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राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले MLC के 12 सीटों पर नहीं लगी कैबिनेट की मुहर

राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले विधान परिषद की सीटों पर कैबिनेट में मुहर नहीं लगने से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. एनडीए के तीनों घटक दलों के बीच सहमति बन चुकी है. आने वाले दिनों में उम्मीदवारों के नाम पर कैबिनेट की मुहर भी लग जाएगी.

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Published : Jul 3, 2020, 11:01 PM IST

पटना
पटना

पटना: बिहार विधान परिषद के राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले 12 सीटों को लेकर शुक्रवार को दूसरी बार कैबिनेट बैठक हुई. लेकिन इसमें एमएलसी उम्मीदवारों के नाम पर मुहर नहीं लगी.

बता दें कि बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और संजय जयसवाल ने 2 दिन के अंतराल में मुख्यमंत्री से दो बार मुलाकात की है. 1 जुलाई को और 2 जुलाई को यह बैठक हुई थी. कयास लगाए जा रहे थे कि कैबिनेट की दूसरी बार बुलाई गई बैठक में राज्यपाल मनोनीत उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लग जाएगी. लेकिन, यह मामला सुलझने के बजाय उलझता ही जा रहा है.

दो बार लगातार हुई कैबिनेट बैठक
राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले विधान परिषद के सीटों पर कैबिनेट में मुहर नहीं लगने से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. मिल रही जानकारी के अनुसार एनडीए के तीनों घटक दलों के बीच सहमति बन चुकी है. आने वाले दिनों में उम्मीदवारों के नाम पर कैबिनेट की मुहर भी लग जाएगी.

ये भी पढ़ें- 'गरीबों के मसीहा हैं PM मोदी, चीन को खुश करने के लिए कांग्रेस और वामदल देते हैं बयान'

चिराग बढ़ा रहे परेशानी
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चिराग पासवान राज्यपाल की ओर से मनोनीत होने वाले सदस्यों के 12 सीट पर लोजपा की साझेदारी चाहते हैं. हालांकि, इस मामले पर जदयू और बीजेपी के नेता कुछ भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं.

ये भी पढ़ें- नीतीश कैबिनेट ने 4 एजेंडों पर दी मंजूरी, 3 से 6 अगस्त तक होगा मॉनसून सत्र

अपने फैसले से सबको चौकातें रहे हैं नीतीश
अपने फैसले के लिए सीएम नीतीश कुमार की एक अलग ही पहचान है. हाल में चयनित हुए जदयू के तीन एमएलसी उम्मीदवारों के नामों का चयन करके भी नीतीश कुमार ने सबको चौंका दिया था. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कहीं एक बार फिर से विधान परिषद के 12 सीटों को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.

कई नेताओं को लगा झटका
विधान परिषद के लिए कई नेता उम्मीद लगाए हुए थे. फिलहाल उन्हें झटका लगा है. ऐसे जब तक नामों की घोषणा नहीं हो जाती है. तब तक उम्मीद भी बनी हुई है. जदयू और बीजेपी में कई ऐसे नेता हैं जिनका कार्यकाल समाप्त हुआ है. फिर से उच्च सदन में जाने की उम्मीद में ये नेता पार्टी कार्यालय के चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं. हालांकि, सबकी नजर अब नीतीश कुमार के फैसले पर टिकी हुई है.

पटना: बिहार विधान परिषद के राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले 12 सीटों को लेकर शुक्रवार को दूसरी बार कैबिनेट बैठक हुई. लेकिन इसमें एमएलसी उम्मीदवारों के नाम पर मुहर नहीं लगी.

बता दें कि बीजेपी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और संजय जयसवाल ने 2 दिन के अंतराल में मुख्यमंत्री से दो बार मुलाकात की है. 1 जुलाई को और 2 जुलाई को यह बैठक हुई थी. कयास लगाए जा रहे थे कि कैबिनेट की दूसरी बार बुलाई गई बैठक में राज्यपाल मनोनीत उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लग जाएगी. लेकिन, यह मामला सुलझने के बजाय उलझता ही जा रहा है.

दो बार लगातार हुई कैबिनेट बैठक
राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले विधान परिषद के सीटों पर कैबिनेट में मुहर नहीं लगने से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. मिल रही जानकारी के अनुसार एनडीए के तीनों घटक दलों के बीच सहमति बन चुकी है. आने वाले दिनों में उम्मीदवारों के नाम पर कैबिनेट की मुहर भी लग जाएगी.

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चिराग बढ़ा रहे परेशानी
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चिराग पासवान राज्यपाल की ओर से मनोनीत होने वाले सदस्यों के 12 सीट पर लोजपा की साझेदारी चाहते हैं. हालांकि, इस मामले पर जदयू और बीजेपी के नेता कुछ भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं.

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अपने फैसले से सबको चौकातें रहे हैं नीतीश
अपने फैसले के लिए सीएम नीतीश कुमार की एक अलग ही पहचान है. हाल में चयनित हुए जदयू के तीन एमएलसी उम्मीदवारों के नामों का चयन करके भी नीतीश कुमार ने सबको चौंका दिया था. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कहीं एक बार फिर से विधान परिषद के 12 सीटों को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.

कई नेताओं को लगा झटका
विधान परिषद के लिए कई नेता उम्मीद लगाए हुए थे. फिलहाल उन्हें झटका लगा है. ऐसे जब तक नामों की घोषणा नहीं हो जाती है. तब तक उम्मीद भी बनी हुई है. जदयू और बीजेपी में कई ऐसे नेता हैं जिनका कार्यकाल समाप्त हुआ है. फिर से उच्च सदन में जाने की उम्मीद में ये नेता पार्टी कार्यालय के चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं. हालांकि, सबकी नजर अब नीतीश कुमार के फैसले पर टिकी हुई है.

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