पटनाः बिहार में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) अभियान के तहत वैक्सीन का सेकेंड डोज लेने वालों की संख्या पहला डोज ले चुके लोगों की अपेक्षा काफी कम है. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार चिंतित है. वैसे लोगों को स्वास्थ्य विभाग टीका लगवाने के लिए लगातार जागरूक कर रहा है.
इसे भी पढ़ें- 'कहां है कोरोना.. हवा हो गया.. अब क्यों लें टीका.. ऐसे-ऐसे 10 सवालों को सुन सिर पकड़ लेती हैं आशा कार्यकर्ता
बिहार में अब तक 6,46,76,771 वैक्सीनेशन हुए हैं. इनमें से पहले डोज वालों की संख्या 48,539,840 है, जबकि सेकंड डोज लेने वालों की संख्या 1,61,36,931 ही है. ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है जिनका सेकंड डोज का समय आ गया है और उनका समय ड्यू जा रहा है. बावजूद वे वैक्सीन नहीं ले रहे हैं.
पटना जिले में भी सेकंड डोज के लिए लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. पटना में अब तक 55,81,181 वैक्सीनेशन हुए हैं, जिसमें 33,83,811 फर्स्ट डोज और 21,97,370 सेकंड डोज का वैक्सीनेशन हुआ है. हालांकि प्रदेश के अन्य जिलों की अपेक्षाकृत पटना में सेकंड डोज वालों की संख्या काफी बेहतर है लेकिन बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग की तरफ से वैक्सीनेशन अभियान को गति देने और सेकंड डोज को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है.
इसे भी पढ़ें- ये हुई न बात! जहां जाने से डरते थे लोग, वहां अब उमड़ रही भीड़... करीमगंज कब्रिस्तान कमेटी की अनोखी पहल
पटना जिला सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी ने बताया कि टीकाकरण के क्रम में दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं. पहला टीका कोवैक्सीन का है जिसे लेने के बाद उसका दूसरा डोज 28 दिन के बाद लेना होता है. वहीं दूसरी वैक्सीन कोविशिल्ड है, जिसका दूसरा डोज पहला डोज लेने के 84 दिन बाद लेना है. ऐसे में यह स्वभाविक है कि सेकंड डोज वालों की संख्या अभी के समय फर्स्ट डोज के अपेक्षाकृत कम रहेगी.
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका सेकंड डोज लेने का समय आ गया लेकिन वे समय पर आकर वैक्सीन नहीं ले रहे हैं. इन लोगों को चिन्हित कर स्वास्थ्य विभाग के कर्मी इन्हें जागरूक करने के लिए टेली कॉलिंग का सहारा ले रहे हैं. उनसे नजदीकी वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर वैक्सीन लेने की अपील की जा रही है.
बता दें कि कोरोना के खिलाफ जंग में समय के मुताबिक वैक्सीन का दोनों डोज लेना अनिवार्य है. जानकार बताते हैं कि दोनों डोज लेने के बाद ही शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित होती है. और यह हमें कोरोना से लड़ने में सक्षम बनाता है.