पटना : 20 लाख हजार करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा के बाद बिहार के मंत्री केंद्र पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने एक बार फिर विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा घोषित राहत पैकेज का बिहार को फायदा तब होता जब यहां उद्योग धंदे ज्यादा संख्या में होते. उन्होंने विशेष राज्य के दर्जे की मांग को दोहराते हुए याद दिलाया कि अगर यह मांग पूरी होती, तो राज्य में भारी संख्या में उद्योग धंधे लग गए होते. लेकिन विशेष राज्य का दर्जा बिहार को नहीं मिलने के कारण उद्योग धंधे नहीं फल-फूल सके हैं.
तकनीकी रूप से किया जाएगा ट्रेंड
हालांकि, मंत्री श्रवण कुमार ने यह जरूर कहा है कि देश राज्य में जो भी छोटे और ग्रामीण स्तर के उद्योग धंधे हैं, उसको कुछ फायदा जरूर मिलेगा. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद जिस तरह से राज्य में प्रवासी और अन्य लोग राज्य आ रहे हैं. उनकी रोजगार सृजन का जिम्मेवारी बिहार सरकार के ऊपर है. राज्य के मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार सभी प्रवासी मजदूरों और कामगारों के हुनर को देखते हुए, उन्हें तकनीकी रूप से ट्रेंड किया जाएगा, ताकि जो मजदूर जिस क्षेत्र में बेहतर काम कर सकते हैं, उन्हें पूरा अवसर मिल सके.
नियमावली में संशोधन करने की जरूरत
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने मनरेगा मजदूरी बढ़ाने और कृषि कार्य में जुटे मजदूरों को मनरेगा से जोड़ने के सवाल पर कहा कि इसको लेकर के भारत सरकार के समक्ष बातें रखी गई है. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के साथ हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह दोनों सवाल बिहार की ओर से उठाए गए हैं.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मंत्री ने कहा था कि बिहार पिछड़ा राज्य है और यहां मनरेगा मजदूरी कम से कम दैनिक मजदूरी के बराबर होना चाहिए. इसके अलावा खेतों में काम करने वाले मजदूरों को भी मनरेगा के तहत जोड़ा जाना चाहिए. हालांकि अभी तक इस पर कोई सकारात्मक जवाब केंद्र सरकार किसे नहीं मिला है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि इसके लिए नियमावली में संशोधन करने की जरूरत होगी.