पटना : बिहार राज्य संविदा कर्मी शिक्षा सेवक एवं तालिमी मरकज संघ के प्रदेश सचिव प्रकाश बौद्ध ने कहा है कि वे लोग नियोजित शिक्षकों की तरह 8 घंटे कार्य करते हैं. इसके बावजूद इस बढ़ती महंगाई में वेतन के रूप में ईपीएफ कटौती होने के बाद मात्र 9680 रुपये ही मानदेय मिलता है. इतनी कम राशि में घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में सरकार से गुहार लगायी है कि उनलोगों को नियोजित शिक्षक का दर्जा प्रदान किया जाए. नियोजित शिक्षकों की सुविधा मुहैया करायी जाए.
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"14 वर्षों से हम लोग कार्यरत हैं. महा दलित और पिछड़े बस्तियों के बच्चों को शिक्षा से जोड़कर उन्हें शिक्षित करने के कार्य में लगे हुए हैं. इतने कम वेतन में घर चलाना मुश्किल हो रहा है."- प्रकाश बौद्ध, प्रदेश सचिव, बिहार राज्य संविदा कर्मी शिक्षा सेवक एवं तालिमी मरकज संघ
मुख्यमंत्री से लगायी थी गुहार: प्रकाश बौद्ध ने कहा कि पहले वे लोग महादलित टोला सेवक थे जिसे बाद में शिक्षा सेवक और तालिमी मरकज का नाम दिया गया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के समाधान यात्रा के दौरान उन लोगों ने मुख्यमंत्री को पत्र दिया था और गुहार लगाई थी कि उन्हें नियोजित शिक्षक बनाया जाए. इसके लिए जरूरी प्रशिक्षण भी उन लोगों को दिया जाए जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उन लोगों की मांगों पर सहमति जताई थी और अधिकारियों को अग्रसर कार्यवाही करने का निर्देश दिया था.
सरकार से की मांग: प्रकाश बौद्ध ने कहा कि विद्यालयों में 8 घंटे सेवा देने के बावजूद वह सभी महादलित शिक्षा सेवक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. उनके कई साथियों ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या भी की है. आर्थिक तंगी के कारण परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि कई वर्षों से उन लोगों का वेतन नहीं बढ़ा है. महंगाई कई गुना बढ़ी है. उन लोगों की सरकार से बस यही गुहार है कि सरकार उन्हें नियोजित शिक्षक का दर्जा प्रदान करते हुए नियोजित शिक्षकों को मिलने वाली सुविधाएं और वेतन उपलब्ध कराए.