पटना: डॉक्टरों की ओर से एनएमसी बिल का विरोध किया जा रहा है. इस बिल को लेकर देशव्यापी हड़ताल भी की गयी. इस बिल के विरोध में अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों में हड़ताल से मरीजों को काफी परेशानी भी हुई. डॉक्टरों की मांग थी कि इस बिल में संशोधन किया जाए. इस बिल का सबसे ज्यादा विरोध मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र कर रहे हैं.
'मरीज और डॉक्टरों को होगी परेशानी '
मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने बताया कि अगर एनएमसी बिल लागू कर दिया गया तो सबसे ज्यादा नुकसान हमें ही होगा. क्योंकि इस बिल में कई ऐसे पॉइंट्स हैं जिससे मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को काफी परेशानी होगी. इस बिल में एग्जिट एग्जाम लिए जाने की बात की जा रही है जो कि सरासर गलत है. इस बिल का विरोध करते हुए छात्र ने बताया कि इसमें ब्रिज कोर्स का डायरेक्ट उपयोग नहीं किया गया है. बिल में सीएचपी (कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर) को इस्तेमाल किया जा रहा है. जो USA के तर्ज पर लाया गया है. इसमें डॉक्टरों को 6 महीने का कोर्स कराया जाएगा. जिसमें उन डॉक्टरों से लिमिटेड एडिशन के लिए ही दवा लिखने की मंजूरी दी जाएगी. इससे मरीज और डॉक्टर दोनों को परेशानी होगी.
'मेडिकल कॉलेजों के बढ़ेंगे फीस'
मेडिकल छात्र ने कॉलेजों के फीस के बारे में बताते हुए कहा कि पहले जो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज थे उनको 15% फी लेना था. बाकी 85% फी सरकार निश्चित करती थी. जिससे गरीब छात्र भी पढ़ सकते थे. लेकिन अब यह 50-50 प्रतिशत का हो गया है. इससे कॉलेज वाले मनचाहे फीस ले सकते हैं.