ETV Bharat / state

बिहार में पूर्ण शराबबंदी फेल! नहीं लागू हो पा रहा है कानून - liquor ban news

बिहार (Bihar) में शराबबंदी (Liquor Ban) के बावजूद आए दिन शराब की खेप बरामद की जाती है. जहरीली शराब (Poisonous Liquor) पीने से मौत का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अब सवाल उठता है बिना पुलिस (Police) की मिलीभगत से राज्य में शराब का व्यवसाय कैसे फल फूल सकता है. देखिए रिपोर्ट..

बिहार में शराबबंदी
बिहार में शराबबंदी
author img

By

Published : Jul 20, 2021, 8:21 PM IST

पटना: बिहार (Bihar) में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराब बंदी (Liquor Ban) है. उसके बावजूद भी जहरीली शराब पीने से मौत का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर राज्य सरकार (State Government) के निर्णय में कहां कमी रह गई. ताजा मामला बिहार के बेतिया का है जहां जहरीली शराब (Poisonous Liquor) पीने से 16 लोगों की मौत हो गई. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी अवैध शराब का व्यवसाय बिहार में फल फूल रहा है.

ये भी पढ़ें- हाल-ए-शराबबंदी: पिज्जा-बर्गर से पहले यहां होती है शराब की होम डिलेवरी, एक कॉल पर सुविधा उपलब्ध

बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया जा सके, जिसको लेकर राज्य सरकार ने कई कड़े कानून भी बनाए हैं. इसके बावजूद भी प्रतिदिन राज्य के कई जिलों में लगातार शराब का सेवन या उसके अवैध व्यवसाय करने वाले लोगों की गिरफ्तारियां भी की जा रही है. इसी का नतीजा है कि बिहार की जेलो में क्षमता से अधिक कैदी भरे हुए हैं.

हालांकि, जेल प्रशासन से मिल रही जानकारी के अनुसार अब तक पिछले 5 सालों में ढाई से 3 लाख लोग शराब बंदी कानून के तहत जेल जा चुके हैं. राज्य सरकार पूर्ण शराब बंदी लागू हो सके इसको लेकर शराब पीने वाले लोगों की गिरफ्तारियां भी कर रही है. इसके साथ-साथ राज्य के अंदर और अन्य राज्यों के बड़े शराब माफियाओं की भी गिरफ्तारियां की गई है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

राज्य सरकार ने कानून बनाया है कि किसी भी घर या वाहन में शराब बरामद होगी तो उसकी नीलामी भी की जा रही है. यहां तक की शराब के अवैध व्यापार में संलिप्त कई पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की गई है. इससे यह भी साबित होता है कि बिना पुलिस की मिलीभगत से राज्य में शराब का व्यवसाय नहीं फल फूल सकता है.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय ने कहा कि राज्य सरकार ने बिहार में शराबबंदी कानून लागू कर एक सकारात्मक कदम उठाया है, लेकिन सवाल उठता है कि जो राज्य सरकार की एग्जीक्यूटिव बॉडी है, उसने क्या ईमानदारी दिखाई है. बिहार में लगातार शराब की खेप पकड़ी जा रही है. अवैध देसी शराब बनाई जा रही है. जिस वजह से आए दिन राज्य के किसी ना किसी जिले में जहरीली शराब पीने की वजह से लोगों की मौत हो रही है.

''बिना राज्य की जनता के सहमति और उन्हें जागरूक किए बिना इस कानून को लाया गया था. जिस वजह से ये पूर्ण रुप से लागू नहीं हो पा रहा है. राज्य सरकार का शराब बंदी कानून 'ड्रैकोनियन लॉ' है. राज्य सरकार ने आम लोगों पर जबरदस्ती इस कानून को थोप दिया है.''- डॉक्टर संजय कुमार, पॉलिटिकल एक्सपर्ट

देखिए रिपोर्ट

डॉ. संजय कुमार ने बताया कि बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी कानून नहीं लागू होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है कि बिहार सरकार के पास इस कानून को इंप्लीमेंट करवाने के लिए टीम नहीं है. पुलिस की टीम से यह बालू के अवैध व्यापार रुकवा रहे हैं और उसी पुलिस से शराब बंदी कानून पालन करवा रहे हैं. इसके साथ-साथ अपराध नियंत्रण का भी काम ले रहे हैं. ऐसे में जिन पुलिस पर राज्य सरकार ने भरोसा जताया है उनकी मिलीभगत से शराब का व्यवसाय बिहार में फल-फूल रहा है.

ये भी पढ़ें- लचर कानून बना शराब माफियाओं के लिए 'घुट्टी'

वहीं, उन्होंने सबसे बड़ा कारण बताया कि बिहार में शराबबंदी लागू है, लेकिन बगल के राज्य झारखंड, यूपी यहां तक कि नेपाल में शराबबंदी कानून लागू नहीं है. अगर बिहार पुलिस ईमानदारी से काम करें, तो बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू हो सकता है. उन्होंने कहा कि बिहार में इंडस्ट्री है नहीं और युवाओं को रोजगार की जरूरत है जिस वजह से युवा वर्ग ने तस्करी का एक नेक्सेस खड़ा कर दिया है. जिस वजह से बिहार में आराम से होम डिलीवरी के माध्यम से शराब मुहैया हो रही है.

बिहार में लगातार शराबबंदी के बाद भी शराब की बरामदगी हो रही है. जहरीली शराब की वजह से हो रही लगातार मौत को लेकर पुलिस कर्मियों के बचाव में पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार (ADG Jitendra Kumar) ने कहा कि यह कहना उचित नहीं होगा कि पुलिस की मिलीभगत से शराब का व्यवसाय बिहार में फल फूल रहा है. जहां पर भी उचित कार्रवाई करने की जरूरत पड़ती है, वहां पर हम पुलिसकर्मियों के साथ-साथ शराब व्यवसायियों पर भी कार्रवाई करते हैं, आगे भी करते रहेंगे.

''2016 में गोपालगंज में हुए जहरीली शराब कांड मामले में 16 पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी. बेतिया जहरीली शराब कांड मामले में पांच अलग-अलग एफआईआर दर्ज करते हुए 46 शराब तस्करों के साथ 6 अभियुक्तों की भी गिरफ्तारी की गई है. वहीं, थाना अध्यक्ष समेत दो चौकीदार को भी निलंबित किया गया है, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है. पुलिस मुख्यालय ऐसे मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है.''- जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

बता दें कि 15 और 16 अगस्त 2016 को गोपालगंज के नगर थाने की खजुर्बानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी, इस शराब कांड में 10 से 12 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. इस मामले में 13 में से 9 दोषियों को फांसी और 4 महिलाओं का आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

ये भी पढ़ें- बैग में शराब लेकर बाइक से घर जा रहा था BMP जवान, हादसे के बाद सड़क पर बिखर गईं बोतलें

जहरीली शराब से मौत का मामला यहीं नहीं रुका. नवादा में भी जहरीली शराब से 7 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, रोहतास जिले के सासाराम के कोचस थाने के चोरी गांव में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा नवादा शराब कांड का जिंदा गवाह मिला, उसे आंखों की रोशनी गंवानी पड़ी थी.

वहीं, बेगूसराय में होली के दिन ही जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत का मामला सामने आया था. मुजफ्फरपुर के सकरा थाना क्षेत्र के इटावा रसूल नगर गांव में जहरीली शराब पीने से 25 वर्षीय अशोक कुमार उर्फ सुजीत की मौत हो गई थी. वहीं, ताजा मामला बिहार के बेतिया का है. जहां जहरीली शराब पीने से 16 लोगों की मौत कुछ दिन पहले हुई है, जिसको लेकर पुलिस महकमे में खलबली मच गई है.

बिहार में आए दिन किसी न किसी जिले में अवैध शराब पीने से लोगों को असमय मौत या आंखों की रोशनी गंवानी पड़ रही है. उसके बावजूद भी पूर्ण रूप से बिहार में शराबबंदी लागू नहीं हो पा रहा है. बिहार में शराब की होम डिलीवरी की बात सार्वजनिक तौर पर होती है, तस्कर भी पकड़े जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई से ही पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया जा सकता है या राज्य सरकार को कुछ और सोचना होगा.

ये भी पढ़ें- जहरीली शराब मामले में सजायाफ्ता पर सरकार मेहरबान, स्वास्थ्य विभाग ने दिए लाइसेंस

ये भी पढ़ें- बिहार में शराब माफियाओं पर जियो टैगिंग की मदद से शिकंजा कसेगी पुलिस

ये भी पढ़ें- बिहार में शराबबंदी की माफियाओं ने फिर खोली पोल, जहरीली शराब से 13 लोगों की मौत

पटना: बिहार (Bihar) में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराब बंदी (Liquor Ban) है. उसके बावजूद भी जहरीली शराब पीने से मौत का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सवाल यह उठ रहा है कि आखिर राज्य सरकार (State Government) के निर्णय में कहां कमी रह गई. ताजा मामला बिहार के बेतिया का है जहां जहरीली शराब (Poisonous Liquor) पीने से 16 लोगों की मौत हो गई. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद भी अवैध शराब का व्यवसाय बिहार में फल फूल रहा है.

ये भी पढ़ें- हाल-ए-शराबबंदी: पिज्जा-बर्गर से पहले यहां होती है शराब की होम डिलेवरी, एक कॉल पर सुविधा उपलब्ध

बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया जा सके, जिसको लेकर राज्य सरकार ने कई कड़े कानून भी बनाए हैं. इसके बावजूद भी प्रतिदिन राज्य के कई जिलों में लगातार शराब का सेवन या उसके अवैध व्यवसाय करने वाले लोगों की गिरफ्तारियां भी की जा रही है. इसी का नतीजा है कि बिहार की जेलो में क्षमता से अधिक कैदी भरे हुए हैं.

हालांकि, जेल प्रशासन से मिल रही जानकारी के अनुसार अब तक पिछले 5 सालों में ढाई से 3 लाख लोग शराब बंदी कानून के तहत जेल जा चुके हैं. राज्य सरकार पूर्ण शराब बंदी लागू हो सके इसको लेकर शराब पीने वाले लोगों की गिरफ्तारियां भी कर रही है. इसके साथ-साथ राज्य के अंदर और अन्य राज्यों के बड़े शराब माफियाओं की भी गिरफ्तारियां की गई है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

राज्य सरकार ने कानून बनाया है कि किसी भी घर या वाहन में शराब बरामद होगी तो उसकी नीलामी भी की जा रही है. यहां तक की शराब के अवैध व्यापार में संलिप्त कई पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की गई है. इससे यह भी साबित होता है कि बिना पुलिस की मिलीभगत से राज्य में शराब का व्यवसाय नहीं फल फूल सकता है.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय ने कहा कि राज्य सरकार ने बिहार में शराबबंदी कानून लागू कर एक सकारात्मक कदम उठाया है, लेकिन सवाल उठता है कि जो राज्य सरकार की एग्जीक्यूटिव बॉडी है, उसने क्या ईमानदारी दिखाई है. बिहार में लगातार शराब की खेप पकड़ी जा रही है. अवैध देसी शराब बनाई जा रही है. जिस वजह से आए दिन राज्य के किसी ना किसी जिले में जहरीली शराब पीने की वजह से लोगों की मौत हो रही है.

''बिना राज्य की जनता के सहमति और उन्हें जागरूक किए बिना इस कानून को लाया गया था. जिस वजह से ये पूर्ण रुप से लागू नहीं हो पा रहा है. राज्य सरकार का शराब बंदी कानून 'ड्रैकोनियन लॉ' है. राज्य सरकार ने आम लोगों पर जबरदस्ती इस कानून को थोप दिया है.''- डॉक्टर संजय कुमार, पॉलिटिकल एक्सपर्ट

देखिए रिपोर्ट

डॉ. संजय कुमार ने बताया कि बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी कानून नहीं लागू होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है कि बिहार सरकार के पास इस कानून को इंप्लीमेंट करवाने के लिए टीम नहीं है. पुलिस की टीम से यह बालू के अवैध व्यापार रुकवा रहे हैं और उसी पुलिस से शराब बंदी कानून पालन करवा रहे हैं. इसके साथ-साथ अपराध नियंत्रण का भी काम ले रहे हैं. ऐसे में जिन पुलिस पर राज्य सरकार ने भरोसा जताया है उनकी मिलीभगत से शराब का व्यवसाय बिहार में फल-फूल रहा है.

ये भी पढ़ें- लचर कानून बना शराब माफियाओं के लिए 'घुट्टी'

वहीं, उन्होंने सबसे बड़ा कारण बताया कि बिहार में शराबबंदी लागू है, लेकिन बगल के राज्य झारखंड, यूपी यहां तक कि नेपाल में शराबबंदी कानून लागू नहीं है. अगर बिहार पुलिस ईमानदारी से काम करें, तो बिहार में शराबबंदी कानून पूर्ण रूप से लागू हो सकता है. उन्होंने कहा कि बिहार में इंडस्ट्री है नहीं और युवाओं को रोजगार की जरूरत है जिस वजह से युवा वर्ग ने तस्करी का एक नेक्सेस खड़ा कर दिया है. जिस वजह से बिहार में आराम से होम डिलीवरी के माध्यम से शराब मुहैया हो रही है.

बिहार में लगातार शराबबंदी के बाद भी शराब की बरामदगी हो रही है. जहरीली शराब की वजह से हो रही लगातार मौत को लेकर पुलिस कर्मियों के बचाव में पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार (ADG Jitendra Kumar) ने कहा कि यह कहना उचित नहीं होगा कि पुलिस की मिलीभगत से शराब का व्यवसाय बिहार में फल फूल रहा है. जहां पर भी उचित कार्रवाई करने की जरूरत पड़ती है, वहां पर हम पुलिसकर्मियों के साथ-साथ शराब व्यवसायियों पर भी कार्रवाई करते हैं, आगे भी करते रहेंगे.

''2016 में गोपालगंज में हुए जहरीली शराब कांड मामले में 16 पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी. बेतिया जहरीली शराब कांड मामले में पांच अलग-अलग एफआईआर दर्ज करते हुए 46 शराब तस्करों के साथ 6 अभियुक्तों की भी गिरफ्तारी की गई है. वहीं, थाना अध्यक्ष समेत दो चौकीदार को भी निलंबित किया गया है, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है. पुलिस मुख्यालय ऐसे मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है.''- जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

बता दें कि 15 और 16 अगस्त 2016 को गोपालगंज के नगर थाने की खजुर्बानी में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी, इस शराब कांड में 10 से 12 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. इस मामले में 13 में से 9 दोषियों को फांसी और 4 महिलाओं का आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

ये भी पढ़ें- बैग में शराब लेकर बाइक से घर जा रहा था BMP जवान, हादसे के बाद सड़क पर बिखर गईं बोतलें

जहरीली शराब से मौत का मामला यहीं नहीं रुका. नवादा में भी जहरीली शराब से 7 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, रोहतास जिले के सासाराम के कोचस थाने के चोरी गांव में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा नवादा शराब कांड का जिंदा गवाह मिला, उसे आंखों की रोशनी गंवानी पड़ी थी.

वहीं, बेगूसराय में होली के दिन ही जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत का मामला सामने आया था. मुजफ्फरपुर के सकरा थाना क्षेत्र के इटावा रसूल नगर गांव में जहरीली शराब पीने से 25 वर्षीय अशोक कुमार उर्फ सुजीत की मौत हो गई थी. वहीं, ताजा मामला बिहार के बेतिया का है. जहां जहरीली शराब पीने से 16 लोगों की मौत कुछ दिन पहले हुई है, जिसको लेकर पुलिस महकमे में खलबली मच गई है.

बिहार में आए दिन किसी न किसी जिले में अवैध शराब पीने से लोगों को असमय मौत या आंखों की रोशनी गंवानी पड़ रही है. उसके बावजूद भी पूर्ण रूप से बिहार में शराबबंदी लागू नहीं हो पा रहा है. बिहार में शराब की होम डिलीवरी की बात सार्वजनिक तौर पर होती है, तस्कर भी पकड़े जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई से ही पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया जा सकता है या राज्य सरकार को कुछ और सोचना होगा.

ये भी पढ़ें- जहरीली शराब मामले में सजायाफ्ता पर सरकार मेहरबान, स्वास्थ्य विभाग ने दिए लाइसेंस

ये भी पढ़ें- बिहार में शराब माफियाओं पर जियो टैगिंग की मदद से शिकंजा कसेगी पुलिस

ये भी पढ़ें- बिहार में शराबबंदी की माफियाओं ने फिर खोली पोल, जहरीली शराब से 13 लोगों की मौत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.