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मंजीत सिंह ने नीतीश कुमार को बताया 'राजनीतिक पिता', कहा- तेजस्वी से सिर्फ हुई शिष्टाचार मुलाकात

जेडीयू से नाराज चल रहे मंजीत सिंह (Manjit Singh) ने आरजेडी (RJD) का दामन थामने का अपना विचार छोड़ दिया है. उन्हें मनाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया था. जिसके बाद लेसी सिंह के नेतृत्व में गई टीम ने मंजीत सिंह को मना भी लिया है.

पटना
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Published : Jul 1, 2021, 8:52 PM IST

पटना: जदयू के पूर्व विधायक मंजीत सिंह (Manjit Singh) के आरजेडी (RJD) में जाने की चर्चा के बाद जदयू (JDU) में हलचल मच गई थी. गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के निर्देश पर उन्हें मनाने के लिए मंत्री लेसी सिंह, पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह और कई राजपूत नेता गोपालगंज गए. जिसके बाद लेसी सिंह के नेतृत्व में गई टीम ने मंजीत सिंह को मना भी लिया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने भी मंजीत सिंह से बातचीत की.

ये भी पढ़ें- JDU के पूर्व MLA के ऐलान के बाद टेंशन में नीतीश... मनाने उतरी नेताओं की फौज

''नीतीश कुमार हमारे अभिभावक हैं. हमने राजनीतिक पिता के तौर पर उन्हें माना है. 2020 में विधानसभा में पार्टी ने हमें उम्मीदवार नहीं बनाया था, इस बात का मलाल मेरे मन में और मेरे कार्यकर्ताओं के बीच में था. उसी सिलसिले में माननीय मुख्यमंत्री ने फोन के जरिए मुझसे लंबी वार्ता की. अब उनसे मिलकर उनके सामने सारी बात रखूंगा. मैंने तेजस्वी यादव से शिष्टाचार मुलाकात की थी.''- मंजीत सिंह, पूर्व विधायक, जदयू

देखें रिपोर्ट

''माननीय मंजीत सिंह समता पार्टी के कार्यकाल से ही संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. सभी सदस्यों का पार्टी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. नीतीश कुमार हम सभी के अभिभावक हैं. जब मंजीत सिंह के आरजेडी में जाने की चर्चाएं तेज हुए तो मुख्यमंत्री दुखी हुए. अब मंजीत सिंह मुख्यमंत्री से मिलकर अपने दुख दर्द साझा करेंगे. लेकिन अब सब ठीक है और मंजीत सिंह ना तो पहले गए हैं और ना अब कहीं जाएंगे.''- लेसी सिंह, मंत्री

टिकट नहीं मिलने से थे नाराज
विधानसभा चुनाव 2015 में बैकुंठपुर से मंजीत सिंह महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार थे. तब राजद और जदयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. हालांकि इस बार वे भाजपा के प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी से चुनाव हार गए थे. लेकिन जब 2020 विधासभा चुनाव में बैकुंठपुर सीट भाजपा के खाते में चला गया, इसके बाद मंजीत सिंह बागी होकर निर्दलीय मैदान ने उतरे थे. इस बार भी वे खुद तो नहीं जीत पाए, लेकिन समीकरण बदलते हुए मिथिलेश तिवारी को भी शिकस्त दे दी थी.

मंजीत पर पार्टी ने की थी कार्रवाई
मंजीत सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण एनडीए उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी को शिकस्त मिली थी. इसके बाद पार्टी ने मंजीत सिंह पर कार्रवाई भी की थी. परिणाम के बाद मंजीत मान-मनव्वल के लिए जदयू के नेताओं से लगातार संपर्क में रहे. बात तब भी नहीं बनी तो अंत में उन्होंने राजद ज्वाइन करने का फैसला किया था.

ये भी पढ़ें- समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी का इस्तीफा, कहा- नहीं सुनते हैं अधिकारी

नीतीश के करीबी माने जाते रहे हैं मंजीत
बता दें कि मनजीत सिंह के पिता बृज किशोर सिंह बिहार सरकार में मंत्री थे. वे बैकुंठपुर से प्रतिनिधित्व करते रहे थे. उनके निधन के बाद मंजीत सिंह ने उनकी विरासत संभाली और जदयू से दो बार विधायक चुने गए. मंजीत सिंह नीतीश कुमार के काफी करीबी नेता माने जाते रहे हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव 2020 के बाद से हालात बदल गए हैं. वे राजपूत बिरादरी से आते हैं. उनकी सारण क्षेत्र में अपनी अलग पहचान है.

पटना: जदयू के पूर्व विधायक मंजीत सिंह (Manjit Singh) के आरजेडी (RJD) में जाने की चर्चा के बाद जदयू (JDU) में हलचल मच गई थी. गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के निर्देश पर उन्हें मनाने के लिए मंत्री लेसी सिंह, पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह और कई राजपूत नेता गोपालगंज गए. जिसके बाद लेसी सिंह के नेतृत्व में गई टीम ने मंजीत सिंह को मना भी लिया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने भी मंजीत सिंह से बातचीत की.

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''नीतीश कुमार हमारे अभिभावक हैं. हमने राजनीतिक पिता के तौर पर उन्हें माना है. 2020 में विधानसभा में पार्टी ने हमें उम्मीदवार नहीं बनाया था, इस बात का मलाल मेरे मन में और मेरे कार्यकर्ताओं के बीच में था. उसी सिलसिले में माननीय मुख्यमंत्री ने फोन के जरिए मुझसे लंबी वार्ता की. अब उनसे मिलकर उनके सामने सारी बात रखूंगा. मैंने तेजस्वी यादव से शिष्टाचार मुलाकात की थी.''- मंजीत सिंह, पूर्व विधायक, जदयू

देखें रिपोर्ट

''माननीय मंजीत सिंह समता पार्टी के कार्यकाल से ही संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. सभी सदस्यों का पार्टी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. नीतीश कुमार हम सभी के अभिभावक हैं. जब मंजीत सिंह के आरजेडी में जाने की चर्चाएं तेज हुए तो मुख्यमंत्री दुखी हुए. अब मंजीत सिंह मुख्यमंत्री से मिलकर अपने दुख दर्द साझा करेंगे. लेकिन अब सब ठीक है और मंजीत सिंह ना तो पहले गए हैं और ना अब कहीं जाएंगे.''- लेसी सिंह, मंत्री

टिकट नहीं मिलने से थे नाराज
विधानसभा चुनाव 2015 में बैकुंठपुर से मंजीत सिंह महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार थे. तब राजद और जदयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. हालांकि इस बार वे भाजपा के प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी से चुनाव हार गए थे. लेकिन जब 2020 विधासभा चुनाव में बैकुंठपुर सीट भाजपा के खाते में चला गया, इसके बाद मंजीत सिंह बागी होकर निर्दलीय मैदान ने उतरे थे. इस बार भी वे खुद तो नहीं जीत पाए, लेकिन समीकरण बदलते हुए मिथिलेश तिवारी को भी शिकस्त दे दी थी.

मंजीत पर पार्टी ने की थी कार्रवाई
मंजीत सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण एनडीए उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी को शिकस्त मिली थी. इसके बाद पार्टी ने मंजीत सिंह पर कार्रवाई भी की थी. परिणाम के बाद मंजीत मान-मनव्वल के लिए जदयू के नेताओं से लगातार संपर्क में रहे. बात तब भी नहीं बनी तो अंत में उन्होंने राजद ज्वाइन करने का फैसला किया था.

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नीतीश के करीबी माने जाते रहे हैं मंजीत
बता दें कि मनजीत सिंह के पिता बृज किशोर सिंह बिहार सरकार में मंत्री थे. वे बैकुंठपुर से प्रतिनिधित्व करते रहे थे. उनके निधन के बाद मंजीत सिंह ने उनकी विरासत संभाली और जदयू से दो बार विधायक चुने गए. मंजीत सिंह नीतीश कुमार के काफी करीबी नेता माने जाते रहे हैं. हालांकि विधानसभा चुनाव 2020 के बाद से हालात बदल गए हैं. वे राजपूत बिरादरी से आते हैं. उनकी सारण क्षेत्र में अपनी अलग पहचान है.

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