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पटना: निजी अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में FIR, CCTV खंगालने में जुटी पुलिस

पटना के एक निजी अस्पताल पर महिला से दुष्कर्म की कोशिश करने का आरोप लगा है. इस मामले को लेकर केस दर्ज किया गया है. अब पुलिस अस्पताल का सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है.

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Published : May 21, 2021, 9:34 PM IST

Updated : May 21, 2021, 10:45 PM IST

पटना: राजधानी पटना में एक निजी अस्पताल में जिस कोरोना पीड़िता से दुष्कर्म की कोशिश का आरोप गया था, उसकी मौत हो गई है. अब मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मां की मौत के बाद बेटी ने मौत को मर्डर करार देते हुए शास्त्रीनगर थाने में केस दर्ज कराया है. मृतका की बेटी के बयान पर धारा 166 बी, 354 और 136 धारा के तहत केस दर्ज किया गया है.

जानकारी के अनुसार, मृतका आंगनबाड़ी सेविका थी और यह परिवार मूल रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा का रहने वाला है. बता दें कि मृतका की मौत के बाद निजी अस्पताल को बंद करवाने को लेकर सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: कोरोना पीड़िता से दुष्कर्म का मामला: न्यायिक जांच की मांग पर AISF का प्रदर्शन

बेटी के आवेदन पर मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने छानबीन दोबारा शुरू कर दी है. बेटी के फर्द बयान को उस वक्त अस्पताल में मौजूद कर्मियों के बयान से मिलान किया जा रहा है. साथ ही पुलिस अस्पताल की सीसीटीवी भी खंगाल रही है.

पुलिस द्वारा छानबीन में पता चला है कि घटना वाली रात आईसीयू में 10 कर्मी तैनात थे. उनसे पूछताछ की जा रही है. वहीं, पुलिस ने उस रात वार्ड में भर्ती मरीजों का पता और मोबाइल नंबर भी अस्पताल प्रशासन से लिया है. ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके. मिल रही जानकारी के अनुसार बदसलूकी और गलत इंजेक्शन देने के आरोप की अलग-अलग टीम बनाकर जांच कराई जाएगी.

ये भी पढ़ें: ICU में गैंगरेप मामला: मौत के बाद पीड़िता की बेटी बोली- 'डर से थी चुप, अस्पताल पर चले मर्डर और दुष्कर्म का केस'

क्या कहना था अस्पताल प्रबंधन का?
अस्पताल प्रबंधन ने इस पूरे मामले को बेबुनियाद और झूठा बताया है. अस्‍पताल प्रशासन ने दावा किया था कि इस महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. वह बार-बार मेडिकल उपकरणों को निकाल देती है. जिस वार्ड में महिला का इलाज हो रहा है, वहां और भी कई मरीज भर्ती हैं. जैसा आरोप लगाया जा रहा है, वैसा कुछ वहां हो ही नहीं सकता.

हालांकि, अस्पताल प्रबंधन की ओर से पुलिस की जांच में हरसंभव सहयोग करने का दावा किया गया है. महिला की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा 1 लाख 60 हजार के बिल पूरी तरह से माफ भी कर दिया गया था. फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले की छानबीन में जुटी हुई है और मजिस्ट्रेट भी जिला प्रशासन के निर्देश पर अपने स्तर से जांच कर रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?
राजधानी के एक बड़े निजी अस्पताल के आईसीयू में कोरोना से जंग लड़ रही महिला के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था. महिला की बेटी के आरोप के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया. घटना की सूचना के बाद शास्त्रीनगर थाने की एक टीम अस्पताल पहुंची और महिला के परिजनों से पूछताछ की थी. इस बारे में महिला की बेटी का कहना था कि सोमवार को जब मैं अस्पताल पहुंची, तो मां ने इशारों में बताया कि उसके साथ रविवार की रात गलत काम हुआ है. रात में मेरे घर जाने के बाद आईसीयू में 3 से 4 लोग घुस गए और मेरी मां के साथ इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया.

जांच के लिए की थी पैरवी
वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिला कोविड मरीज से कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म की घटना की समयबद्ध जांच की पैरवी की थी. राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा कि वह इस मामले का संज्ञान लें और जिला पुलिस अधिकारियों एवं अस्पताल को उचित दिशा-निर्देश दें. आयोग ने एक बयान में कहा कि महामारी के दौरान अस्पतालों में महिलाओं के साथ हो रहे अपराध को लेकर वह चिंतित है.

पटना: राजधानी पटना में एक निजी अस्पताल में जिस कोरोना पीड़िता से दुष्कर्म की कोशिश का आरोप गया था, उसकी मौत हो गई है. अब मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मां की मौत के बाद बेटी ने मौत को मर्डर करार देते हुए शास्त्रीनगर थाने में केस दर्ज कराया है. मृतका की बेटी के बयान पर धारा 166 बी, 354 और 136 धारा के तहत केस दर्ज किया गया है.

जानकारी के अनुसार, मृतका आंगनबाड़ी सेविका थी और यह परिवार मूल रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा का रहने वाला है. बता दें कि मृतका की मौत के बाद निजी अस्पताल को बंद करवाने को लेकर सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया जा रहा है.

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बेटी के आवेदन पर मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस ने छानबीन दोबारा शुरू कर दी है. बेटी के फर्द बयान को उस वक्त अस्पताल में मौजूद कर्मियों के बयान से मिलान किया जा रहा है. साथ ही पुलिस अस्पताल की सीसीटीवी भी खंगाल रही है.

पुलिस द्वारा छानबीन में पता चला है कि घटना वाली रात आईसीयू में 10 कर्मी तैनात थे. उनसे पूछताछ की जा रही है. वहीं, पुलिस ने उस रात वार्ड में भर्ती मरीजों का पता और मोबाइल नंबर भी अस्पताल प्रशासन से लिया है. ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके. मिल रही जानकारी के अनुसार बदसलूकी और गलत इंजेक्शन देने के आरोप की अलग-अलग टीम बनाकर जांच कराई जाएगी.

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क्या कहना था अस्पताल प्रबंधन का?
अस्पताल प्रबंधन ने इस पूरे मामले को बेबुनियाद और झूठा बताया है. अस्‍पताल प्रशासन ने दावा किया था कि इस महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. वह बार-बार मेडिकल उपकरणों को निकाल देती है. जिस वार्ड में महिला का इलाज हो रहा है, वहां और भी कई मरीज भर्ती हैं. जैसा आरोप लगाया जा रहा है, वैसा कुछ वहां हो ही नहीं सकता.

हालांकि, अस्पताल प्रबंधन की ओर से पुलिस की जांच में हरसंभव सहयोग करने का दावा किया गया है. महिला की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा 1 लाख 60 हजार के बिल पूरी तरह से माफ भी कर दिया गया था. फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले की छानबीन में जुटी हुई है और मजिस्ट्रेट भी जिला प्रशासन के निर्देश पर अपने स्तर से जांच कर रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?
राजधानी के एक बड़े निजी अस्पताल के आईसीयू में कोरोना से जंग लड़ रही महिला के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था. महिला की बेटी के आरोप के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया. घटना की सूचना के बाद शास्त्रीनगर थाने की एक टीम अस्पताल पहुंची और महिला के परिजनों से पूछताछ की थी. इस बारे में महिला की बेटी का कहना था कि सोमवार को जब मैं अस्पताल पहुंची, तो मां ने इशारों में बताया कि उसके साथ रविवार की रात गलत काम हुआ है. रात में मेरे घर जाने के बाद आईसीयू में 3 से 4 लोग घुस गए और मेरी मां के साथ इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया.

जांच के लिए की थी पैरवी
वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिला कोविड मरीज से कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म की घटना की समयबद्ध जांच की पैरवी की थी. राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा कि वह इस मामले का संज्ञान लें और जिला पुलिस अधिकारियों एवं अस्पताल को उचित दिशा-निर्देश दें. आयोग ने एक बयान में कहा कि महामारी के दौरान अस्पतालों में महिलाओं के साथ हो रहे अपराध को लेकर वह चिंतित है.

Last Updated : May 21, 2021, 10:45 PM IST
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