पटनाः बिहार के मगध विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री (Magadh University fake degree) पर हिमाचल प्रदेश में नौकरी कर रहे करीब डेढ़ दर्जन लोगों का खुलासा हुआ है. हिमाचल प्रदेश विजिलेंस (Himachal Pradesh Vigilance) की छापेमारी में यूनिवर्सिटी की 17 डिग्रियां फर्जी पाई गई है. हालांकि, मगध विश्वविद्यालय ने ऐसी किसी डिग्री जारी करने से इंकार किया है. इस मामले में अब विजिलेंस बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है.
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दरअसल, यह काफी पुराना मामला है. हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2005 में शिक्षा विभाग में अध्यापक की भर्ती में करीब दो दर्जन अभ्यर्थियों ने मगध यूनिवर्सिटी के सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी हासिल की थी. इनकी डिग्रियों की जांच करने के बाद सर्टिफिकेट संदेहास्पद लगे.
इसके बाद हिमाचल प्रदेश विजिलेंस टीम मामले की जांच को लेकर मगध विश्वविद्यालय पहुंची, जहां छानबीन के दौरान ऐसे कोई दस्तावेज मगध यूनिवर्सिटी के पास उपलब्ध नहीं मिले. खबरों के मुताबिक फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वालों में एक स्कूल प्रिंसिपल और एक दर्जन पूर्व सैनिक भी शामिल बताए जा रहे हैं. स्कूल प्रिंसिपल की तो बीएससी, एमएससी और बीएड तीनों डिग्रियां फर्जी बताई जा रही है.
अब संभावना जताई जा रही है कि विजिलेंस में एफआईआर दर्ज होने के साथ ही फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरियां हासिल करने वाले सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी होगी. यहां आपको ये बता दें कि इससे पहले मार्च 2018 में भी विजिलेंस टीम बिहार की मगध यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्रियों की जांच कर चुकी है. उस दौरान संबंधित डिग्री धारकों का कोई रिकॉर्ड विश्वविद्यालय में नहीं मिला था, लेकिन एफआईआर के बाद भी उस दौरान इनपर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी.
इस मामले की शिकायत राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो शिमला में की गई. इसके बाद हमीरपुर से विजिलेंस टीम मार्च 2018 में मगध विवि पहुंची थी. टीम ने विवि में अध्यापकों की डिग्रियों से जुड़े रिकॉर्ड खंगाले लेकिन प्रवेश और परीक्षाओं से जुड़े दस्तावेज नहीं मिले.
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विजिलेंस ने रिपोर्ट मार्च में ही विजिलेंस मुख्यालय शिमला में जमा करवाई, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी शिक्षा विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की. इस मामले में एफआईआर के बाद कोर्ट में चालान पेश होना था, लेकिन अब दोबारा जांच होने और रिपोर्ट शिमला कार्यालय में जमा होने के बाद फर्जी डिग्री धारक सरकारी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होनी तय है.
मगध विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी शैलेंद्र त्रिपाठी ने ईटीवी भारत को बताया कि कुछ महीने पहले हिमाचल प्रदेश निगरानी की टीम ने कुछ सर्टिफिकेट की जांच के लिए विश्वविद्यालय का दौरा किया था. लेकिन पूरी जांच में ऐसे कोई सर्टिफिकेट का रिकॉर्ड मगध विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध नहीं मिला यानी ऐसे 17 सर्टिफिकेट मगध विश्वविद्यालय से जारी ही नहीं किए गए.
विजिलेंस थाना हमीरपुर के डीएसपी लालमन शर्मा ने कहा कि फर्जी डिग्रियों की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम बिहार की मगध यूनिवर्सिटी भेजी गई थी. टीम वापस आ चुकी है.
बता दें कि बिहार में भी फर्जी डिग्री और फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर बड़ी संख्या में नौकरी हासिल करने का मामला शिक्षा विभाग के पास भी लंबित है. वर्ष 2015 में निगरानी ने करीब 3.5 लाख शिक्षकों के डिग्री की जांच शुरू की थी लेकिन अब तक करीब एक लाख शिक्षकों की डिग्री की जांच पूरी नहीं हुई है.
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बिहार समेत देश के अलग-अलग विश्वविद्यालय से फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के खिलाफ सैकड़ों एफआईआर भी दर्ज की गई है. फर्जी सर्टिफिकेट का मामला सिर्फ यहीं खत्म नहीं होता.
बिहार में छठे चरण के प्राथमिक शिक्षक नियोजन के दौरान करीब 38000 शिक्षकों की काउंसलिंग हुई है. उनमें भी बड़ी संख्या में फर्जी सर्टिफिकेट की पहचान हुई है. शिक्षा विभाग ने फर्जी सर्टिफिकेट की भरमार को देखते हुए इस बात को स्पष्ट किया है कि जब तक चयनित शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच नहीं हो जाती तब तक उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिलेगा.