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बिहार: हारे हुए मंत्री जा सकते हैं विधान परिषद, राज्यपाल कोटे से भरे जाएंगे 12 सीट - अशोक चौधरी

विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बन चुकी है. अब जल्द ही बिहार विधान परिषद चुनाव पर फैसला हो सकता है.

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Published : Nov 30, 2020, 7:48 PM IST

पटना: बिहार विधान परिषद में राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले 12 सीटों का मामला पिछले 6 महीने से भी अधिक समय से लटका हुआ है. विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक हुई थी. तब कयास लगाए जाने लगे थे कि जल्द ही फैसला हो जाएगा. लेकिन बीजेपी ने अपने कोटे की सूची नहीं दी और अब विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बन चुकी है. अब जल्द ही इस पर फैसला हो सकता है.

एमएलसी सीटों पर हारे मंत्रियों की भी नजर
बिहार विधान परिषद में फिलहाल 17 सीट खाली पड़ा हुआ है, जिसमे 12 सीट राज्यपाल कोटे से भरा जाना है. 5 सीट विधानसभा चुनाव में विधायक बनने के कारण खाली हुआ है. राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाला 12 सीट पिछले 6 महीने से भी अधिक समय से लटका हुआ है. विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक भी हो चुकी है. लेकिन उस समय कोई फैसला नहीं हुआ.

लोजपा की तरफ से 2 सीट मांगे जाने के कारण बीजेपी ने अपनी सूची नीतीश कुमार को नहीं सौंपी और उसके कारण मामला लटक गया. लेकिन अब एक बार फिर से मंत्रिमंडल विस्तार के साथ राज्यपाल कोटे से 12 सीटों को भरे जाने की चर्चा शुरू है.

देखें रिपोर्ट

हारे हुए मंत्री जा सकते हैं विधान परिषद
जदयू के तरफ से अशोक चौधरी जिनके पास 5 विभाग है, उनका जाना तय है, नीतीश कुमार के खास संजय गांधी भी राज्यपाल कोटे से भेजे जाएंगे, यह तय माना जा रहा है. विधानसभा चुनाव में इस बार जदयू के कई मंत्री चुनाव हार गए हैं. बीजेपी के भी कुछ मंत्री चुनाव हारे हैं. हारे गए मंत्रियों में से कुछ को मौका मिल सकता है. साथ ही वीआईपी के मुकेश साहनी मंत्री बनाए गए हैं. लेकिन फिलहाल दोनों सदन में से किसी के सदस्य नहीं है तो उनको भी राज्यपाल कोटे से ही विधान परिषद का सदस्य बनाया जाएगा. लेकिन अब तय है कि लोजपा को विधान परिषद की सीट में हिस्सा नहीं मिलेगा.

'नए चेहरे को मिल सकता है मौका'
जीतन राम मांझी ऐसे तो अपने बेटे को मंत्री बना चुके हैं. लेकिन दूसरे बेटे के लिए एक सीट मांग रहे हैं. जदयू में कई दावेदार हैं. छात्र जदयू को लेकर काम करने वाले रणवीर नंदन भी है. नीतीश कुमार कुछ नए चेहरे को भी मौका दे सकते हैं. जेडीयू और बीजेपी के बीच 6-6 सीट का बंटवारा हो सकता है. बीजेपी अपने कोटे से ही मुकेश सहनी को विधान परिषद भेजेगी.

दिसंबर के पहले सप्ताह में हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार
राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले विधान परिषद सीट के साथ बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार दिसंबर के पहले सप्ताह में होने की चर्चा है, जहां जदयू कोटे से पुराने मंत्रियों में श्रवण कुमार, महेश्वर हजारी का नाम सबसे आगे चल रहा है. संजय झा और मदन सहनी की भी चर्चा है. ये सभी लोग पिछले मंत्रिमंडल में भी थे. इसके अलावा बीजेपी कोटे से नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार पुराने मंत्रियों में फिर से रिपीट हो सकते हैं, तो वहीं नए मंत्रियों में सम्राट चौधरी और नीतीश मिश्रा का नाम भी चर्चा में है. ऐसे यह भी तय है कि दोनों तरफ से अब नए लोगों को जगह मिलेगी. लेकिन इतना तय है कि नीतीश कुमार और बीजेपी के नेता सामाजिक और जातीय समीकरण का ख्याल जरूर रखेंगे. नीतीश कुमार की नजर दूसरे दलों के नेताओं पर भी है.

पटना: बिहार विधान परिषद में राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले 12 सीटों का मामला पिछले 6 महीने से भी अधिक समय से लटका हुआ है. विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक हुई थी. तब कयास लगाए जाने लगे थे कि जल्द ही फैसला हो जाएगा. लेकिन बीजेपी ने अपने कोटे की सूची नहीं दी और अब विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बन चुकी है. अब जल्द ही इस पर फैसला हो सकता है.

एमएलसी सीटों पर हारे मंत्रियों की भी नजर
बिहार विधान परिषद में फिलहाल 17 सीट खाली पड़ा हुआ है, जिसमे 12 सीट राज्यपाल कोटे से भरा जाना है. 5 सीट विधानसभा चुनाव में विधायक बनने के कारण खाली हुआ है. राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाला 12 सीट पिछले 6 महीने से भी अधिक समय से लटका हुआ है. विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक भी हो चुकी है. लेकिन उस समय कोई फैसला नहीं हुआ.

लोजपा की तरफ से 2 सीट मांगे जाने के कारण बीजेपी ने अपनी सूची नीतीश कुमार को नहीं सौंपी और उसके कारण मामला लटक गया. लेकिन अब एक बार फिर से मंत्रिमंडल विस्तार के साथ राज्यपाल कोटे से 12 सीटों को भरे जाने की चर्चा शुरू है.

देखें रिपोर्ट

हारे हुए मंत्री जा सकते हैं विधान परिषद
जदयू के तरफ से अशोक चौधरी जिनके पास 5 विभाग है, उनका जाना तय है, नीतीश कुमार के खास संजय गांधी भी राज्यपाल कोटे से भेजे जाएंगे, यह तय माना जा रहा है. विधानसभा चुनाव में इस बार जदयू के कई मंत्री चुनाव हार गए हैं. बीजेपी के भी कुछ मंत्री चुनाव हारे हैं. हारे गए मंत्रियों में से कुछ को मौका मिल सकता है. साथ ही वीआईपी के मुकेश साहनी मंत्री बनाए गए हैं. लेकिन फिलहाल दोनों सदन में से किसी के सदस्य नहीं है तो उनको भी राज्यपाल कोटे से ही विधान परिषद का सदस्य बनाया जाएगा. लेकिन अब तय है कि लोजपा को विधान परिषद की सीट में हिस्सा नहीं मिलेगा.

'नए चेहरे को मिल सकता है मौका'
जीतन राम मांझी ऐसे तो अपने बेटे को मंत्री बना चुके हैं. लेकिन दूसरे बेटे के लिए एक सीट मांग रहे हैं. जदयू में कई दावेदार हैं. छात्र जदयू को लेकर काम करने वाले रणवीर नंदन भी है. नीतीश कुमार कुछ नए चेहरे को भी मौका दे सकते हैं. जेडीयू और बीजेपी के बीच 6-6 सीट का बंटवारा हो सकता है. बीजेपी अपने कोटे से ही मुकेश सहनी को विधान परिषद भेजेगी.

दिसंबर के पहले सप्ताह में हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार
राज्यपाल कोटे से भरे जाने वाले विधान परिषद सीट के साथ बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार दिसंबर के पहले सप्ताह में होने की चर्चा है, जहां जदयू कोटे से पुराने मंत्रियों में श्रवण कुमार, महेश्वर हजारी का नाम सबसे आगे चल रहा है. संजय झा और मदन सहनी की भी चर्चा है. ये सभी लोग पिछले मंत्रिमंडल में भी थे. इसके अलावा बीजेपी कोटे से नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार पुराने मंत्रियों में फिर से रिपीट हो सकते हैं, तो वहीं नए मंत्रियों में सम्राट चौधरी और नीतीश मिश्रा का नाम भी चर्चा में है. ऐसे यह भी तय है कि दोनों तरफ से अब नए लोगों को जगह मिलेगी. लेकिन इतना तय है कि नीतीश कुमार और बीजेपी के नेता सामाजिक और जातीय समीकरण का ख्याल जरूर रखेंगे. नीतीश कुमार की नजर दूसरे दलों के नेताओं पर भी है.

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