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प्रदेश भर में 10 लाख से अधिक दाखिल-खारिज मामले लंबित - The root cause of criminal land dispute

राजस्व एवं सुधार विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्यभर में 10 लाख से अधिक दाखिल खारिज के मामले में लंबित हैं. जो कुल आवेदन के तकरीबन 31 प्रतिशत के करीब हैं. राज्य में अब तक दाखिल खारिज के लिए तकरीबन 47 लाख आवेदन आए हैं. जिसमें से तकरीबन 23 लाख मामलों का निपटारा किया गया. वहीं, यह बात विदित है कि राज्य में आपराधिक घटनाओं का एक मुख्य जड़ भूमि विवाद भी रहा है.

राज्य में दाखिल खारिज लंबित
बिहार में दस लाख दाखिल खारिज मामले लंबित
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Published : Jan 31, 2021, 2:34 PM IST

पटना: राज्य में आपराधिक घटनाओं की सबसे मजबूत जड़ भूमि विवाद रहा है. सीएम नीतीश कुमार ने भी भूमि-विवाद निपाटारे के लिए कई चरणों में आधिकारियों को काम करने के निर्देश दिए हैं. लेकिन सीएम के निर्देश के असर अधिकारियों पर होता दिखाई नहीं दे रहा है.

सूबे का लगभग हर आदमी आज किसी न किसी जमीनी मामलों में फंसा है. दाखिल खारिज से जूझते-जूझते उसके चेहरों पर झूर्रियां आ जाती है. लेकिन केस खत्म होने का नाम नहीं लेता है. हालांकि, विभाग ने अब नए निर्देश लागू करते हुए समय सीमा के भीतर दाखिल खारिज करने का निर्देश राज्य के सभी जिलों को दे रखा है.

यह भी पढ़ें: डीआईजी आए निरीक्षण करने, महकमे ने किया 'रेड कार्पेट वेलकम'

10 लाख से अधिक मामले लंबित
वहीं, विभाग के कर्मचारियों के लाल फीताशाही रवैये के कारण लोग प्रतिदिन दफ्तरों में चप्पल घिस कर मायूसी के साथ घर लौट जाते हैं. ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य भर में 10 लाख से अधिक दाखिल खारिज के मामले में लंबित हैं. जो कुल आवेदन के तकरीबन 31 प्रतिशत के करीब हैं. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में अब तक दाखिल खारिज के लिए तकरीबन 47 लाख आवेदन आए हैं. जिसमें से तकरीबन 23 लाख मामलों का निपटारा किया गया. जबकि तकरीबन 13 लाख 70 हजार आवेदनों को कई कारणों से रद्द कर दिया गया है.

लंबित मामलों का आंकड़ा.

पटना 44,000
गया 33907
सारण 31640
भोजपुर 37391
पूर्वी चंपारण 29406
रोहतास 28549
पूर्णिया 26340
नालंदा 23010

राजस्वकर्मियों की कमी और लेट लतीफी है मुख्य जड़

वहीं, विभाग के अधिकारियों ने भी माना है कि राज्य में राजस्व कर्मियों की कमी और उदासीन रवैया से दाखिल खारिज के लाखों मामले लंबित हैं. साथ ही कई राजस्व कर्मचारियों के ऊपर कई पंचायतों की काम को निपटाने की जिम्मेवारी होने के कारण भी दाखिल खारिज रसीद काटने में देरी होता है. राज्य के कई जिलों में सर्वर के खराब होने या स्लो रहने की भी शिकायतें मिलती रहती है. हालांकि इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी जिलों में एक अलग से आईटी सेल का भी गठन किया है. जो सर्वर मेंटिनेस का काम देखता है.

गौरतलब है कि जमीन का दाखिल खारिज नहीं होने के कारण जमीन के मालिकों को जमाबंदी रसीद नहीं कट पा रहे हैं. साथ ही मालिकाना हक का को प्रमाण जमीन के मालिक के पास नहीं होने के कारण वे जमीन पर कब्जा नहीं ले सकते. दाखिल खारिज भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र (एलपीसी) बनाने के लिए आवश्यक है. एलपीसी के कृषि ऋण व अन्य ऋणों की प्राप्ति वित्तीय संस्थानों से नहीं की जा सकती है. आय प्रमाण पत्र बनाने के पूर्व भी दाखिल खारिज कर एलपीसी को हासिल करना जरूरी होता है.

पटना: राज्य में आपराधिक घटनाओं की सबसे मजबूत जड़ भूमि विवाद रहा है. सीएम नीतीश कुमार ने भी भूमि-विवाद निपाटारे के लिए कई चरणों में आधिकारियों को काम करने के निर्देश दिए हैं. लेकिन सीएम के निर्देश के असर अधिकारियों पर होता दिखाई नहीं दे रहा है.

सूबे का लगभग हर आदमी आज किसी न किसी जमीनी मामलों में फंसा है. दाखिल खारिज से जूझते-जूझते उसके चेहरों पर झूर्रियां आ जाती है. लेकिन केस खत्म होने का नाम नहीं लेता है. हालांकि, विभाग ने अब नए निर्देश लागू करते हुए समय सीमा के भीतर दाखिल खारिज करने का निर्देश राज्य के सभी जिलों को दे रखा है.

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10 लाख से अधिक मामले लंबित
वहीं, विभाग के कर्मचारियों के लाल फीताशाही रवैये के कारण लोग प्रतिदिन दफ्तरों में चप्पल घिस कर मायूसी के साथ घर लौट जाते हैं. ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य भर में 10 लाख से अधिक दाखिल खारिज के मामले में लंबित हैं. जो कुल आवेदन के तकरीबन 31 प्रतिशत के करीब हैं. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में अब तक दाखिल खारिज के लिए तकरीबन 47 लाख आवेदन आए हैं. जिसमें से तकरीबन 23 लाख मामलों का निपटारा किया गया. जबकि तकरीबन 13 लाख 70 हजार आवेदनों को कई कारणों से रद्द कर दिया गया है.

लंबित मामलों का आंकड़ा.

पटना 44,000
गया 33907
सारण 31640
भोजपुर 37391
पूर्वी चंपारण 29406
रोहतास 28549
पूर्णिया 26340
नालंदा 23010

राजस्वकर्मियों की कमी और लेट लतीफी है मुख्य जड़

वहीं, विभाग के अधिकारियों ने भी माना है कि राज्य में राजस्व कर्मियों की कमी और उदासीन रवैया से दाखिल खारिज के लाखों मामले लंबित हैं. साथ ही कई राजस्व कर्मचारियों के ऊपर कई पंचायतों की काम को निपटाने की जिम्मेवारी होने के कारण भी दाखिल खारिज रसीद काटने में देरी होता है. राज्य के कई जिलों में सर्वर के खराब होने या स्लो रहने की भी शिकायतें मिलती रहती है. हालांकि इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी जिलों में एक अलग से आईटी सेल का भी गठन किया है. जो सर्वर मेंटिनेस का काम देखता है.

गौरतलब है कि जमीन का दाखिल खारिज नहीं होने के कारण जमीन के मालिकों को जमाबंदी रसीद नहीं कट पा रहे हैं. साथ ही मालिकाना हक का को प्रमाण जमीन के मालिक के पास नहीं होने के कारण वे जमीन पर कब्जा नहीं ले सकते. दाखिल खारिज भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र (एलपीसी) बनाने के लिए आवश्यक है. एलपीसी के कृषि ऋण व अन्य ऋणों की प्राप्ति वित्तीय संस्थानों से नहीं की जा सकती है. आय प्रमाण पत्र बनाने के पूर्व भी दाखिल खारिज कर एलपीसी को हासिल करना जरूरी होता है.

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