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तारापुर उपचुनाव: अपने ही संसदीय क्षेत्र में दांव पर है चिराग पासवान की प्रतिष्ठा

बिहार में 30 अक्टूबर को दो सीटों पर होने वाला उपचुनाव काफी दिलचस्प होता जा रहा है. यहां सभी पार्टियां जीत का दावा कर रही हैं. वहीं, तारापुर विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव चिराग पासवान के लिए काफी महत्वपूर्ण है. पार्टी ने इस सीट पर अपनी जीत का दावा किया है. पढ़ें विशेष रिपोर्ट.

चिराग पासवान
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Published : Oct 20, 2021, 3:11 PM IST

पटनाः लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने एक बार फिर से विधानसभा की तरह ही उपचुनाव (Bihar by election) की दोनों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. इस बार चिराग पासवान के सामने सिर्फ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) नहीं बल्कि उनके अपने चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) भी हैं. चिराग के सामने यह दिखाने की चुनौति भी है कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ अकेले चुनाव लड़ने का फैसला सही था.

ये भी पढ़ेंः 'मेरी वजह से JDU बनी तीसरे नंबर की पार्टी, बदले की भावना से CM ने हमारे परिवार को तोड़ा'

दरअसल, इस वक्त चिराग वर्सेस चाचा की लड़ाई चल रही है. बिहार उपचुनाव तारापुर और कुशेश्वरस्थान में किसकी नाक बचेगी, यह देखने का विषय होगा. वहीं, चिराग पासवान गुट के प्रवक्ता चंदन सिंह ने दावा किया कि चिराग पासवान के संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले तारापुर में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) की जीत सुनिश्चित है.

देखें वीडियो

आपको बता दें कि तारापुर विधानसभा सीट कहीं ना कहीं चिराग पासवान के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. यह विधानसभा सीट उनके लोकसभा क्षेत्र जमुई के अंतर्गत है. अपने ही संसदीय क्षेत्र के विधानसभा सीट पर उपचुनाव हारना चिराग पासवान के लिए आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए शुभ संकेत नहीं होगा. उपचुनाव को लेकर चिराग पासवान ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. जानकारी के अनुसार चिराग पासवान चुनाव तक इन्हीं दोनों क्षेत्रों में रहकर जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः उपचुनाव से तय होगी चिराग की राजनीतिक दशा और दिशा, जानें जीत क्यों है जरूरी

बता दें कि बिहार विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. दोनों सीटें जदयू विधायकों के निधन से खाली हुई हैं. एक कुशेश्वरस्थान और दूसरी सीट तारापुर है. एक तरफ जहां सत्ताधारी दल जेडीयू ने अपनी दोनों सीटों को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं मुख्य विपक्षी दल आरजेडी की कोशिश उपचुनाव में जेडीयू कैंडिडेट को हरा कर उस पर कब्जा करने की है.

हालांकि राजद की राह में कांग्रेस रोड़ा बन गई है. इन सबके बीच चिराग पासवान की चुनौती भी कम नहीं है. लिहाजा तारापुर सीट चिराग के लिए प्रतिष्ठा का विषय है. हालांकि ज्यादातर देखा जाता है कि उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी की ही जीत होती है. या यूं कहें कि जिस दल के विधायक का निधन होता है उसी दल के एक कैंडिडेट की जीत होती है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या उपचुनाव में चिराग अपनी प्रतिष्ठा बचा पाएंगे या अपने ही संसदीय क्षेत्र में औंधे मुंह गिरेंगे.

पटनाः लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने एक बार फिर से विधानसभा की तरह ही उपचुनाव (Bihar by election) की दोनों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. इस बार चिराग पासवान के सामने सिर्फ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) नहीं बल्कि उनके अपने चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) भी हैं. चिराग के सामने यह दिखाने की चुनौति भी है कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ अकेले चुनाव लड़ने का फैसला सही था.

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दरअसल, इस वक्त चिराग वर्सेस चाचा की लड़ाई चल रही है. बिहार उपचुनाव तारापुर और कुशेश्वरस्थान में किसकी नाक बचेगी, यह देखने का विषय होगा. वहीं, चिराग पासवान गुट के प्रवक्ता चंदन सिंह ने दावा किया कि चिराग पासवान के संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले तारापुर में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान) की जीत सुनिश्चित है.

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आपको बता दें कि तारापुर विधानसभा सीट कहीं ना कहीं चिराग पासवान के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. यह विधानसभा सीट उनके लोकसभा क्षेत्र जमुई के अंतर्गत है. अपने ही संसदीय क्षेत्र के विधानसभा सीट पर उपचुनाव हारना चिराग पासवान के लिए आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए शुभ संकेत नहीं होगा. उपचुनाव को लेकर चिराग पासवान ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. जानकारी के अनुसार चिराग पासवान चुनाव तक इन्हीं दोनों क्षेत्रों में रहकर जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं.

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बता दें कि बिहार विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. दोनों सीटें जदयू विधायकों के निधन से खाली हुई हैं. एक कुशेश्वरस्थान और दूसरी सीट तारापुर है. एक तरफ जहां सत्ताधारी दल जेडीयू ने अपनी दोनों सीटों को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं मुख्य विपक्षी दल आरजेडी की कोशिश उपचुनाव में जेडीयू कैंडिडेट को हरा कर उस पर कब्जा करने की है.

हालांकि राजद की राह में कांग्रेस रोड़ा बन गई है. इन सबके बीच चिराग पासवान की चुनौती भी कम नहीं है. लिहाजा तारापुर सीट चिराग के लिए प्रतिष्ठा का विषय है. हालांकि ज्यादातर देखा जाता है कि उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी की ही जीत होती है. या यूं कहें कि जिस दल के विधायक का निधन होता है उसी दल के एक कैंडिडेट की जीत होती है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या उपचुनाव में चिराग अपनी प्रतिष्ठा बचा पाएंगे या अपने ही संसदीय क्षेत्र में औंधे मुंह गिरेंगे.

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