पटना: वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोपों में फंसे मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद (Magadh University VC Rajendra Prasad) का पटना उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत याचिका रद्द किए जाने के बाद बर्खास्तगी की मांग जोर पकड़ने लगी थी. आखिरकार राज्यपाल फागू चौहान (Governor Phagu Chauhan) ने शनिवार देर रात उनसे इस्तीफा ले लिया है. निगरानी के छापे में करोड़ों रुपए नगद मिलने और 30 करोड़ से ज्यादा की अनियमितता के आरोप लगने के बाद सुशील मोदी समेत सत्ता पक्ष और विपक्ष के तमाम नेताओं ने उन्हें हटाने की मांग की थी.
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मगध विश्वविद्यालय कॉपी घोटाला: दरअसल, मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद के यहां निगरानी के छापे में करोड़ों रुपए नगद मिले और 30 करोड़ से ज्यादा के अनियमितता के आरोप लगे थे. इसको लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी बर्खास्त करने की मांग की थी. मगध विश्वविद्यालय के वीसी राजेंद्र प्रसाद वित्तीय अनियमितता के आरोप लगने के बाद सुशील मोदी ने भी आरोप लगाया था कि झूठी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पिछले 6 महीने से छुट्टी पर चल रहे थे. राज्य सरकार की तरफ से भी राज्यपाल से कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था.
कुलपति राजेंद्र प्रसाद पर कार्रवाई की मांग: वीसी पर कार्रवाई नहीं होने के कारण राजभवन पर भी सवाल उठ रहे थे लेकिन पटना उच्च न्यायालय की ओर से वीसी की जमानत याचिका रद्द किए जाने के बाद बर्खास्तगी की मांग जोर पकड़ने लगी और आखिरकार राज्यपाल फागू चौहान ने शनिवार देर शाम कुलपति राजेंद्र प्रसाद से इस्तीफा ले लिया. राजभवन से इसका लेटर भी जारी कर दिया गया. फागू चौहान दिल्ली गए थे, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी. उनके दिल्ली दौरे को लेकर कई तरह के कयास भी लग रहे थे लेकिन शनिवार को वापस पटना लौट आए और लौटने के बाद वीसी के इस्तीफा पर फैसला लिया है.
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