पटनाः केन्द्र के मल्लाह समाज को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं करने के फैसले के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई है. हालांकि बिहार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी को ही जानकारी नहीं है कि राज्य सरकार ने मल्लाह समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने की सिफारिश की है या अनुसूचित जनजाति में. वो लगातार मीडिया में अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किए जाने पर नाराजगी जता रहे हैं.
'मंत्री जी को सही जानकारी नहीं'
समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि हम लोगों को पूरा भरोसा था कि केन्द्र सरकार हमें इस बार एसटी में जरूर शामिल करेगी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि मल्लाह समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करे. अनुसूचित जनजाति में शामिल करने से ही समाज का पिछड़ापन दूर होगा.
संघर्ष रहेगा जारी- मुकेश सहनी
वहीं पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने कहा कि जब तक मल्लाह और बिंद जाति को अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति कैटेगरी में आरक्षण का लाभ नहीं मिल जाता हमारा संघर्ष जारी रहेगा. केंद्र में अब तक जितनी भी सरकारें रही हैं सबने निषाद समाज को फुटबॉल बनाकर रखा है. अगर दिल्ली की सरकार और बंगाल की सरकार ने निषाद समाज को आरक्षण का लाभ दिया है तो बिहार में ऐसा क्यों नहीं हो सकता.
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केंद्र के फैसले पर विपक्ष हमलावर
जहां एक तरफ सत्ता पक्ष में जेडीयू और वीआईपी पार्टी केंद्र सरकार के फैसले पर निराशा जता रही है. वहीं विपक्ष ने खुलकर बीजेपी और मोदी सरकार पर हमला बोला है. उसका कहना है कि मुकेश सहनी को अब मंत्री पद से इस्तीफा देकर सत्ता से बाहर आ जाना चाहिए.
कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि मुकेश सहनी को यह जवाब देना चाहिए कि उन्होंने जो चुनावी वायदा किया था उसका क्या हुआ. उन्होंने इसी वायदे के आधार पर लोगों से वोट ले लिया अब मंत्री बन चुके हैं और अब उन्हीं की सरकार ने उनका यह प्रपोजल रिजेक्ट कर दिया है. यह मल्लाह और बिंद समाज के साथ ना सिर्फ मुकेश साहनी बल्कि बीजेपी और जदयू का धोखा है.
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वहीं राजद नेता सुबोध कुमार ने कहा कि दरअसल मुकेश सहनी मल्लाह समाज के लिए नहीं बल्कि खुद के भले के लिए काम कर रहे हैं. अगर उन्हें थोड़ी सी भी अपने समाज की चिंता है तो उन्हें इस मुद्दे पर तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.