पटना : बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने बिहार के शिक्षकों को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि ''एक तरफ बिहार के शिक्षक राज्य कर्मी का दर्जा मांग रहे हैं. सरकार ने उन्हें भरोसा भी दिया है कि उन्हें जल्द ही राज्यकर्मी बनाया जाएगा. तो वहीं दूसरी तरफ सरकार के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट जाकर एसएलपी दायर कर रहे हैं. आप खुद समझिए कि किस तरह की राजनीति शिक्षकों को लेकर बिहार सरकार कर रही है.''
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'शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने पर सरकार की मंशा ठीक नहीं' : उन्होंने कहा कि बिहार सरकार शिक्षकों के साथ पूरी तरह से अन्याय कर रही है. कहीं ना कहीं पूरे बिहार में शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने की साजिश राज्य सरकार के द्वारा किया जा रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि जो भी बिहार के नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं, उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा मिलनी चाहिए. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही है मांग करती रही है. बीच में सरकार ने भी इसको लेकर गंभीरता दिखाई थी. खबर यह भी आई थी कि राज्य कर्मी का दर्जा नियोजित शिक्षकों को दिया जाएगा. लेकिन जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट में सरकार के अधिकारी जाकर एसएलपी दायर कर रहे हैं, इससे लग रहा है कि राज्य सरकार की मंशा ठीक नहीं है.
'बिहार में शिक्षा व्यवस्था चौपट' : राज्य सरकार ऐसा करके पूरी तरह से शिक्षा व्यवस्था को चौपट करना चाहती है. विजय सिन्हा ने आरोप लगाया कि 33 सालों से बिहार में बड़े भाई और छोटे भाई राज कर रहे हैं. अपने आप को ओबीसी का बड़े नेता बताते हैं, लेकिन वह नहीं चाहते हैं कि गरीब का बच्चा पढ़े. क्योंकि सरकारी स्कूल में गरीब का ही बच्चा पढ़ता है और सरकारी स्कूल की जो स्थिति है वह किसी से छिपी हुई नहीं है. निश्चित तौर पर अब तक शिक्षकों की स्थिति को भी पूरी तरह से खराब करने की कोशिश बिहार सरकार द्वारा की जा रही है.
''शिक्षकों के साथ जो बिहार में शिक्षा विभाग कर रहा है वह कहीं से भी उचित नहीं है. खास करके जिस तरह से राज्य सरकार उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा नहीं देकर दोहरा मानदंड अपना रही है.''- विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा