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राजनीतिक रसूख ऐसा कि सजायाफ्ता संजय प्रताप अब भी 2 लाइसेंसी हथियार का मालिक

बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू है, इसके बावजूद जहरीली शराब से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. नीतीश कुमार ने पूर्ण शराबबंदी को लागू करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन अधिकारी सरकार के कमिटमेंट से बेपरवाह हैं. जहरीली शराब मामले में सजायाफ्ता के खिलाफ भी अधिकारी कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : Apr 7, 2021, 11:01 PM IST

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्ण शराबबंदी को लागू करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. जहरीली शराब से मौत ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. लेकिन, अधिकारी सरकार के कमिटमेंट से बेपरवाह हैं. जहरीली शराब मामले में सजायाफ्ता के खिलाफ भी अधिकारी कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं.

निचली अदालत ने सुनाई थी सजा
निचली अदालत ने सुनाई थी सजा

ये भी पढ़ें- ईटीवी भारत के पास जहरीली शराब से मौत के सबूत, जवाबदेही तय नहीं कर पा रही सरकार?

सजायाफ्ता शराब माफिया संजय प्रताप
पूर्ण शराबबंदी को लेकर सरकार में बैठे अधिकारी भी बेपरवाह हैं. दरअसल, साल 2012 में जहरीली शराब पीने से 21 लोगों की मौत हो गई थी और पूरे बिहार में हाय तौबा मच गई थी. निचली अदालत से 14 लोगों को सजा सुनाई गई थी. जिसमें संजय प्रताप सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

रसूख के चलते 2 लाइसेंसी हथियार
संजय प्रताप सिंह ने उच्च न्यायालय में अपील की है और फिलहाल वह जमानत पर बाहर है. चौका देने वाला तथ्य ये है कि संजय प्रताप सिंह के नाम से पिस्तौल और राइफल का लाइसेंस है, लेकिन जिला प्रशासन ने अब तक लाइसेंस को रद्द करने की जहमत नहीं उठाई.

सजायाफ्ता संजय प्रताप
सजायाफ्ता संजय प्रताप

कार्रवाई करने से परहेज क्यों ?
14 अगस्त 2020 को पत्र लिखकर जिलाधिकारी से ये अनुरोध किया था कि संजय प्रताप सिंह के लाइसेंस को रद्द किया जाए. लेकिन, अधिकारी संजय प्रताप सिंह के राजनीतिक रसूख के आगे कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं.

राजनीतिक रसूख के चलते कार्रवाई नहीं
राजनीतिक रसूख के चलते कार्रवाई नहीं

ये भी पढ़ें- बिहार में शराबबंदी की माफियाओं ने फिर खोली पोल, जहरीली शराब से 13 लोगों की मौत

लाइसेंसी हथियार कब होगा रद्द?
आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद संजय प्रताप सिंह अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर लाइसेंसी हथियार लेकर घूम रहा है. 2018 से लेकर अब तक उसके लाइसेंसी हथियार को रद्द करने की कार्रवाई नहीं की गई. एसपी द्वारा पत्र लिखने के बाद मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में है.

संजय प्रताप पर ईडी का शिकंजा
संजय प्रताप सिंह के खिलाफ परिवर्तन निदेशालय ने भी कार्रवाई की है और एक करोड़ 32 लाख की संपत्ति जब्त की है. सरकार के अधिकारियों के कारनामों पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं.

भाई वीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, राजद
भाई वीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, राजद

''नीतीश कुमार दावा करते हैं कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी है, लेकिन सत्ता के संरक्षण में शराब का कारोबार चल रहा है और हद तो तब हो गई जब राजनीतिक रसूख रखने वाले लोग सजा पा चुके हैं और उनके लाइसेंस को रद्द नहीं किया जा सका है''- भाई वीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, राजद

सुनील कुमार, उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री
सुनील कुमार, उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री

''जहरीली शराब मामले में सरकार सख्त है. अगर कोई सजा पा चुका व्यक्ति लाइसेंसी हथियार के साथ चल रहा है तो इसके खिलाफ कार्रवाई होगी और लाइसेंस को रद्द किया जाएगा''- सुनील कुमार, उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री

ये भी पढ़ें- ड्राई स्टेट की हकीकत : बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा पी रहे शराब, सवालों में शराबबंदी

भोजपुर डीएम मामले से अंजान
भोजपुर के जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा से ईटीवी भारत संवाददाता ने जब दूरभाष पर बातचीत की तो उनका कहना था कि मेरी जानकारी में ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन अगर ऐसा कोई व्यक्ति है जिसे कोर्ट ने दोषी करार दिया है और उनके नाम से कोई लाइसेंसी हथियार है तो उनके लाइसेंस रद्द किया जाएगा.

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्ण शराबबंदी को लागू करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. जहरीली शराब से मौत ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. लेकिन, अधिकारी सरकार के कमिटमेंट से बेपरवाह हैं. जहरीली शराब मामले में सजायाफ्ता के खिलाफ भी अधिकारी कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं.

निचली अदालत ने सुनाई थी सजा
निचली अदालत ने सुनाई थी सजा

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सजायाफ्ता शराब माफिया संजय प्रताप
पूर्ण शराबबंदी को लेकर सरकार में बैठे अधिकारी भी बेपरवाह हैं. दरअसल, साल 2012 में जहरीली शराब पीने से 21 लोगों की मौत हो गई थी और पूरे बिहार में हाय तौबा मच गई थी. निचली अदालत से 14 लोगों को सजा सुनाई गई थी. जिसमें संजय प्रताप सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

रसूख के चलते 2 लाइसेंसी हथियार
संजय प्रताप सिंह ने उच्च न्यायालय में अपील की है और फिलहाल वह जमानत पर बाहर है. चौका देने वाला तथ्य ये है कि संजय प्रताप सिंह के नाम से पिस्तौल और राइफल का लाइसेंस है, लेकिन जिला प्रशासन ने अब तक लाइसेंस को रद्द करने की जहमत नहीं उठाई.

सजायाफ्ता संजय प्रताप
सजायाफ्ता संजय प्रताप

कार्रवाई करने से परहेज क्यों ?
14 अगस्त 2020 को पत्र लिखकर जिलाधिकारी से ये अनुरोध किया था कि संजय प्रताप सिंह के लाइसेंस को रद्द किया जाए. लेकिन, अधिकारी संजय प्रताप सिंह के राजनीतिक रसूख के आगे कार्रवाई करने से परहेज कर रहे हैं.

राजनीतिक रसूख के चलते कार्रवाई नहीं
राजनीतिक रसूख के चलते कार्रवाई नहीं

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लाइसेंसी हथियार कब होगा रद्द?
आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद संजय प्रताप सिंह अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर लाइसेंसी हथियार लेकर घूम रहा है. 2018 से लेकर अब तक उसके लाइसेंसी हथियार को रद्द करने की कार्रवाई नहीं की गई. एसपी द्वारा पत्र लिखने के बाद मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में है.

संजय प्रताप पर ईडी का शिकंजा
संजय प्रताप सिंह के खिलाफ परिवर्तन निदेशालय ने भी कार्रवाई की है और एक करोड़ 32 लाख की संपत्ति जब्त की है. सरकार के अधिकारियों के कारनामों पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं.

भाई वीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, राजद
भाई वीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, राजद

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सुनील कुमार, उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री
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''जहरीली शराब मामले में सरकार सख्त है. अगर कोई सजा पा चुका व्यक्ति लाइसेंसी हथियार के साथ चल रहा है तो इसके खिलाफ कार्रवाई होगी और लाइसेंस को रद्द किया जाएगा''- सुनील कुमार, उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री

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भोजपुर डीएम मामले से अंजान
भोजपुर के जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा से ईटीवी भारत संवाददाता ने जब दूरभाष पर बातचीत की तो उनका कहना था कि मेरी जानकारी में ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन अगर ऐसा कोई व्यक्ति है जिसे कोर्ट ने दोषी करार दिया है और उनके नाम से कोई लाइसेंसी हथियार है तो उनके लाइसेंस रद्द किया जाएगा.

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