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बोले जल संसाधन मंत्री- 'बारिश पर निर्भर करता है बिहार में बाढ़ की स्थिति, नेपाल को लेकर साधी चुप्पी'

जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि बिहार के हिस्से वाले क्षेत्र को बाढ़ से बचाव को लेकर राज्य सरकार हर मुकम्मल तैयारी कर रही है. लेकिन अब सब कुछ नेपाल में होने वाली बारिश पर निर्भर करता है. उन्होनें नेपाल मामले पर कुछ भी बोलने से मान कर दिया .

पटना
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Published : Jul 2, 2020, 4:24 PM IST

पटना: नेपाल की ओर से बाढ़ बचाव कार्य रोके जाने पर जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कुछ भी बयान देने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने अपनी ओर से पूरी तैयारी की है. लेकिन अब सब कुछ नेपाल में होने वाली बारिश पर निर्भर करता है. बता दें कि नेपाल में बारिश के बाद बिहार में बाढ़ का खतरा 80 प्रतिशत तक रहता है.

नेपाल पर अब बिहार सरकार की खामोशी
बता दें कि बिहार के डेढ़ दर्जन जिले में पिछले साल की तरह ही बाढ़ का खतरा सबसे अधिक मंडरा रहा है.खासकर उत्तर बिहार के कई जिले में नेपाल से आने वाली बारिश के पानी के कारण बाढ़ का खतरा सबसे प्रबल रहता है. भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल सरकार ने पूर्वी चम्पारण में बन रहे तटबंध के पुर्निर्माण कार्य को रोक दिया है. हालांकि कुछ इलके में पहल कर जिला प्रशासन ने सकारात्मक कार्य जरूर किये है. लेकिन अभी भी कई इलाकों में बन रहे तटबंध निर्माण को नेपाल ने रोक रखा है.इसको लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने जल संसाधन मंत्री संजय झा सावल पूछे तो उन्होंने अंतरराष्टीय मामला होने की बात कहकर कुछ भी बोलने से मना कर दिया.

बिहार सरकार कर रही बाढ़ से बचाव की तैयारी
जल संसाधन विभाग की माने तो बिहार के हिस्से वाले क्षेत्र में बाढ़ से बचाव को लेकर राज्य सरकार हर मुकम्मल तैयारी कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बीते दिनों नेपाल से सटे जयनगर इलाकों का दौरा किया था. उन्होंने बाढ़ से राहत बचाव को लेकर कई अहम दिशा-निर्देश भी दिए थे. सीएम ने कमला बिहार बराज में कुछ कार्य परिवर्तन के भी निर्देश दिए थे.

ये भी पढ़ें- देखें VIDEO: मांझर कुंड में नहाने गये दो युवक तेज धारा में फंसे, हलक में अटकी जान

बाढ़ से बचने के लिए उठाया जा रहा हर संभव कदम
सीएम नीतीश कुमार ने अपने जयनगर दौरे के दौरान बिहार के हिस्से वाले क्षेत्र में बाढ़ बचाव को लेकर हर संभव कार्य करने का निर्देश भी दिया था. इसके अलावे उन्होंने बांध को ऊंचा करने से लेकर पर्याप्त मात्रा में बाढ़ से बचाव के लिए सामान इंतजाम करने तक का निर्देश दिया था. बता दें कि बिहार को बाढ़ से बचाने के लिए इस साल सीएम खुद से मामले पर नजर बनाए हुए है. बीते एक सप्ताह के अंदर सीएम ने दो बार जल संसाधन विभाग की समीक्षा भी की थी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नेपाल मामले पर जल संसाधन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि नेपाल की ओर से पहले कभी इस तरह का बर्ताव नहीं किया गया था. पाल के कारण इस साल थोड़ी परेशानी जरूर बढ़ गई है. इसके बावजूद बिहार के सीमा क्षेत्र में बाढ़ बचाव को लेकर हर संभव कार्य किये जा रहे हैं.

गंडक बैराज में 36 फाटक
गौरतलब है कि गंडक बैराज में कुल 36 गेट हैं. जिसमे से 18 नेपाल में हैं. भारत के हिस्से में भी 18 फाटक ही हैं. बाढ़ की संभावनाओं को देखते हुए भारत के हिस्से वाले इलाके में 17वें फाटक तक की मरम्मती की जा चुकी है. लेकिन 18 वें फाटक से लेकर 36वें फाटक तक बने बांध की मरम्मत नहीं हो सकी है. नेपाल सरकार आगे बांध मरम्मत के लिए अनुमति नहीं दे रही है. नेपाल की ओर से ऐसा पहली बार हुआ है. जब बांध मरम्मत में अवरोध डाले जा रहे हैं. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था.

नेपाल के चलते बिहार में आता है जल प्रलय
नेपाल बांध मरम्मत में अवरोध डाल कर विवाद पैदा कर रहा है. 2017 में आए बाढ़ के कराण गंडक बैराज के गेट को काफी नुकसान हुआ था. समय-समय पर इसकी मरम्मति का कार्य चलता रहता है. इससे पूर्व किसी तरह का विवाद होने पर नेपाल और भारत के अधिकारी आपस में बातचीत कर मामले को सुलझा लेते थे. लेकिन इस साल मामला सुलझाने के बजाय और उलझता जा रहा है.

पटना: नेपाल की ओर से बाढ़ बचाव कार्य रोके जाने पर जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कुछ भी बयान देने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने अपनी ओर से पूरी तैयारी की है. लेकिन अब सब कुछ नेपाल में होने वाली बारिश पर निर्भर करता है. बता दें कि नेपाल में बारिश के बाद बिहार में बाढ़ का खतरा 80 प्रतिशत तक रहता है.

नेपाल पर अब बिहार सरकार की खामोशी
बता दें कि बिहार के डेढ़ दर्जन जिले में पिछले साल की तरह ही बाढ़ का खतरा सबसे अधिक मंडरा रहा है.खासकर उत्तर बिहार के कई जिले में नेपाल से आने वाली बारिश के पानी के कारण बाढ़ का खतरा सबसे प्रबल रहता है. भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल सरकार ने पूर्वी चम्पारण में बन रहे तटबंध के पुर्निर्माण कार्य को रोक दिया है. हालांकि कुछ इलके में पहल कर जिला प्रशासन ने सकारात्मक कार्य जरूर किये है. लेकिन अभी भी कई इलाकों में बन रहे तटबंध निर्माण को नेपाल ने रोक रखा है.इसको लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने जल संसाधन मंत्री संजय झा सावल पूछे तो उन्होंने अंतरराष्टीय मामला होने की बात कहकर कुछ भी बोलने से मना कर दिया.

बिहार सरकार कर रही बाढ़ से बचाव की तैयारी
जल संसाधन विभाग की माने तो बिहार के हिस्से वाले क्षेत्र में बाढ़ से बचाव को लेकर राज्य सरकार हर मुकम्मल तैयारी कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बीते दिनों नेपाल से सटे जयनगर इलाकों का दौरा किया था. उन्होंने बाढ़ से राहत बचाव को लेकर कई अहम दिशा-निर्देश भी दिए थे. सीएम ने कमला बिहार बराज में कुछ कार्य परिवर्तन के भी निर्देश दिए थे.

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बाढ़ से बचने के लिए उठाया जा रहा हर संभव कदम
सीएम नीतीश कुमार ने अपने जयनगर दौरे के दौरान बिहार के हिस्से वाले क्षेत्र में बाढ़ बचाव को लेकर हर संभव कार्य करने का निर्देश भी दिया था. इसके अलावे उन्होंने बांध को ऊंचा करने से लेकर पर्याप्त मात्रा में बाढ़ से बचाव के लिए सामान इंतजाम करने तक का निर्देश दिया था. बता दें कि बिहार को बाढ़ से बचाने के लिए इस साल सीएम खुद से मामले पर नजर बनाए हुए है. बीते एक सप्ताह के अंदर सीएम ने दो बार जल संसाधन विभाग की समीक्षा भी की थी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नेपाल मामले पर जल संसाधन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि नेपाल की ओर से पहले कभी इस तरह का बर्ताव नहीं किया गया था. पाल के कारण इस साल थोड़ी परेशानी जरूर बढ़ गई है. इसके बावजूद बिहार के सीमा क्षेत्र में बाढ़ बचाव को लेकर हर संभव कार्य किये जा रहे हैं.

गंडक बैराज में 36 फाटक
गौरतलब है कि गंडक बैराज में कुल 36 गेट हैं. जिसमे से 18 नेपाल में हैं. भारत के हिस्से में भी 18 फाटक ही हैं. बाढ़ की संभावनाओं को देखते हुए भारत के हिस्से वाले इलाके में 17वें फाटक तक की मरम्मती की जा चुकी है. लेकिन 18 वें फाटक से लेकर 36वें फाटक तक बने बांध की मरम्मत नहीं हो सकी है. नेपाल सरकार आगे बांध मरम्मत के लिए अनुमति नहीं दे रही है. नेपाल की ओर से ऐसा पहली बार हुआ है. जब बांध मरम्मत में अवरोध डाले जा रहे हैं. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था.

नेपाल के चलते बिहार में आता है जल प्रलय
नेपाल बांध मरम्मत में अवरोध डाल कर विवाद पैदा कर रहा है. 2017 में आए बाढ़ के कराण गंडक बैराज के गेट को काफी नुकसान हुआ था. समय-समय पर इसकी मरम्मति का कार्य चलता रहता है. इससे पूर्व किसी तरह का विवाद होने पर नेपाल और भारत के अधिकारी आपस में बातचीत कर मामले को सुलझा लेते थे. लेकिन इस साल मामला सुलझाने के बजाय और उलझता जा रहा है.

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