पटना: राजधानी पटना में आंगनबाड़ी सेविकाएं अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं. वहीं प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन रसोईया का कार्य करने वाली 25000 हजार महिलाएं भी पटना की सड़कों पर अपनी मांगों को लेकर डटी हुई हैं. सभी राष्ट्रीय मध्यान भोजन रसोईया फ्रंट के तत्वावधान में महाधरना दे रही हैं. गर्दनीबाग का पूरा इलाका इनके धरने के कारण दिनभर जाम रह रहा है. वहीं बहुजन समाज पार्टी ने भी रसोईया संघ की मांगों का समर्थन किया है.
पटना में रसोईया संघ का धरना: राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोइया फ्रंट की राज्य सचिव सुनैना देवी ने कहा कि वह लोग सरकारी विद्यालयों में 12 महीने मध्यान भोजन बनाने का काम करती है, लेकिन सरकार उन्हें 10 महीने का ही वेतन देती है. उसमें भी प्रति महीने 1600 रुपये मिलता है जो काफी कम है. आज देश में महंगाई चरम पर है और इस स्थिति में इतने कम भत्ता में गुजारा होना मुश्किल है. उनकी मांग है कि उन्हें 12 महीने का वेतन और कम से कम 10 हजार रुपये महीने वेतन दिया जाए.
वेतन नहीं बढ़ा तो होगा आंदोलन: बहुजन समाज पार्टी के राज्य सचिव अनिल सिंह ने कहा कि प्रदेश की रसोईया की मांग जायज है. उनकी मांगों को पूरा समर्थन दिया जाए. सरकार सिर्फ झूठ पीठ ठपथपाने में व्यस्त है. यदि रसोईया बहनों की न्यूनतम मासिक वेतन रुपये 10000 नहीं किया गया तो पटना की सड़कों पर आने वाले समय में एक बड़ा आंदोलन देखने को मिलेगा.
"प्रदेश में महिलाओं का आर्थिक शोषण हो रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और सदन में महिलाओं के विषय में उलूल-जूलूल बयान देते हैं. 2 दिन से यह गरीब महिलाएं पटना की सड़कों पर हैं और सरकार का कोई प्रतिनिधि इनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है. इतनी महंगाई में इन्हें 16 रुपये महीना दिया जा रहा है और सिर्फ 10 महीना का वेतन मिलता है." -जय सिंह राठौड़, राष्ट्रीय संरक्षण, राष्ट्रीय मध्याह्न भोजन रसोइया फ्रंट
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