पटना: इंडिया गठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमिटी की पहली बैठक दिल्ली में एनसीपी चीफ शरद पवार के आवास पर हुई. जहां सभी दलों के नेताओं ने साथ मिलकर लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लिया और इसे पूरा करने पर जोर दिया. हालांकि बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच कई राउंड की बैठक हो चुकी है. जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक आरजेडी और जेडीयू के बीच पुराना फॉर्मूला ही अपनाया जाएगा.
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आज दिल्ली में INDIA गठबंधन की कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठक संपन्न हुई।
— Congress (@INCIndia) September 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
हमने साथ मिलकर लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लिया है, हम इसे जरूर पूरा करेंगे।
जुड़ेगा भारत, जीतेगा INDIA 🇮🇳 pic.twitter.com/pZEY5WunsL
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क्या कहते हैं सियासी जानकार?: राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि पुराने फार्मूले के तहत जेडीयू और आरजेडी बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. उस हिसाब से जेडीयू और आरजेडी लोकसभा की 40 सीटों में से 16-16 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. शेष बची हुई 8 सीटों में से कांग्रेस को 5 और 3 सीट वामपंथी दलों को दी जाएगी. उनके मुताबिक चर्चा इस पर भी हो रही है कि 2019 लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने एक भी सीट नहीं जीता था लेकिन उसके 19 उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे. दावेदारी हर पार्टी की तरफ से अधिक सीटों पर हो रही है लेकिन सम्मानजनक फॉर्मूला अपनाने की कोशिश होगी.
"मुझे लगता है कि पुराने फॉर्मूले के तहत आरजेडी और जेडीयू बराबर-बराबर सीटों पर लड़ेंगे. बाकी सीट कांग्रेस और वामदलों को दी जाएगी. दावेदारी तो सभी दल अपने हिसाब से अधिक से अधिक सीटों पर करेंगे लेकिन बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए सभी को समझौता करना ही पड़ेगा"- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
बिहार में सीट बंटवारे पर पेंच: पहली बार ऐसा होगा, जब लालू यादव और नीतीश कुमार एक साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. ऐसे कांग्रेस और माले की ओर से अधिक संख्या में सीटों की मांग की जा रही है. कांग्रेस ने 9 सीटों की मांग की है तो वहीं माले की ओर से सात सीटों की मांग की जा रही है. इससे महागठबंधन में सीट शेयरिंग का पेंच फंस सकता है. हालांकि जेडीयू और आरजेडी नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे में कोई दिक्कत नहीं आएगी.
"सीट शेयरिंग में कहीं कोई परेशानी नहीं आएगी. सब मिल-बैठकर हम लोग तय कर लेंगे और बीजेपी के खिलाफ प्रत्येक सीट पर विपक्ष का एक उम्मीदवार होगा. अभी चुनाव में काफी वक्त है, समय रहते सीट बंटवारे पर सहमति बन जाएगी"- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
"वन टू वन सीटों पर हमलोग चुनाव लड़ने जा रहे हैं. 2024 में हमलोग मोदी बनाम मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ेंगे. जिस तरह से इंडिया गठबंधन को लोगों का रिस्पॉन्स मिल रहा है, उससे बीजेपी खेमे में बेचैनी है"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
2014 में कैसा था परिणाम: 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 32 सीटों पर जीत हासिल की थी. आरजेडी को चार सीट, जेडीयू को दो और कांग्रेस को भी दो सीट पर जीत हासिल हुई थी. उस चुनाव में जेडीयू ने बीजेपी से अलग होकर 40 में से 38 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा था. जेडीयू को केवल 16.04 फीसदी वोट हासिल हुआ था.
2019 में महागठबंधन को एक सीट मिली: वहीं, 2019 में जब जेडीयू एनडीए में था, तब उसे 22.26 प्रतिशत वोट मिला. 17 में से 16 लोकसभा सीट पर जीत मिली थी. बीजेपी को 17 सीटों में से 17 पर जीत मिली थी और 24.05 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था. इसके अलावे एनडीए में शामिल एलजेपी को 8.06 फीसदी और एनडीए को कुल 54% वोट मिला था. उस समय महागठबंधन में आरजेडी-कांग्रेस के अलावे जीतनराम मांझी की हम, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी (बाद में जेडीयू में विलय कर दिया) और मुकेश सहनी की वीआईपी भी शामिल थी. आरजेडी का खाता तक नहीं खुला था, जबकि कांग्रेस सिर्फ किशनगंज सीट जीत पाई थी.
लालू-नीतीश के मिलने पर 2015 में बीजेपी की करारी हार: बात अगर 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव की करें तो महागठबंधन को 41.84% वोट हासिल हुआ था, जबकि एनडीए को केवल 32% वोट हासिल हुआ था. एनडीए में बीजेपी, एलजेपी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी और हम पार्टी थी. उधर महागठबंधन में आरजेडी-कांग्रेस और जेडीयू साथ थे.
जेडीयू-आरजेडी ने बढ़ाई सक्रियता: अब एक बार फिर से 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर हलचल शुरू है. एक तरफ तेजस्वी यादव पार्टी नेताओं की बैठक कर रहे हैं तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार भी लगातार सांसद, विधायक से लेकर प्रखंड अध्यक्ष तक की बैठक कर उम्मीदवार और सीट से लेकर जनता के रुझान का फीडबैक ले रहे हैं.
लालू-नीतीश साथ होंगे तो होगा कमाल?: 2015 में जब लालू यादव और नीतीश कुमार एक साथ हुए थे तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुत नुकसान हुआ था. इस बार भी 2015 की तरह प्रदर्शन दोहराने का दावा किया जा रहा है लेकिन 2015 और 2024 में बहुत समय बदल चुका है. ऐसे में यदि दोनों एक साथ इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगे तो देखना होगा कि रिजल्ट कैसा आता है. फिलहाल आरजेडी और जेडीयू के पुराने फार्मूले के तहत बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ना तय है. कुछ नए दल यदि बिहार में महागठबंधन के साथ जुड़ते हैं तो कुछ सीटों से दोनों दल समझौता भी कर सकते हैं.