पटना : बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में बीजेपी ने छपरा जहरीली शराब से मौत (Chapra Hooch Tragedy) मामले को लेकर जबरदस्त हंगामा किया. बीजेपी की मांग रही है कि जहरीली शराब से मौत मामले में पीड़ित परिजनों को सरकार मुआवजा दे. बीजेपी का तर्क है कि जब नीतीश सरकार ने 2016 में मुआवजा दिया तो अब क्यों नहीं. साथ ही सरकार पूरे मामले की न्यायिक जांच कराए. लेकिन, सरकार दोनों के लिए तैयार नहीं हुई. इसको लेकर अब बीजेपी आंदोलन तेज करने वाली है.
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कल बीजेपी का विधानसभा परिसर में धरना: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने बातचीत में कहा न्यायिक जांच और मुआवजा के लिए हम लोग 21 दिसंबर को विधानसभा परिसर में धरना देंगे. विधानसभा के शीतकालीन सत्र (Bihar Legislature Winter Session) के समापन पर राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् नहीं गाये जाने पर भी उन्होंने नाराजगी जताई. विजय सिन्हा ने कहा कि सदन की परंपरा तोड़ी जा रही है. जहरीली शराब को लेकर विजय सिन्हा ने सरकार पर आरोप लगाया कि सत्ता संरक्षण में अवैध कारोबार हो रहा है. बिहार में पैरलल इकोनामी चल रही है. सरकार मौत के आंकड़ों को भी छिपा रही है.
''सरकार न्यायिक जांच नहीं करा रही है, मुआवजा नहीं दे रही है. सदन में सरकार ने संवेदना तक नहीं प्रकट किया. हद तो तब हो गई जब विधानसभा सत्र के समापन में हमारे राष्ट्र गीत को दबाव में, रिएक्शन में, अपने अहंकार में विधानसभा की परंपरा को तोड़ दिया. ये तमाम मुद्दों को लेकर हम कल विधानसभा परिसर में धरना पर बैठेंगे.''- विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा
नीतीश सरकार पीड़ितों की अंतरआत्मा पर कर रही चोट: बीजेपी ने आरोप लगाया कि जिनको गरीब, दलित और शोषितों के प्रति संवेदना नहीं है, और तो और मरने वालों का आंकड़ा भी छिपा रहे हैं, वो लोग इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उनका दर्द सहलाने की बजाय दर्द बढ़ाकर उनकी अंतरआत्मा पर चोट पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
बिहार में हो पूर्ण नशाबंदी: सिर्फ बिहार में शराबबंदी ही क्यों? क्या गांजा पीने की छूट होनी चाहिए. चरस की छूट मिली हुई है? पूर्ण नशाबंदी की बात होनी चाहिए. नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि वो पूर्ण नशाबंदी की मांग के समर्थन में हैं. बिहार में शराबबंदी के नाम पर एक नई कमाई और एक नए वर्ग को जन्म दे दिया जो अपराध के क्षेत्र में बढ़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि जितना नुकसान बिहार को हो रहा है उसका फायदा कहीं न कहीं सरकार के सत्ताधारी दलों को माफियाओं के द्वारा मिल रहा है. इसलिए नीतीश सरकार पूर्ण नशाबंदी की बात नहीं कर रहे हैं.