पटना: बिहार की राजधानी पटना में पहली बार नगर निकाय चुनाव (municipal elections in patna) में मेयर और डिप्टी मेयर, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए जनता सीधे वोट करेगी. पटना में महागठबंधन सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी कि मेयर और डिप्टी मेयर के पद को कैसे हासिल किया जाए. पटना नगर निगम क्षेत्र की बात करें तो निगम क्षेत्र के 75 वार्ड में पटना के 4 विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं, इनमें पटना साहिब, कुम्हरार, दीघा और बांकीपुर शामिल हैं. वर्तमान समय में इन चारों विधानसभा क्षेत्र के विधायक भाजपा से हैं.
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राजद-जदयू की भी दावेदारी: मेयर चुनाव के लिए बात करें तो भाजपा से दो उम्मीदवार मेयर पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं, राजद से भी दो उम्मीदवार मेयर पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं, जबकि जदयू से बात करें तो एक उम्मीदवार मेयर पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं. पटना की वर्तमान में मेयर सीता साहू और आयुष मंत्रालय के पूर्व सदस्य रहे डॉ अजय प्रकाश दोनों भाजपा कार्यकर्ता हैं और इस बार दोनों ही मेयर पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं. पटना की वर्तमान डिप्टी मेयर रजनी देवी और राज्य महिला ब्रिगेड की कद्दावर नेता मधु मंजरी दोनों राजद से हैं और इस बार मेयर पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं. वहीं जदयू की ओर से बात करें तो जदयू व्यवसायिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमल नोपानी (JDU leader Kamal Nopani) मेयर पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं.
छवि साफ को ही दें अपना समर्थन: भाजपा कार्यकर्ता और पटना से मेयर पद के लिए प्रत्याशी डॉ अजय प्रकाश (Mayor candidate Dr Ajay Prakash) ने बताया कि कि वैसे व्यक्ति का मेयर पद के लिए चुनाव होना चाहिए जिसके पास क्रिएटिव आईडिया हो, जो इस आइडिया को इंप्लीमेंट करने की क्षमता रखता हो और जमीन पर उतारते हो. इसके साथ ही जो सबके साथ सामंजस्य बैठा कर काम करने में सक्षम हो और जिसकी छवि साफ हो लोग उसे ही अपना समर्थन देंगे. उन्होंने कहा कि जनता समझ रही है कि उन्हें किसे चुनना है और उन्हें लोगों का भरपूर प्यार और समर्थन मिल रहा है. उन्हें पूरा विश्वास है कि बड़े अंतर से इस बार चुनाव में उस प्रत्याशी को जीत मिलेगी जो जनता के संसर्ग में रहते हो जनता के लिए काम करते हो.
सामाजिक सोच का व्यक्ति हो: जदयू व्यवसायिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमल नोपानी ने कहा कि मेयर का चुनाव और विधायक और सांसदों का चुनाव अलग है. विधायक और सांसद पार्टी के लिए समर्पित है और पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ते हैं जबकि मेयर का चुनाव पार्टी के सिंबल पर नहीं है. मेयर के चुनाव में पार्टी का किसी एक उम्मीदवार के प्रति सहयोग पीछे से हो सकता है. मेयर के चुनाव में पटना के जनता के विकास की बात हो रही है. ऐसे में यहां ऐसे सोच के व्यक्ति को मेयर चुनने की आवश्यकता है, जो सामाजिक सोच का व्यक्ति है और सामाजिक क्षेत्र में पहले से काम किया हुआ हो. उन्होंने कहा कि दीघा से दीदारगंज तक नगर निगम क्षेत्र में 4 विधानसभा और दो लोकसभा के क्षेत्र आते हैं. चारों विधानसभा और दोनों लोकसभा सीट पर भले ही भाजपा का कब्जा है लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) को भी यहां की जनता काफी पसंद करती है.
"मेयर के चुनाव के समय सरकार के टूट का कोई असर नहीं देखने को मिलेगा. क्योंकि यहां दल का चुनाव नहीं है और प्रत्याशी का चेहरा और छवि महत्वपूर्ण है. इस चुनाव में एक दल से तीन से चार कैंडिडेट और उससे भी अधिक कैंडिडेट बतौर प्रत्याशी उम्मीदवारी पेश करेंगे और ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल किसी एक प्रत्याशी को खुला समर्थन नहीं देगा क्योंकि इससे उसके बाकी कार्यकर्ता नाराज हो जाएंगे और समर्थकों के बीच बिखराव भी हो सकता है. जिसके पास क्रिएटिव आईडिया हो, जो इस आइडिया को इंप्लीमेंट करने की क्षमता रखता हो और जमीन पर उतारते हो. इसके साथ ही जो सबके साथ सामंजस्य बैठा कर काम करने में सक्षम हो और जिसकी छवि साफ हो लोग उसे ही अपना समर्थन देंगे." :- डॉ अजय प्रकाश, भाजपा नेता
"प्रदेश में सत्ता परिवर्तन जरूर हुआ है लेकिन प्रदेश के मुखिया का परिवर्तन नहीं हुआ है और मुखिया नीतीश कुमार ही हैं. जिस राज्य का मुखिया संवेदनशील और सामाजिक सोच का होता है, जो जात धर्म से ऊपर उठकर सबको साथ लेकर चलता है, उस व्यक्ति के लिए बिहार में जो सेवा करने का अवसर है वह लगातार उसी सोच के साथ जारी रहेगा. सत्ता परिवर्तन का कहीं कोई इंप्रेशन और इफेक्ट पार्टी की ओर नहीं पड़ रहा है और वह समझते हैं कि मेयर चुनाव में इसका कोई असर नहीं देखने को मिलेगा बल्कि लोगों का समर्थन ही उन्हें अधिक प्राप्त होगा " :- कमल नोपानी, अध्यक्ष जदयू व्यवसायिक प्रकोष्ठ
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