पटना: राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) एक बार फिर से जेडीयू को बिहार की नंबर वन पार्टी बनाने की बात करने लगे हैं. वे साल 2010 के 'स्वर्णिम काल' की वापसी की बात कर रहे हैं. तब के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सबसे अधिक 115 पर जीत का परचम फहराया था.
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राजनीतिक समीक्षक से लेकर जेडीयू के नेता भी मानते हैं कि 2010 के चुनाव में हमारा जो प्रदर्शन था, वह सर्वश्रेष्ठ था. प्रवक्ता निखिल मंडल कहते हैं कि 2010 जेडीयू के लिए स्वर्णिम काल था. राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के ऐलान के बाद से कार्यकर्ताओं में उत्साह है. हम उम्मीद करते हैं कि एक बार फिर जेडीयू नंबर वन पार्टी जरूर बनेगी.
"हमने जो लक्ष्य रखा है वो 2010 का जो पैमाना है, उसको भी पार करना है. उसी के तहत ललन बाबू ने कहा कि पार्टी को फिर से नया रुप देकर नया कलेवर में लाना है. उपेंद्र कुशवाहा ने भी कहा है कि जेडीयू को नंबर वन पार्टी बनाना है"- निखिल मंडल, प्रदेश प्रवक्ता, जेडीयू
वहीं, जेडीयू की इन कोशिशों पर सहयोगी दल बीजेपी के प्रवक्ता रामसागर सिंह कहते हैं कि 2010 में हमारा स्ट्राइक रेट सबसे बेहतर था. उन्होंने कहा कि वैसे सभी पार्टियां अच्छे प्रदर्शन के लिए कोशिश करती रहती है. ललन सिंह पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना चाह रहे हैं क्योंकि जेडीयू अभी क्षेत्रीय पार्टी है.
ललन सिंह जिस 'मिशन' के तहत काम करना चाहते हैं, उसके तहत 2010 विधानसभा चुनाव में जेडीयू का जो प्रदर्शन था, उससे बेहतर रिजल्ट प्राप्त करना लक्ष्य है. तब पार्टी 141 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 115 पर जीती थी.
ललन सिंह की कोशिश है कि समता पार्टी के समय जो साथ थे, उन तमाम साथियों को फिर से जेडीयू के साथ जोड़ना है. इसी के तहत पिछले दिनों भगवान सिंह कुशवाहा समते कई नेताओं की घर वापसी कराई गई.
जेडीयू अध्यक्ष का ये भी प्रयास है कि नीतीश कुमार की सरकार के कार्यों को लोगों तक पहुंचाया जाए. इस के लिए वे कार्यकर्ताओं को टास्क दे रहे हैं. साथ ही साथ पार्टी सरकार के कार्यों की बुकलेट भी तैयार करेगी. जबकि यह काम आम तौर पर चुनाव के समय होता है.
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यहां यह बताना भी जरूरी हो जाता है कि उपेंद्र कुशवाहा जब आरएलएसपी का विलय कर नीतीश कुमार के साथ आए थे, तब उन्होंने भी कहा था कि वे जेडीयू को फिर से नंबर वन पार्टी बनाएंगे. इन्हीं कोशिशों के तहत वे इन दिनों 'बिहार यात्रा' पर अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं.
जानकार कहते हैं कि ललन सिंह की तमाम कवायद दरअसल पार्टी को मजबूत करने के साथ ही बीजेपी को मैसेज देने की भी कोशिश है, ताकि आने वाले चुनाव में उन्हें कमजोर न समझा जाए. 2010 के आधार पर डील करने की अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है.