रोहतास: कोरोना वायरस से बचाव को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. जिस प्रकार से देश में कोरोना वायरस के मामले सामने आ रहे हैं ऐसे में इसकी अवधि को 3 मई तक बढ़ा दी गयी है. वहीं इस अवधि में बेसहारों के लिए तो कई समाजिक संस्था समेत सरकारी राहत कदम उठाए गए. लेकिन जिले की भलूनी धाम में सैकड़ों बंदर भूख से तड़प रहे हैं. धाम में रहने वाले इन बेजुबानों को कोई पूछने वाला नहीं है. हालांकि स्थानीय ग्रामीणों ने इन सैकड़ों बेजुबानों को भोजन कराने का बीड़ा उठाया है.
'मंदिर बंद होने के बाद भटक रहे बंदर'
स्थानीय ग्रामीण मुक्तेश्वर पांडेय और मृनाल किशोर बताते हैं कि सरकार के आदेशानुसार मंदीर को लॉकडाउन की अवधि में बंद किया गया है. बंदी के पूर्व धाम में हजारों भक्त माता के दरबार में दर्शन करने के लिए आते थे. लॉकडाउन के बाद ये बंदर भूख के कारण इधर-उधर भटक रहे हैं. इस धाम में लगभग एक हजार बंदर हैं. हालांकि इन बेजुबानों की दयनीय स्थिति को देखते हुए गांव के ग्रामीणों ने बंदरों के लिए भोजन प्रबंध का बीड़ा उठा लिया है. ग्रमीणों ने बताया कि जब तक बंदी रहेगा तब तक हमलोग गांव में घूम-घूम कर भोजन जमा कर बंदरों को खिलाएंगे.
'मां के दर्शन के बाद बंदरों को खिलाते थे प्रसाद'
स्थानीय लोगों का कहना है कि माता के दर्शन के बाद भक्त बंदरों को प्रसाद खिलाते थे. लोगों को मानना है कि मां के दर्शन के बाद बंदरों को प्रसाद खिलाने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. ग्रामीणों ने बताया कि जब तक स्तिथि सामान्य थी. मां का दरबार यहां हर रोज सजा करता था. स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से बेजुबानों की मदद की अपील की है.
गौरतलब है कि प्रखंड मुख्यालय से सात किमी भलुनी स्थित यक्षिणी भवानी धाम अति प्राचीन प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है. यहां श्रीमद देवी भागवत, मार्कण्डेय पुराण के अलावे वाल्मीकि रामायण में भी यक्षिणी भवानी का वर्णन मिलता है. दंतकथाओं के अनुसार देवासुर संग्राम के बाद अहंकार से भरे इंद्र को यक्षिणी देवी ने यहीं सत्य का पाठ पढ़ाया था. इसके बाद इंद्र ने देवी दर्शन के बाद उनकी स्थापना की थी. मां यक्षिणी दुर्गा देवी का ही एक रूप है.