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प्रवासी महिला मजदूरों को मिला जिविका का सहारा, बिंदी बनाकर कर रही गुजारा

बिहार से बाहर काम करने वाले महिलाओं को पटना के ग्रामीण इलाके में इन दिनों जीविका का सहारा मिल गया है. जीविका के माध्यम से उनके हाथों में काम मिला है. जिसको लेकर उनके चेहरे पर मुस्कान देखी जा रही है.

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-प्रवासी महिला मजदूरों को मिला जिविका का सहारा
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Published : May 17, 2021, 7:44 PM IST

पटना: कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर हर कोई परेशान है. चारों ओर रोजगार और आर्थिक मंदी छाई हुई है. ऐसे में बिहार से बाहर काम करने वाले सैकड़ों मजदूर अपने-अपने गांव वापस लौट आए हैं.

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कोरोना में रोजगार का संकट
ऐसे में उन्हें रोजगार का संकट छाने लगा है. ऐसे मुश्किल हालात में गांव की महिलाओं को अब जीविका का सहारा मिल गया है. जिसके तहत उनके हाथों में काम मिला है, जिसको लेकर उनके चेहरे पर खुशी दिख रही है. कई महिलाओं को इन दिनों महिलाओं के श्रृंगार की माथे की बिंदी बनाने का काम मिला है.

प्रवासी महिला मजदूरों को मिला जिविका का सहारा

ये भी पढ़ें....बगहा: आर्थिक तंगी से जूझ रहे आर्केस्ट्रा संचालक और कलाकार, लड़कियों के पास घर वापसी के लिए नहीं हैं पैसे

'लॉकडाउन लगने के बाद वह डर से अपने गांव भाग आई थी, लेकिन कई दिनों तक बेरोजगार हो कर घर में पड़ी हुई थी, उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा था, दो चार पैसे के लिए तरसना पड़ रहा था. ऐसे में उन्हें जीविका का सहारा मिला है. जीविका के माध्यम से उन्हें बिंदिया बनाने का काम मिला है. नजमा खातून के अलावा सविता कुमारी, रश्मि कुमारी, देवमंती देवी समेत दर्जनों महिलाओं को जीविका का साथ मिला है.- नजमा खातून, प्रवासी महिला मजदूर

पटना: कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर हर कोई परेशान है. चारों ओर रोजगार और आर्थिक मंदी छाई हुई है. ऐसे में बिहार से बाहर काम करने वाले सैकड़ों मजदूर अपने-अपने गांव वापस लौट आए हैं.

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ऐसे में उन्हें रोजगार का संकट छाने लगा है. ऐसे मुश्किल हालात में गांव की महिलाओं को अब जीविका का सहारा मिल गया है. जिसके तहत उनके हाथों में काम मिला है, जिसको लेकर उनके चेहरे पर खुशी दिख रही है. कई महिलाओं को इन दिनों महिलाओं के श्रृंगार की माथे की बिंदी बनाने का काम मिला है.

प्रवासी महिला मजदूरों को मिला जिविका का सहारा

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'लॉकडाउन लगने के बाद वह डर से अपने गांव भाग आई थी, लेकिन कई दिनों तक बेरोजगार हो कर घर में पड़ी हुई थी, उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा था, दो चार पैसे के लिए तरसना पड़ रहा था. ऐसे में उन्हें जीविका का सहारा मिला है. जीविका के माध्यम से उन्हें बिंदिया बनाने का काम मिला है. नजमा खातून के अलावा सविता कुमारी, रश्मि कुमारी, देवमंती देवी समेत दर्जनों महिलाओं को जीविका का साथ मिला है.- नजमा खातून, प्रवासी महिला मजदूर

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