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जब पीक पर होगी कोरोना की तीसरी लहर! उसी समय बिहार में होगी मैट्रिक-इंटर की परीक्षा, हो सकता है खतरनाक

बिहार में एक फरवरी से इंटर की परीक्षा शुरू हो रही है. जानकारों का मानना है कि यह वो समय होगा जब कोरोना की तीसरी लहर ( Covid Third Wave In Bihar) पीक पर होगी. ऐसे में परीक्षा आयोजन कराने के कदम को काफी खतरनाक माना जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

मैट्रिक-इंटर की परीक्षाएं
मैट्रिक-इंटर की परीक्षाएं
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Published : Jan 16, 2022, 7:25 PM IST

पटनाः प्रदेश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर (Covid Third Wave In Bihar) में नए मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. पटना समेत प्रदेश के सभी जिलों में नए मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है. चिकित्सा जगत से जुड़े लोग और पटना एम्स की ओर से आशंका जाहिर की जा रही है कि जनवरी के अंतिम सप्ताह से संक्रमण की पीक की शुरुआत होगी और फरवरी के दूसरे सप्ताह तक संक्रमण के मामलों में गिरावट की संभावना है.

इसे भी पढ़ें- Bihar Corona Update: बीते 24 घंटे में मिले 6325 नए मरीज, 4 की मौत, मरने वालों को थी अन्य बीमारियां

बड़ी बात ये कि इसी बीच 1 फरवरी से बिहार बोर्ड के इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षा की शुरुआत (Matric And Inter Examination During Covid) हो रही है, जिसमें लाखों छात्र शामिल होंगे. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने दिशा निर्देश भी जारी किया है. सभी जिलों में इंटरमीडिएट और मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा में शामिल हो रहे परीक्षार्थियों को कोरोना वैक्सीन के पहला डोज देने का निर्देश दिया है.

कोरोना के दौर में परीक्षाएं कितनी घातक?

संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर प्रदेश में एक तरफ सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं और क्लासेज वर्चुअल मोड पर चल रहे हैं. इसी बीच क्या कोरोना टीका का पहला डोज लेने के बाद 7 दिन के अंदर ही बच्चों में एंटीबॉडी अच्छी तरह से डेवलप कर जाएगी जिससे वह संक्रमण के पीक के दौरान 14 दिनों तक चलने वाली इस परीक्षा में सुरक्षित हो पाएंगे.

पटना के फिजिशियन डॉक्टर रजत ने बताया कि कोरोना टीका का पहला डोज लेने के 14 दिनों के बाद शरीर में एंटीबॉडी तैयार होना शुरू होता है. वहीं, दूसरा डोज लेने के 7 दिनों बाद शरीर में एंटीबॉडी डेवलप होना शुरू होता है. प्रिकॉशनरी डोज लेने के तुरंत बाद शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण शुरू हो जाता है.

डॉ रजत बताते हैं कि वैक्सीन का पहला डोज लेने के तुरंत बाद बाहर सड़कों पर घूमना उचित नहीं है. यह संक्रमण से बचाव की गारंटी नहीं देता और संक्रमित होने का खतरा अधिक रहता है. क्योंकि वैक्सीन के माध्यम से भी शरीर में किल्ड वायरस डाला जाता है.

इसे भी पढ़ें- 'जहरीली शराब से मौत' पर JDU का पलटवार- 'ज्ञानवर्धन कर लीजिए जायसवाल जी! गोपालगंज के आरोपियों को दी जा चुकी है फांसी की सजा'

ऐसे में इन सब तमाम स्थितियों के बीच लोग प्रश्न पूछ रहे हैं कि आखिर क्या मजबूरी है कि सरकार निर्धारित समय पर ही इंटरमीडिएट और मैट्रिक वार्षिक परीक्षा के बच्चों की परीक्षाएं आयोजित कराना चाहती है. जबकि विशेषज्ञों का दावा है कि इस समय संक्रमण पीक पर होगा और फरवरी के दूसरे सप्ताह के बाद ही संक्रमण के मामलों में कमी आनी शुरू होगी.

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पटनाः प्रदेश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर (Covid Third Wave In Bihar) में नए मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. पटना समेत प्रदेश के सभी जिलों में नए मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है. चिकित्सा जगत से जुड़े लोग और पटना एम्स की ओर से आशंका जाहिर की जा रही है कि जनवरी के अंतिम सप्ताह से संक्रमण की पीक की शुरुआत होगी और फरवरी के दूसरे सप्ताह तक संक्रमण के मामलों में गिरावट की संभावना है.

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बड़ी बात ये कि इसी बीच 1 फरवरी से बिहार बोर्ड के इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षा की शुरुआत (Matric And Inter Examination During Covid) हो रही है, जिसमें लाखों छात्र शामिल होंगे. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने दिशा निर्देश भी जारी किया है. सभी जिलों में इंटरमीडिएट और मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा में शामिल हो रहे परीक्षार्थियों को कोरोना वैक्सीन के पहला डोज देने का निर्देश दिया है.

कोरोना के दौर में परीक्षाएं कितनी घातक?

संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर प्रदेश में एक तरफ सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं और क्लासेज वर्चुअल मोड पर चल रहे हैं. इसी बीच क्या कोरोना टीका का पहला डोज लेने के बाद 7 दिन के अंदर ही बच्चों में एंटीबॉडी अच्छी तरह से डेवलप कर जाएगी जिससे वह संक्रमण के पीक के दौरान 14 दिनों तक चलने वाली इस परीक्षा में सुरक्षित हो पाएंगे.

पटना के फिजिशियन डॉक्टर रजत ने बताया कि कोरोना टीका का पहला डोज लेने के 14 दिनों के बाद शरीर में एंटीबॉडी तैयार होना शुरू होता है. वहीं, दूसरा डोज लेने के 7 दिनों बाद शरीर में एंटीबॉडी डेवलप होना शुरू होता है. प्रिकॉशनरी डोज लेने के तुरंत बाद शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण शुरू हो जाता है.

डॉ रजत बताते हैं कि वैक्सीन का पहला डोज लेने के तुरंत बाद बाहर सड़कों पर घूमना उचित नहीं है. यह संक्रमण से बचाव की गारंटी नहीं देता और संक्रमित होने का खतरा अधिक रहता है. क्योंकि वैक्सीन के माध्यम से भी शरीर में किल्ड वायरस डाला जाता है.

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ऐसे में इन सब तमाम स्थितियों के बीच लोग प्रश्न पूछ रहे हैं कि आखिर क्या मजबूरी है कि सरकार निर्धारित समय पर ही इंटरमीडिएट और मैट्रिक वार्षिक परीक्षा के बच्चों की परीक्षाएं आयोजित कराना चाहती है. जबकि विशेषज्ञों का दावा है कि इस समय संक्रमण पीक पर होगा और फरवरी के दूसरे सप्ताह के बाद ही संक्रमण के मामलों में कमी आनी शुरू होगी.

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