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पटना: मसौढ़ी में चलंत शौचालय बने शोभा की वस्तु, जर्जर होकर खा रहे जंग

स्वच्छ भारत मिशन के तहत मसौढ़ी नगर परिषद की ओर से खरीदे गए चलंत शौचालय इन दिनों शोभा की वस्तु बने हुए हैं. सड़क के किनारे चलंत शौचालय जंग खाकर जर्जर हो चुके हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : Apr 25, 2021, 6:27 PM IST

पटना: स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्त को लेकर नगर परिषद प्रशासन की ओर से वित्तीय वर्ष 2018-19 में खरीदे गए चलंत शौचालय आज सड़क किनारे जंग खाकर जर्जर हो रहे हैं. ये महज शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं. बताया जाता है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों और महादलित टोलों में लोगों के लिए चलंत शौचालय की खरीद की गई थी. जिस मकसद के लिए यह चलंत शौचालय की खरीद की गई थी, आज वह मिशन अधूरा है.

ये भी पढ़ें- कोविड महामारी के बीच मिली हनुमान जी की 'संजीवनी', मुफ्त ऑक्‍सीजन, इलाज सहित कई सुविधाएं भी

चलंत शौचालय बने दिखावे की वस्तु
नगर परिषद प्रशासन की ओर से 55 हजार की प्रति सीट के तहत 6 सीटर की दो गाड़ियां और 4 सीटर की 1 गाड़ी की खरीद की थी. यानी कुल 10 लाख खर्च कर इन्हें खरीदा गया था. ये चलंत शौचालय महज दिखावे की वस्तु बनकर रह गए हैं.

चलंत शौचालय बने शोभा की वस्तु
चलंत शौचालय बने शोभा की वस्तु

'शौच मुक्त' का मिशन अधूरा
लेकिन, कुछ तकनीकी कारणों के चलते ना ठेकेदार को पैसे मिले और ना ही चलंत शौचालय ऑन रोड हो सका है. सवाल सीधे सिस्टम से है कि आखिर किस मकसद से चलंत शौचालय की खरीदी की गई थी, क्योंकि जिस मकसद से इनकी खरीदी की गई थी वो मकसद आज भी अधूरा है.

''ये चलंत शौचालय किसी मकसद से खरीदे गए थे, लेकिन ठेकेदार की कुछ कमियों के कारण ये चलंत शौचालय ऑन रोड नहीं हो सके हैं. उसका पैसा भी रोक दिया गया है, मामला कोर्ट में चल रहा है''- किशोर कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी

ये भी पढ़ें- पटना में प्रचार गाड़ी से जागरूकता अभियान, शहर वासियों से घरों में रहने की अपील

शहर में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं
आम आवाम और शहरी क्षेत्र के लोग चलंत शौचालय का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन का सपना मसौढ़ी में अधूरा है. हालात ये है कि शहर में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है. ऐसे में दूर देहात से आए हुए लोगों को शहरों में यूरिनल या शौचालय जाने के लिए परेशान होना पड़ता है.

पटना: स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्त को लेकर नगर परिषद प्रशासन की ओर से वित्तीय वर्ष 2018-19 में खरीदे गए चलंत शौचालय आज सड़क किनारे जंग खाकर जर्जर हो रहे हैं. ये महज शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं. बताया जाता है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों और महादलित टोलों में लोगों के लिए चलंत शौचालय की खरीद की गई थी. जिस मकसद के लिए यह चलंत शौचालय की खरीद की गई थी, आज वह मिशन अधूरा है.

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चलंत शौचालय बने दिखावे की वस्तु
नगर परिषद प्रशासन की ओर से 55 हजार की प्रति सीट के तहत 6 सीटर की दो गाड़ियां और 4 सीटर की 1 गाड़ी की खरीद की थी. यानी कुल 10 लाख खर्च कर इन्हें खरीदा गया था. ये चलंत शौचालय महज दिखावे की वस्तु बनकर रह गए हैं.

चलंत शौचालय बने शोभा की वस्तु
चलंत शौचालय बने शोभा की वस्तु

'शौच मुक्त' का मिशन अधूरा
लेकिन, कुछ तकनीकी कारणों के चलते ना ठेकेदार को पैसे मिले और ना ही चलंत शौचालय ऑन रोड हो सका है. सवाल सीधे सिस्टम से है कि आखिर किस मकसद से चलंत शौचालय की खरीदी की गई थी, क्योंकि जिस मकसद से इनकी खरीदी की गई थी वो मकसद आज भी अधूरा है.

''ये चलंत शौचालय किसी मकसद से खरीदे गए थे, लेकिन ठेकेदार की कुछ कमियों के कारण ये चलंत शौचालय ऑन रोड नहीं हो सके हैं. उसका पैसा भी रोक दिया गया है, मामला कोर्ट में चल रहा है''- किशोर कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी

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शहर में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं
आम आवाम और शहरी क्षेत्र के लोग चलंत शौचालय का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन का सपना मसौढ़ी में अधूरा है. हालात ये है कि शहर में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है. ऐसे में दूर देहात से आए हुए लोगों को शहरों में यूरिनल या शौचालय जाने के लिए परेशान होना पड़ता है.

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