पटना: "हमारा मुख्यमंत्री कैसा हो आरसीपी सिंह जैसा हो" के नारे ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी है. कयास लगाए जा रहे हैं कि बहुत जल्द आरसीपी सिंह पर बड़ी कार्रवाई की जा सकती है. जल संसाधन मंत्री संजय झा (Water Resources Minister Sanjay Jha) ने कहा है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ही हमारे नेता हैं और वह नीतीश कुमार हैं. सही समय पर पार्टी अध्यक्ष को जो भी संज्ञान लेना होगा लेंगे.
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बोले संजय झा- "हमारे नेता नीतीश कुमार हैं': संजय झा ने कहा कि देश भर में जदयू इकलौती क्षेत्रीय पार्टी है जिसमें परिवारवाद नहीं है. जितने भी रिजनल पार्टी है उसमें जदयू ही ऐसा है जिसमें नीतीश जी ने परिवारवाद आने नहीं दिया. सबका इसमें हक रहा है. नीतीश कुमार ने सिर्फ भाषण में नहीं बल्कि प्रैक्टिस में करके दिखाया है. यहां कोई गुट नहीं है. हमारे नेता एक ही है. पार्टी अध्यक्ष संज्ञान लेंगे.
"हमारे यहां नेता एक ही हैं. कौन क्या कर रहा है सही समय पर पार्टी अध्यक्ष संज्ञान लेंगे."- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार
आरसीपी के पक्ष में नारे पर जदयू सख्त : आरसीपी सिंह जब गुरुवार को मुंगेर (RCP Singh Reached In Lalan Singh Constituency) के घोसवारी पहुंचे थे तो गाड़ियों का लंबा काफिला था. कार्यकर्ता उनका गर्मजोशी से स्वागत कर रहे थे. गाड़ी से उतरते ही उनको फूल मालाओं से लाद दिया गया. वहां नारे लगाए जा रहे थे- 'हमारा मुख्यमत्री कैसा हो, आरसीपी बाबू जैसा हो.' (Slogan In Favor Of RCP Singh) एक एक कार्यकर्ता आरसीपी सिंह को अपने कैमरे में समा लेना चाहता था. आरसीपी बाबू के फेवर में लगे नारों पर जदयू सख्त है और आरसीपी सिंह पर कार्रवाई की सुगबुगाहट भी तेज हो रही है.
पावरफुल फेस दिखाना चाहते हैं आरसीपी: बिहार में ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच क्या खिचड़ी पक रही है ये सब जग-जाहिर है. ललन सिंह के संसदीय क्षेत्र में इस तरह के नारे का मकसद साफ है. आरसीपी गुट ये बता देना चाहता है कि आरसीपी बाबू को हल्के में ना लें, ललन सिंह के गढ़ में भी आरसीपी की पैठ काफी गहरी है. ललन सिंह जेडीयू अध्यक्ष हैं तो आरसीपी भी कार्यकर्ताओं के चहेते हैं.
ललन के गढ़ में आरसीपी: 2019 में मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीत तीसरी बार संसद पहुंचने वाले जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह 17वीं लोकसभा में पार्टी के नेता बनाए गए. फिर आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनते ही पार्टी की कमान नीतीश ने ललन सिंह को सौंप दी. जेडीयू में ललन गुट की ही देन है कि आरसीपी सिंह जैसे कद्दावर नेता को उठा कर कहां से कहां रख दिया गया. आरसीपी सिंह अपने समर्थकों में अपनी कमजोर छवि का मैसेज नहीं जाने देना चाहते. वो अपनी मजबूत छवि दिखाना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने मुंगेर में अपना कदम सोच समझकर रखा.
जेडीयू में आरसीपी और ललन गुट हावी?- आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं जा पाए. बिहार की राजनीति में इसकी वजह ललन सिंह से मनमुटाव को माना जा रहा है. यही कारण है कि आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. ललन और आरसीपी सिंह का टकराव मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के वक्त से ही दिखने लगा था. चर्चा थी कि ललन सिंह केंद्रीय मंत्री बनेंगे, लेकिन आरसीपी सिंह जेडीयू कोटे से मोदी कैबिनेट में शामिल हो गए. इसके बाद यूपी चुनाव बीजेपी से गठबंधन नहीं होने पर भी ललन सिंह ठीकरा आरसीपी पर फोड़ा था. हालांकि इस गुटबाजी पर श्रवण कुमार ने संगठन को सर्वोपरि बताया है.
आरसीपी के बनाए प्रकोष्ठ हो रहे भंग: आरसीपी सिंह ने जब जनता दल यूनाइटेड की कमान संभाली थी उन्होंने 33 प्रकोष्ठों का गठन किया था. लेकिन जैसे ही ललन सिंह ने पार्टी की बागडोर अपने हाथ में ली. आरसीपी सिंह के ना सिर्फ पर कतरे बल्कि उनके द्वारा बनाए गए प्रकोष्ठों को भी भंग करना शुरू कर दिया. हाल ये रहा कि 12-13 प्रकोष्ठ ही अब रह गए हैं. इस बात पर आरसीपी सिंह ने नाराजगी जताते हुए नेतृत्व पर सवाल भी उठाए और कहा कि प्रकोष्ठों को 33 से 53 करना चाहिए था ना कि 12-13 पर पहुंचाना चाहिए था.