लखनऊ: बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में विधानसभा चुनाव से पहले खेमों में बंट गई है. एक कुनबा चिराग पासवान (Chirag Paswan) को अपना नेता मान रहा है, तो दूसरा खेमा उनके चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को. लखनऊ में इस पार्टी के एक नहीं, बल्कि दो कार्यालय चल रहे हैं. इनमें एक पक्ष यूपी में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जिताने के लिए साथ देगा, तो दूसरा पक्ष भारतीय जनता पार्टी के विरोध में खड़ा होगा.
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चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी का दफ्तर लोक भवन से ठीक पीछे स्थित है, जबकि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस की अध्यक्षता वाली लोक जनशक्ति पार्टी का कार्यालय लालबाग में खोला गया है. चिराग पासवान की पार्टी के नेता एलजेपी के नए कार्यालय को असंवैधानिक बता रहे हैं. उनका कहना है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ही हैं. पशुपति कुमार पारस असंवैधानिक तरीके से खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बता रहे हैं. उनका कहना है कि लखनऊ में जो कार्यालय खोला गया है, वह पूरी तरह अवैध है. लोक जनशक्ति पार्टी का पुराना और वैध कार्यालय चिराग पासवान के नेतृत्व वाला ही है.
चिराग पासवान की अध्यक्षता वाली लोक जनशक्ति पार्टी की कमान उत्तर प्रदेश में मणि शंकर पांडेय के हाथ है. पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. वहीं पशुपति कुमार पारस की एलजेपी ने उत्तर प्रदेश में ललित नारायण चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. ललित की अध्यक्षता वाला कार्यालय 15 अगस्त को खोला गया है. हालांकि अभी पार्टी कार्यालय पर ताला पड़ा हुआ है. ललित नारायण चौधरी ने बताया कि अभी कार्यालय का विधिवत उद्घाटन नहीं हुआ है. अनावरण के बाद पार्टी कार्यालय पर पदाधिकारी बैठेंगे और अपनी पार्टी को यूपी में मजबूत करेंगे.
उत्तर प्रदेश में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी वाला खेमा भारतीय जनता पार्टी के विरोध में है और इसके प्रत्याशी बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतरेंगे, जबकि पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाली एलजेपी यूपी में बीजेपी के साथ खड़ी होगी. बिहार चुनाव से पहले चिराग पासवान और भारतीय जनता पार्टी में दूरियां बढ़ गई थीं, जिसके बाद लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार में भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन के बजाय अकेले ही चुनाव लड़ा था. अब यूपी में भी बीजेपी से पार्टी अलग ही रहेगी. हाल के घटनाक्रम के बाद पशुपति कुमार पारस एनडीए के साथ खड़े हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश में वे बीजेपी के साथ रहेंगे.
लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता जॉय बनर्जी का कहना है कि पार्टी के मुताबिक यह दूसरा कार्यालय जो खोला गया है, वह पूरी तरह से असंवैधानिक है. पहले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने जिन लोगों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था, यह उन्हीं लोगों का कार्यालय है. इसकी कोई मान्यता नहीं है. उस एलजेपी का कोई आधार नहीं है. कोई वजूद नहीं है. इसके खिलाफ राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही लोकसभा में प्रतिवेदन दे चुके हैं. इसके अलावा निर्वाचन आयोग में भी प्रतिवेदन दिया जा चुका है. लखनऊ में एलजेपी का कार्यालय संविधान के पूरी तरह विपरीत है.
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