पटना: भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और जननेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की आज शुक्रवार को 118वीं जयंती है. उनका जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था. उन्होंने इंदिरा गांधी की नीतियों के विरोध में ऐसा आंदोलन खड़ा किया, जिससे देश की राजनीति ही बदल गई थी.
संपूर्ण क्रांति की चिंगारी
संपूर्ण क्रांति की चिंगारी पूरे बिहार से फैल कर देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी और जनमानस जेपी के पीछे चलने को मजबूर हो गये. अपने भाषण में जयप्रकाश नारायण ने कहा-'भ्रष्टाचार मिटाए, बेरोजगारी दूर किए, शिक्षा में क्रांति लाए बगैर व्यवस्था परिवर्तित नहीं की जा सकती.'
इंदिरा गांधी से मांग लिया था इस्तीफा
जब जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया, उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी. जयप्रकाश की निगाह में इंदिरा गांधी की सरकार भ्रष्ट होती जा रही थी. 1975 में निचली अदालत में इंदिरा गांधी पर चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया. जयप्रकाश ने उनके इस्तीफे की मांग कर दी. जेपी का कहना था इंदिरा सरकार को गिरना ही होगा. आनन-फानन में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी.
पटना के गांधी मैदान से 'जेपी' की दहाड़
जय प्रकाश नारायण ने पटना के गांधी मैदान से दिल्ली में बैठीं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी हिला दिया. उन दिनों राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था- 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'. जब कोई याद करता है तो सिहरन पैदा कर देती है. वो जोश उन लोगों में एक बार फिर भर देती है जो शायद आज के लोगों में नहीं है.
इंदिरा ने जेपी को जेल में डाल दिया
साल 1975 में इंदिरा ने जेपी को जेल में डाल दिया. कभी वे जिस इंदिरा को प्यार से इंदु कहते थे, उसी इंदिरा ने उन्हें जेल भेज दिया क्योंकि वे उस समय इंदु नहीं प्रधानमंत्री थीं और इमरजेंसी की घोषणा कर चुकी थी. अब विरोध करने वालों को जेल जाना था जिनमें ना चाहते हुए भी जेपी का नाम शामिल हो गया. लेकिन जेपी का जेल जाना कभी जाया नहीं गया. जयप्रकाश तो पटना के गांधी मैदान से वो क्रांति की चिंगारी लगा चुके थे, जिसने हक मांगने वाले युवाओं को सड़क पर खड़ा कर दिया.
पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार
जनवरी 1977 आपातकाल काल हटा लिया गया और लोकनायक के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के चलते पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी. आंदोलन का प्रभाव न केवल देश में, बल्कि दुनिया के तमाम छोटे-बड़े देशों पर पड़ा. सन 1977 में ऐसा माहौल था, जब जनता आगे थी और नेता पीछे थे. ये जेपी का ही करिश्माई नेतृत्व का प्रभाव था.
'जेपी के जेल जाने के बाद आंदोलन भटक गया'
अवकाश प्राप्त आईएएस और समाजवादी विजय प्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जयप्रकाश नारायण आंदोलन के जरिए बहुत कुछ हासिल करना चाहते थे लेकिन उनके जेल जाने के बाद आंदोलन भटक गया. उनके बाद किसी ने आंदोलन को आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं की. विजय प्रकाश ने कहा कि देश के अंदर फिर एक बड़े जन आंदोलन की जरूरत है, जो जेपी द्वारा स्थापित मूल्यों को लागू कर सके.