर तेजस्वी का कहना है कि " देश में हर दिन करीब चार लाख मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में स्थिति भयावह है और इस भयावह स्थिति में अस्पतालों में ना तो पर्याप्त संख्या में बेड है और ना ही अन्य जरूरी इंतजाम. इस दौरान जो मरीज भर्ती हो रहे हैं वे काफी काफी तनाव में रहते हैं. कई मरीज ऐसे भी होते हैं जिनका ऑक्सीजन लेवल इतना कम नहीं होता कि उन्हें सघन चिकित्सा की जरूरत पड़े फिर भी वह घबराहट में अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं और ऐसे में उनके शरीर में अन्य परेशानियां सामने आ जाती हैं.
'इस बीमारी की वजह से हार्ट की रक्त नलिका में ब्लड क्लोटिंग की समस्या हो सकती है, जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा जब व्यक्ति को तनाव होता है तो इससे मरीज का ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और उसके बाद शरीर में कोविड-19 की वजह से हुए परिवर्तन और तनाव बढ़ने से मरीज पर इसका डेडली इफेक्ट होता है. हार्ट अटैक से उसकी मौत भी हो जाती है. यही वजह है कि हाल के दिनों में युवा वर्ग में संक्रमितों में हार्ट अटैक से मौत के केस ज्यादा सामने आ रहे हैं.'- डॉ दिवाकर तेजस्वी, एक्सपर्ट
हिम्मत नहीं हारना है
डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 इलाज के दौरान मरीजों को अपना हौसला बनाए रखना चाहिए और इसमें बड़ी भूमिका मरीजों के परिजनों की होती है. जिन्हें अपने मरीज यानी कोविड संक्रमित व्यक्ति का हौसला बढ़ाते रहना है और विश्वास दिलाना है कि वह जल्द ठीक हो जाएगा. साथ ही मरीजों को जितना हो सके नकारात्मकता प्रदान करने वाली चीजों से दूर रखना चाहिए ताकि उसकी ठीक होने की इच्छाशक्ति प्रबल हो सके.
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