पटना: मसौढी के जेल में इन दिनों एक पुस्तकालय बनाया गया है, जिसमें 3 सौ किताबें हैं. किताबों मे ज्यादातर धार्मिक और महापुरुषों की जीवनी और संसारिक प्रकृति से जुड़ी किताबों के अलावा कुछ बिषयवार पाठ्यपुस्तक भी है. अधिकांश कैदी जो साक्षर हैं. उन्हें धार्मिक पुस्तकें पढ़ने को दिया जाता है.
वैसे बंदी जो मैट्रिक, इंटर और डिग्री की पढ़ाई के दौरान किसी अपराध में जेल मे बंद हुए हैं. उनके कोर्स के हिसाब से पुस्तकें दी जाती है. एक बार आठ या इससे अधिक बंदियों को एक बैच के अनुसार बिठाया जाता है. अभी कोरोना को लेकर काफी एहतियात बरता जा रहा है. ताकि कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं हो.
बंदियों को दी जाती हैं किताबें
जेल अधीक्षक ओंकर दत तिवारी कि मानें तो जेल में समय का कठोर अनुपालन किया जाता है. जेल नियमानुसार सभी बंदियों को समय पर पुस्तकालय में लाकर बिठाया जाता है और उसके अनुसार किताबें दी जाती है. यह जेल नहीं बल्की एक सुधार गृह के रूप मे देखा जा रहा है और सरकार भी इस दिशा में प्रयासरत है.
बता दें कि आम तौर पर स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक जगहों पर पुस्तकालय होती है. लेकिन जेलों मे भी पुस्तकालय बनाए गए है. लेकिन इस पुस्तकालय का नियम कानून कुछ अलग होता है. क्योकि यह है जेल का पुस्तकालय है. हलांकी जेलों को भी अब सुधार गृह के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है.