पटना: बिहार के ऐसे कर्मी और अधिकारी जो अब तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे रहे थे. ऐसे लोग अब सतर्क हो जाएं. जी हां, क्योंकि अब बिहार सरकार सख्त हो गई है. तय समय में संपत्ति का ब्यौरा (Property Details Mandatory) नहीं सौंपने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. बिहार सरकार के नियम के तहत समूह 'क' से 'ग' तक के अधिकारियों और कर्मचारियों को हर साल अपनी चल और अचल संपत्ति और दायित्वों का ब्योरा देना अनिवार्य है.
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बता दें कि नियमानुसार अधिकारियों और कर्मचारियों को हर साल अपनी चल और अचल संपत्ति और दायित्वों का ब्यौरा फरवरी माह तक अपने विभाग में जमा करना होता है. इसके साथ ही उसे वेबसाइट पर जारी किया जाता है. लेकिन बड़ी संख्या में कर्मचारी और अधिकारी समय पर जमा नहीं करते हैं. लेकिन अब ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों पर सरकार कार्रवाई करने के मूड में है.
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सामान्य प्रशासन विभाग ने इसे लेकर सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव और विभागाध्यक्ष के साथ प्रमंडलीय आयुक्त और जिला पदाधिकारियों को पत्र लिखा है. संपत्ति का विवरण नहीं देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन रोका जाएगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की सत्ता संभालने के बाद पारदर्शिता के लिए अपने साथ सभी मंत्रियों, अधिकारियों और कर्मचारियों की भी संपत्ति का ब्यौरा हर साल आम लोगों के लिए जारी करने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री और सभी मंत्री नए साल के शुरू होने से पहले अपनी संपत्ति का ब्यौरा जारी करते रहे हैं. अधिकारियों और कर्मचारियों को फरवरी तक अपनी चल और अचल संपत्ति के साथ दायित्वों का भी ब्यौरा देना होता है.
सरकारी नियमों का उल्लंघन कर कई अधिकारी और कर्मचारी समय पर ब्यौैरा जमा नहीं करते हैं. सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव और मुख्यमंत्री के भी प्रधान सचिव चंचल कुमार ने इसे लेकर सभी वरीय अधिकारियों को पत्र जारी किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इसे लेकर काफी गंभीर हैं. अब समय पर ब्यौरा जमा नहीं करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिर सकता है.
राज्य सरकार के अधीन समूह क, ख, और ग के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वन सेवा समेत तमाम अधिकारी जुड़े हुए हैं. अधिकारी और कर्मचारी अपने विभाग को सरकार के तरफ से तय फॉर्मेट में यह ब्यौरा देते हैं. फरवरी तक यह ब्यौरा सौंपना होता है. इसके बाद विभाग के स्तर से उसे आम लोगों के लिए वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाता है.
मुख्यमंत्री ने हर साल चल और अचल संपत्ति जारी करने की व्यवस्था की है. मंत्रियों के साथ बिहार विधानसभा और विधान परिषद के जनप्रतिनिधियों के लिए भी यह व्यवस्था है. नीतीश सरकार की इसके पीछे यह सोच है कि इससे लोगों में एक अच्छा मैसेज आएगा और कदाचार पर भी रोक लगेगा.
इस तरह का पत्र हर साल सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी होता रहा है. हर बार चेतावनी भी दी जाती रही है. अब ऐसे में देखना यह है कि आने वाले वर्ष 2022 के फरवरी माह के अंत तक सभी अधिकारी और कर्मचारी ब्यौरा सौंपते हैं या नहीं. यदि नहीं सौंपते हैं, तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी.