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RJD विधायकों ने सदन के बाहर किया विरोध प्रदर्शन, कहा- मारपीट मामले में CM मांगें माफी

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Published : Jul 28, 2021, 5:40 PM IST

राजद और वामपंथी दलों के नेताओं ने बुधवार को विधानसभा (Bihar Assembly) परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. राजद विधायक मांग कर रहे थे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 23 मार्च को विधायकों के साथ हुई मारपीट के मामले में माफी मांगें.

RJD MLAs protest
राजद विधायकों का विरोध प्रदर्शन

पटना: बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) का मानसून सत्र (Monsoon Session) चल रहा है. इस बीच बुधवार को विपक्ष के विधायकों ने बजट सत्र के दौरान विधायकों के साथ हुई मारपीट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. विधायकों की मांग थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) माफी मांगें.

यह भी पढ़ें- राजद नेता भाई वीरेंद्र ने कहा- जब तक गतिरोध दूर नहीं होगा, सदन नहीं जाएंगे

विपक्ष सदन में 23 मार्च को हुई घटना पर चर्चा करना चाहता था. अनुमति नहीं मिलने के चलते विपक्ष ने मानसून सत्र का बहिष्कार कर दिया था. मानसून सत्र के तीसरे दिन राजद विधायकों ने विधानसभा परिसर में सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. विपक्षी विधायकों ने कहा कि सरकार सदन के अंदर हमारी बातों को नहीं सुनती. यही कारण है कि हम लोग सदन के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं.

देखें वीडियो

राजद विधायक बागी कुमार वर्मा ने कहा, 'सदन में जिस तरह पिछले सत्र में विधायकों के साथ मारपीट की गई और पुलिसकर्मियों के खिलाफ सिर्फ दिखावे के लिए कार्रवाई की गई, इससे स्पष्ट है कि सरकार के इशारे पर सबकुछ हुआ था. विधायकों के साथ हुई मारपीट के लिए सरकार दोषी है. इस मामले को लेकर सरकार को माफी मांगनी पड़ेगी. जब तक सरकार माफी नहीं मांगेगी हमलोग प्रदर्शन करते रहेंगे.'

दूसरी ओर वामपंथी दलों के विधायकों ने भी विधानसभा परिसर में हंगामा किया. विरोध प्रदर्शन कर रहे विधायकों ने कहा कि कोरोना से हुए मौत के आंकड़े सरकार छिपा रही है. हमलोग सरकार की नाकामी का पर्दाफाश करेंगे. भाकपा माले के विधायक महबूब आलम ने कहा, "कोरोना काल में बिहार में ऑक्सीजन की कमी से हजारों लोगों की जान गई. सरकार इस मामले में सफेद झूठ बोल रही है. हमारी पार्टी ने एक व्यापक सर्वेक्षण किया है, जिसमें पता चला है कि बिहार में दो लाख से ज्यादा मौत कोरोना के चलते हुई है. हमारी मांग है कि उन मृतकों के परिजनों को भी सरकार 4-4 लाख रुपये मुआवजा दे.'

"23 मार्च की घटना को लेकर हमलोगों ने सदन का बहिष्कार किया था. आज विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने विपक्ष के सभी नेताओं को बुलाकर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि इस बैठक में आपलोगों के मुद्दे पर बात होगी. तब तक आपलोगों से आग्रह है कि विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लें. विधानसभा अध्यक्ष के आश्वासन के बाद हमलोगों ने विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने का फैसला लिया है."- महबूब आलम, विधायक, भाकपा माले

बता दें कि बजट सत्र के दौरान 23 मार्च को विधानसभा में पुलिसकर्मियों द्वारा विपक्षी दलों के विधायकों से मारपीट की गई थी. इस दौरान कई विधायकों को काफी चोट आई थी. उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद ही विपक्ष के विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेंगे. इस मामले में दो पुलिसकर्मी को सस्पेंड किया गया है. राजद इससे संतुष्ट नहीं है. राजद की मांग है कि घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए.

पिछले सत्र के दौरान हुई मारपीट के चलते 26 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र हंगामेदार चल रहा है. मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को प्रश्नकाल तो ठीक से चला, लेकिन उसके बाद विपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव 23 मार्च की घटना को लेकर सदन में प्रस्ताव रखना चाहते थे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने रखने की अनुमति नहीं दी. विपक्ष ने सरकार पर मनमानी का आरोप लगाते हुए 30 जुलाई तक सदन का बहिष्कार कर दिया था. बुधवार को दोपहर बाद विपक्ष विधानसभा की कार्यवाही में शामिल हुआ.

यह भी पढ़ें- बिहार विधानसभा: 30 जुलाई तक विपक्ष ने किया सदन का बहिष्कार, सरकार पर लगाया मनमानी का आरोप

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विपक्ष सदन में 23 मार्च को हुई घटना पर चर्चा करना चाहता था. अनुमति नहीं मिलने के चलते विपक्ष ने मानसून सत्र का बहिष्कार कर दिया था. मानसून सत्र के तीसरे दिन राजद विधायकों ने विधानसभा परिसर में सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. विपक्षी विधायकों ने कहा कि सरकार सदन के अंदर हमारी बातों को नहीं सुनती. यही कारण है कि हम लोग सदन के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं.

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राजद विधायक बागी कुमार वर्मा ने कहा, 'सदन में जिस तरह पिछले सत्र में विधायकों के साथ मारपीट की गई और पुलिसकर्मियों के खिलाफ सिर्फ दिखावे के लिए कार्रवाई की गई, इससे स्पष्ट है कि सरकार के इशारे पर सबकुछ हुआ था. विधायकों के साथ हुई मारपीट के लिए सरकार दोषी है. इस मामले को लेकर सरकार को माफी मांगनी पड़ेगी. जब तक सरकार माफी नहीं मांगेगी हमलोग प्रदर्शन करते रहेंगे.'

दूसरी ओर वामपंथी दलों के विधायकों ने भी विधानसभा परिसर में हंगामा किया. विरोध प्रदर्शन कर रहे विधायकों ने कहा कि कोरोना से हुए मौत के आंकड़े सरकार छिपा रही है. हमलोग सरकार की नाकामी का पर्दाफाश करेंगे. भाकपा माले के विधायक महबूब आलम ने कहा, "कोरोना काल में बिहार में ऑक्सीजन की कमी से हजारों लोगों की जान गई. सरकार इस मामले में सफेद झूठ बोल रही है. हमारी पार्टी ने एक व्यापक सर्वेक्षण किया है, जिसमें पता चला है कि बिहार में दो लाख से ज्यादा मौत कोरोना के चलते हुई है. हमारी मांग है कि उन मृतकों के परिजनों को भी सरकार 4-4 लाख रुपये मुआवजा दे.'

"23 मार्च की घटना को लेकर हमलोगों ने सदन का बहिष्कार किया था. आज विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने विपक्ष के सभी नेताओं को बुलाकर कार्यमंत्रणा समिति की बैठक करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि इस बैठक में आपलोगों के मुद्दे पर बात होगी. तब तक आपलोगों से आग्रह है कि विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लें. विधानसभा अध्यक्ष के आश्वासन के बाद हमलोगों ने विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने का फैसला लिया है."- महबूब आलम, विधायक, भाकपा माले

बता दें कि बजट सत्र के दौरान 23 मार्च को विधानसभा में पुलिसकर्मियों द्वारा विपक्षी दलों के विधायकों से मारपीट की गई थी. इस दौरान कई विधायकों को काफी चोट आई थी. उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद ही विपक्ष के विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेंगे. इस मामले में दो पुलिसकर्मी को सस्पेंड किया गया है. राजद इससे संतुष्ट नहीं है. राजद की मांग है कि घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए.

पिछले सत्र के दौरान हुई मारपीट के चलते 26 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र हंगामेदार चल रहा है. मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को प्रश्नकाल तो ठीक से चला, लेकिन उसके बाद विपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव 23 मार्च की घटना को लेकर सदन में प्रस्ताव रखना चाहते थे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने रखने की अनुमति नहीं दी. विपक्ष ने सरकार पर मनमानी का आरोप लगाते हुए 30 जुलाई तक सदन का बहिष्कार कर दिया था. बुधवार को दोपहर बाद विपक्ष विधानसभा की कार्यवाही में शामिल हुआ.

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