ETV Bharat / state

बिहार चुनाव में LJP की लाज बचाने वाले राजकुमार कौन हैं? - Matihani Assembly Seat

राजकुमार सिंह पहले कांग्रेस से टिकट चाहते थे, लेकिन मटिहानी सीट सीपीआई के खाते में जाने से इन्हें टिकट नहीं मिल पाया था. फिर उन्होंने एलजेपी के टीकट पर ताल ठोक दिया और 333 वोटों से जीत दर्ज की.

राजकुमार
राजकुमार
author img

By

Published : Nov 11, 2020, 3:47 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है. एनडीए ने 125 सीटें जीत कर जादूई आंकड़े को पार कर लिया है. वहीं, महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आईं हैं. एआईएमआईएम ने सीमांचल की 5 सीटों पर जीत दर्ज की है. एलजेपी और बीएसपी पर एक-एक सीट और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारा है.

333 के अंतर से मिली जीत
चुनाव से ऐन पहले एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया था और 130 से ज्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. एलजेपी के टीकट पर कई दूसरे दलों के दिग्गज भी मैदान में थे. लेकिन केवल एक प्रत्याशी ही जीत पाए. मटिहानी सीट से एलजेपी उम्मीदवार राजकुमार सिंह ने जीत दर्ज की है. उन्हें कुल 61364 वोट मिले हैं और जेडीयू विधायक और बाहुबली बोगो सिंह को 333 वोटों से हराया है.

पिता थे कांग्रेस के समर्थक
बता दें कि राजकुमार सिंह बेगूसराय के बड़े कारोबारी हैं. उनके पिता की छवि कामदेव सिंह की छवि रॉबिनहुड वाली रही है. लेकिन पुलिस की नजर में वह तक्सर थे. उन्हें तस्कर सम्राट के रूप में जाना जाता था. लेकिन राजकुमार को इन चीजों से अलग रखा था. कामदेव सिंह का 1980 में पुलिस ने मटिहानी के दियारा इलाके में एनकाउंटर कर दिया था. वह कांग्रेस के समर्थक थे.

दिल्ली विश्वविद्यालय की है पढ़ाई
राजकुमार सिंह पढ़ाई में शुरू से अच्छे रहे हैं. उन्होंने 10वीं में टॉपर भी किया था. आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए थे. राजकुमार सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है. इलाके में इनकी साफ-सुथरी छवि है. इसका लाभ भी उन्हें मिला. लोगों ने पढ़ा-लिखा उम्मीदवार मानकर वोट किया है. चुनाव से पहले राजकुमार सिंह ने मटिहानी की तकदीर बदलने का दावा किया है. राजकुमार सिंह पहले कांग्रेस से टिकट चाहते थे, लेकिन मटिहानी सीट सीपीआई के खाते में जाने से इन्हें टिकट नहीं मिल पाया था.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है. एनडीए ने 125 सीटें जीत कर जादूई आंकड़े को पार कर लिया है. वहीं, महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आईं हैं. एआईएमआईएम ने सीमांचल की 5 सीटों पर जीत दर्ज की है. एलजेपी और बीएसपी पर एक-एक सीट और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारा है.

333 के अंतर से मिली जीत
चुनाव से ऐन पहले एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया था और 130 से ज्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. एलजेपी के टीकट पर कई दूसरे दलों के दिग्गज भी मैदान में थे. लेकिन केवल एक प्रत्याशी ही जीत पाए. मटिहानी सीट से एलजेपी उम्मीदवार राजकुमार सिंह ने जीत दर्ज की है. उन्हें कुल 61364 वोट मिले हैं और जेडीयू विधायक और बाहुबली बोगो सिंह को 333 वोटों से हराया है.

पिता थे कांग्रेस के समर्थक
बता दें कि राजकुमार सिंह बेगूसराय के बड़े कारोबारी हैं. उनके पिता की छवि कामदेव सिंह की छवि रॉबिनहुड वाली रही है. लेकिन पुलिस की नजर में वह तक्सर थे. उन्हें तस्कर सम्राट के रूप में जाना जाता था. लेकिन राजकुमार को इन चीजों से अलग रखा था. कामदेव सिंह का 1980 में पुलिस ने मटिहानी के दियारा इलाके में एनकाउंटर कर दिया था. वह कांग्रेस के समर्थक थे.

दिल्ली विश्वविद्यालय की है पढ़ाई
राजकुमार सिंह पढ़ाई में शुरू से अच्छे रहे हैं. उन्होंने 10वीं में टॉपर भी किया था. आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए थे. राजकुमार सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है. इलाके में इनकी साफ-सुथरी छवि है. इसका लाभ भी उन्हें मिला. लोगों ने पढ़ा-लिखा उम्मीदवार मानकर वोट किया है. चुनाव से पहले राजकुमार सिंह ने मटिहानी की तकदीर बदलने का दावा किया है. राजकुमार सिंह पहले कांग्रेस से टिकट चाहते थे, लेकिन मटिहानी सीट सीपीआई के खाते में जाने से इन्हें टिकट नहीं मिल पाया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.