पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के बाद जेडीयू (JDU) में लगातार उलटफेर हो रहे हैं. पहले आरसीपी सिंह (RCP Singh) को राष्ट्रीय अध्यक्ष और उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी दी गई, लेकिन केंद्र में मंत्री बनने के बाद आरसीपी की जगह सांसद ललन सिंह (Lalan Singh) को यह जिम्मेवारी सौंपी गई. कमान संभालने के साथ ही ललन ने नए सिरे से संगठन में फेरबदल शुरू कर दिया. नई टीम तैयार करने के लिए लोकसभा प्रभारी, विधानसभा प्रभारी और सभी प्रकोष्ठ को भंग कर दिया.
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जेडीयू के संगठन में आरसीपी सिंह गुट, ललन सिंह गुट और उपेंद्र कुशवाहा गुट अपने-अपने तरीके से हावी होने की कोशिश कर रहा है. पार्टी कार्यालय में हलचल भी बढ़ गई है. हालांकि पार्टी के नेता फिलहाल खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन कह रहे हैं कि इससे गुटबाजी बढ़ने वाली नहीं है. नेताओं के मुताबिक बदलाव से काम करने वाले नए लोगों को मौका मिलेगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ललन सिंह 2010 वाले प्रदर्शन को दोहराने की बात कह रहे हैं. उनकी नजर 2024 और 2025 है. पार्टी को उसी के अनुसार वे तैयार करने में जुटे हुए हैं.
जेडीयू नेता और बिहार सरकार में परिवहन मंत्री शीला मंडल (Sheela Mandal) कहती हैं कि ललन सिंह पुराने नेता हैं. वे जानते हैं कि पार्टी हित में क्या सही है और क्या गलत है. इसलिए हमलोगों को पूरा भरोसा है कि वो जो भी फैसला लेंगे, वह पार्टी हित में ही होगा.
इन दिनों जेडीयू कार्यालय में हलचल बढ़ी हुई है. सभी प्रकोष्ठ को भंग कर दिया गया है, ऐसे में पार्टी के पदाधिकारी नई टीम में अपना स्थान बनाने के लिए पार्टी कार्यालय पहुंच रहे हैं. बेगूसराय के जिला अध्यक्ष रुदल राय का कहना है फैसला पार्टी हित में ही लिया गया है. उन्होंने कहा कि जेडीयू में गुटबाजी कभी नहीं हो सकती है, क्योंकि हम सब के नेता नीतीश कुमार हैं.
वहीं किसान प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह का दावा है कि नई टीम में काम करने वाले लोगों को मौका दिया जाएगा, क्योंकि उपचुनाव में विभिन्न प्रकोष्ठ के लोगों की भूमिका अच्छी नहीं रही. इसीलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने यह बड़ा फैसला लिया है, इससे गुटबाजी बढ़ने वाली नहीं है.
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ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद समता पार्टी के समय के नेताओं को पार्टी में लाने की कोशिश हो रही है. कई को वापस लाया भी गया है. ऐसे में संगठन में भी पुराने लोगों को जगह दी जाएगी, यह तय है. साथ ही युवाओं को भी मौका मिलेगा और आधी आबादी को भी लेकिन ललन सिंह की नजर 2024 और 2025 विधानसभा और लोकसभा चुनाव पर है. नीतीश कुमार की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद ललन सिंह संगठन को उसी तरह से तैयार करने में लगे हैं.
वैसे तो जेडीयू पूरे देश में पार्टी के विस्तार में लगी है, ताकि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके लेकिन पार्टी का मुख्य जनाधार बिहार में है. ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से कई तरह के बदलाव हो रहे हैं. आरसीपी सिंह गुट के समय प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले उमेश कुशवाहा अभी भी जिम्मेवारी संभाल रहे हैं, लेकिन यह भी तय है कि नए प्रदेश कमेटी में यदि आरसीपी सिंह गुट और उपेंद्र कुशवाहा गुट को उचित स्थान नहीं मिलता है तो गुटबाजी बढ़ेगी और अंतर्कलह भी बढ़ सकता है. पार्टी नेताओं की नजर अब नई टीम पर है. राष्ट्रीय अध्यक्ष दूसरे राज्यों के दौरे पर हैं और वहां से लौटने के बाद इसमें और गति पकड़ेगी.