पटना: राजधानी पटना में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने बहुसंख्यक समुदाय के लोगों के लिए मिसाल पेश की है. अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा संचालित अस्पताल गरीबों और मजमूनो के लिए वरदान साबित हो रहा है. फुलवारी शरीफ प्रखंड स्थित इमारतें सरिया में स्थापित मौलाना सज्जाद मेमोरियल हॉस्पिटल (Maulana Sajjad Memorial Hospital) सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है.
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फुलवारी शरीफ इलाके के लोगों के लिए यह अस्पताल वरदान से कम नहीं है. महज 30 रुपए में लोग अस्पताल में हर बीमारी का इलाज भी करा लेते हैं और 4 दिनों की दवा भी मुफ्त मिलती है. 30 साल से इलाके के लोगों को सुलभ चिकित्सकीय व्यवस्था हासिल हो रही है. सज्जाद मेमोरियल हॉस्पिटल में तमाम आधुनिक सुविधाएं हैं और यह अस्पताल स्वाबलंबी है. कुछ चिकित्सक बगैर वेतन के यहां सेवा देते हैं. गरीबों के लिए मुफ्त इलाज की व्यवस्था भी अस्पताल में की गई है.
आमतौर पर यह माना जाता है कि माइनॉरिटी अस्पताल में सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय का ही इलाज होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. फुलवारीशरीफ स्थित सज्जाद मेमोरियल हॉस्पिटल में अल्पसंख्यक आबादी से ज्यादा बहुसंख्यक आबादी को लाभ पहुंचता है. लोग बेझिझक होकर अस्पताल में इलाज कराने के लिए आते हैं और अस्पताल में अगर भेदभाव के सब का इलाज किया जाता है. 75% से ज्यादा हिंदू समुदाय के लोग अस्पताल में इलाज कराते हैं ज्यादातर चिकित्सक बगैर तनख्वाह के अस्पताल में सेवा देते हैं. लोक कल्याण का यह सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है.
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डॉ. सैयद यासिर हबीब 10 साल से अस्पताल में बतौर डेंटल चिकित्सा प्रभारी के तौर पर योगदान दे रहे हैं. डॉक्टर यासिर बताते हैं कि हमारे अस्पताल में सभी धर्म, जाति और समुदाय के लोग आते हैं और हम बगैर भेदभाव के इलाज करते हैं. महिला चिकित्सक डॉक्टर शबाना भी अस्पताल में लंबे अरसे से सेवा दे रहे हैं. डॉक्टर शबाना बताती हैं कि बिहार के कई जिलों से लोग यहां इलाज के लिए आते हैं और लोगों को यहां सस्ता और सुलभ इलाज मिलता है.
फुलवारी शरीफ निवासी निभा गुप्ता और खुशबू लंबे समय से अस्पताल से जुड़ी हैं और यहां इलाज करवाकर वो बेहद संतुष्ट हैं. इनका मानना है कि कम पैसे में यहां बेहतर इलाज होता है. इलाज और जांच के नाम पर यहां लूट नहीं होती है. फुलवारी शरीफ निवासी सुरेश कुमार कहते हैं कि मैं इस अस्पताल में लंबे समय से आ रहा हूं और यहां के व्यवस्था से मैं बेहद संतुष्ट हूं. डॉक्टर अभिषेक गोलवारा प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक हैं और सप्ताह में 2 दिन सेवा देने के लिए आते हैं. डॉक्टर अभिषेक का मानना है कि चिकित्सक की कोई जाति और धर्म नहीं होता है. वह सबको समान नजरिए से देखते हैं.
डॉ. मुनाजिर हसनैन 70 की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन सेवा भावना उनके मन में है. लिहाजा वो निस्वार्थ अस्पताल में सेवा देते हैं. अस्पताल प्रबंधन से वेतन के रूप में कुछ भी नहीं लेते है. डॉक्टर मनाजिर का मानना है कि चिकित्सक कभी रिटायर नहीं होते. अस्पताल के प्रशासक फैयाज इकबाल का कहना है कि अस्पताल में सबके लिए बराबर भाव रहता है और यहां 70% से ज्यादा हिंदू समुदाय के लोग आते हैं. हम गरीबों का मुफ्त इलाज भी कराते हैं और काफी कम खर्चे पर लोगों को यहां तमाम तरह की सुविधाएं मिलती है.
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