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Patna High Court : अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्य अनुसूचित जाति के आरक्षित सीट पर चुनाव नहीं लड़ सकते

पटना हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर कोई सीट अनुसूचित जाति के आरक्षित है तो उसपर अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. आखिर किस मामले पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया आगे पढ़ें पूरी खबर...

Patna High Court Etv Bharat
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Published : Jul 6, 2023, 9:43 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्य अनुसूचित जाति के आरक्षित सीट पर चुनाव नहीं लड़ सकते. जस्टिस राजीव राय ने पश्चिम चंपारण जिला के कोल्हुआ चौतरवा ग्राम पंचायत के मुखिया पलक भारती की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिस समुदाय के लिए सीट आरक्षित हैं, सिर्फ उसी वर्ग के सदस्य आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं.

ये भी पढ़ें - Bihar Caste Census: जातीय गणना पर लगातार चौथे दिन HC में रखा गया बिहार सरकार का पक्ष, कल फिर होगी सुनवाई

राज्य निर्वाचन आयोग में शिकायत : अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाली आवेदिका अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ मुखिया बन गई. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर नंदकिशोर राम ने राज्य निर्वाचन आयोग में शिकायत की. उनका कहना था कि अनुसूचित जनजाति से आने वाली सदस्य अनुसूचित जाति के सीट पर चुनाव लड़ी हैं. उनकी शिकायत पर आयोग ने डीएम को जांच के लिए भेज दिया. डीएम ने एसडीओ को जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.

DM ने राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा रिपोर्ट : गौनाहा के सीओ ने जांच कर अपना रिपोर्ट दिया. रिपोर्ट में कहा गया कि मुखिया के पिता अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं. पिता की जाति ही संतान की जाति होती है. सीओ के रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने अपना रिपोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दिया. आवेदिका की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आवेदिका के पिता की शादी होने के बाद अनुसूचित जनजाति समाज शादी को मंजूर नहीं किया. वह अपनी मां के साथ अनुसूचित जाति कॉलोनी में ही रहने लगी.

कास्ट स्क्रूटनी कमेटी का गठन : यही नहीं सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्र अनुसूचित जाति का हैं. उसकी शादी भी अनुसूचित जाति के सदस्य से हुई. उनका कहना था कि आवेदिका अनुसूचित जाति से आती हैं. वहीं चुनाव आयोग के अधिवक्ता संजीव निकेश का कहना था कि जाति विवाद को लेकर कास्ट स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया गया है. उनका कहना था कि आवेदिका को चाहिए कि कमेटी के समक्ष अपने जाति को लेकर अपना पक्ष प्रस्तुत करे. उन्होंने अर्जी खारिज करने की मांग कोर्ट से की.

कोर्ट ने आवेदिका के अर्जी को खारिज किया : कोर्ट ने माना कि आवेदिका के पिता अनुसूचित जनजाति वर्ग से है. वहीं मां अनुसूचित जाति वर्ग केीसदस्य हैं. प्राकृतिक रूप से उनके दोनों बच्चे पिता के जाति के होंगे. अनुसूचित जाति कॉलोनी में रहने से कोई अनुसूचित जाति के नहीं होंगे. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को जाति को लेकर किसी को आपत्ति हो, तो वे अपना दावा कास्ट स्क्रूटनी कमेटी के समक्ष पेश कर सकता है. कोर्ट ने आवेदिका के अर्जी को खारिज करते हुए जाति दावा कास्ट स्क्रूटनी कमेटी में रखने का छूट दिया.

पटना : पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्य अनुसूचित जाति के आरक्षित सीट पर चुनाव नहीं लड़ सकते. जस्टिस राजीव राय ने पश्चिम चंपारण जिला के कोल्हुआ चौतरवा ग्राम पंचायत के मुखिया पलक भारती की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई की. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिस समुदाय के लिए सीट आरक्षित हैं, सिर्फ उसी वर्ग के सदस्य आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं.

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राज्य निर्वाचन आयोग में शिकायत : अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाली आवेदिका अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ मुखिया बन गई. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर नंदकिशोर राम ने राज्य निर्वाचन आयोग में शिकायत की. उनका कहना था कि अनुसूचित जनजाति से आने वाली सदस्य अनुसूचित जाति के सीट पर चुनाव लड़ी हैं. उनकी शिकायत पर आयोग ने डीएम को जांच के लिए भेज दिया. डीएम ने एसडीओ को जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.

DM ने राज्य निर्वाचन आयोग को भेजा रिपोर्ट : गौनाहा के सीओ ने जांच कर अपना रिपोर्ट दिया. रिपोर्ट में कहा गया कि मुखिया के पिता अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं. पिता की जाति ही संतान की जाति होती है. सीओ के रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने अपना रिपोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को भेज दिया. आवेदिका की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आवेदिका के पिता की शादी होने के बाद अनुसूचित जनजाति समाज शादी को मंजूर नहीं किया. वह अपनी मां के साथ अनुसूचित जाति कॉलोनी में ही रहने लगी.

कास्ट स्क्रूटनी कमेटी का गठन : यही नहीं सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्र अनुसूचित जाति का हैं. उसकी शादी भी अनुसूचित जाति के सदस्य से हुई. उनका कहना था कि आवेदिका अनुसूचित जाति से आती हैं. वहीं चुनाव आयोग के अधिवक्ता संजीव निकेश का कहना था कि जाति विवाद को लेकर कास्ट स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया गया है. उनका कहना था कि आवेदिका को चाहिए कि कमेटी के समक्ष अपने जाति को लेकर अपना पक्ष प्रस्तुत करे. उन्होंने अर्जी खारिज करने की मांग कोर्ट से की.

कोर्ट ने आवेदिका के अर्जी को खारिज किया : कोर्ट ने माना कि आवेदिका के पिता अनुसूचित जनजाति वर्ग से है. वहीं मां अनुसूचित जाति वर्ग केीसदस्य हैं. प्राकृतिक रूप से उनके दोनों बच्चे पिता के जाति के होंगे. अनुसूचित जाति कॉलोनी में रहने से कोई अनुसूचित जाति के नहीं होंगे. कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को जाति को लेकर किसी को आपत्ति हो, तो वे अपना दावा कास्ट स्क्रूटनी कमेटी के समक्ष पेश कर सकता है. कोर्ट ने आवेदिका के अर्जी को खारिज करते हुए जाति दावा कास्ट स्क्रूटनी कमेटी में रखने का छूट दिया.

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