पटनाः बिहार लोक सेवा आयोग और शिक्षा विभाग के बीच लेटर वॉर का दौर जारी है. पूरा विवाद शिक्षक भर्ती के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन प्रक्रिया को लेकर शुरू हुआ है. इस दौरान शिक्षा विभाग ने बीपीएससी को लिखे गए पत्र में अराजक शब्द का इस्तेमाल किया, जिस पर राज्य के शिक्षाविदों में आक्रोश है. इससे पहले विश्वविद्यालय के कार्य क्षेत्र में हस्तक्षेप से सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी थी. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के सामने शिक्षा विभाग को आड़े हाथों लिया था.
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बीपीएससी के कार्य क्षेत्र में हस्तक्षेप: शिक्षा विभाग और बीपीएससी के बीच चल रहे तल्ख पत्राचार पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता योगेंद्र पासवान ने कहा कि केके पाठक खुद अराजक व्यक्ति हैं. जिस भी विभाग में जाते हैं अराजकता पैदा कर देते हैं. शिक्षा विभाग द्वारा बीपीएससी को लिखे गए पत्र में अराजक शब्द का इस्तेमाल करना अपने आप में गलत है. बीपीएससी ऑटोनॉमस बॉडी है और इस पर टीका टिप्पणी करके शिक्षा विभाग प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा कर रहा है. शिक्षा विभाग कभी राज्यपाल के कार्य क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहा है तो कभी बीपीएससी के कार्य क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहा है.
"नीतीश कुमार ने केके पाठक जैसे नेगेटिव व्यक्ति को शिक्षा विभाग जैसा गंभीर महकमा देकर बहुत ही गलत काम किया है. केके पाठक शिक्षा विभाग के लिए अराजक बन गए हैं. सरकार को ऐसे आईएएस अधिकारी को तुरंत बर्खास्त करना चाहिए जो प्रदेश में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहा है."- योगेंद्र पासवान, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
सरकार पहल करेः वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा बीपीएससी को लिखे पत्र में अराजक शब्द का इस्तेमाल गलत है. इससे पहले बीपीएससी ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखा था कि आयोग स्वायत्त संस्था है और इससे इस प्रकार पत्राचार ना करें. इस पत्र के जवाब में बीपीएससी ने अपने पत्र में लिखा है कि स्वायत्त संस्था का मतलब यह नहीं होता है कि 'एनार्की' किया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार पहल कर शिक्षा विभाग और बिहार लोक सेवा आयोग के बीच चल रहे तल्ख पत्राचार पर रोक लगाए.