पटना: बिहार में पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election 2021) को लेकर प्रथम चरण का मतदान (First Phase Of Election) शांतिपूर्ण संपन्न हो चुका है. शेष चरणों के लिए चुनाव की प्रक्रिया चल रही है लेकिन हर वर्ष की तरह ग्रामीणों की एक ही शिकायत है कि विकास के नाम पर सिर्फ और सिर्फ आश्वासन और धोखा मिलता है. हम बात कर रहे हैं बिहार की राजधानी पटना के मसौढ़ी प्रखंड की. जहां पंचायत चुनाव को लेकर गांव-गांव जाकर पांच सालों में किए गए कार्यों का हाल जानने की कोशिश की गई. वहां जाने के बाद जनप्रतिनिधियों के माध्यम से किए गए कार्यों की वास्तविकता सामने आयी. मसौढ़ी के अतिसंवेदनशील क्षेत्र भगवानगंज के वेलोना गांव में आज भी बुनियादी सुविधाओं (Lack of Development In Village) की घोर कमी है.
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मसौढ़ी प्रखंड के भगवान गंज का नक्सल प्रभावित इलाका वेलोना गांव में आजादी के 75 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है. आज भी यहां बिजली, पानी, आवास योजना, गली-नली योजना पहुंच ही नहीं पायी है. यूं कहें कि यह गांव विकास से कोसों दूर है. आजादी के बाद भी ऐसे सिस्टम के होने पर सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार विकास कहां है?
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विकास के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. हर साल मंत्री, नेता और जनप्रतिनिधि चुनाव से पहले बड़े-बड़े दावे करते हैं. लेकिन चुनाव जीतने के बाद वे गांव में नजर तक नहीं आते. कई गांव आज भी ऐसे हैं, जहां जाने के लिए सड़क तक नहीं है. वेलोना गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं की कमी से काफी परेशान हो गए है. बिजली के लिए काफी दूर से तार खींचकर लाना पड़ता है. आवास योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. कई लोगों का राशन कार्ड में अब तक नाम भी नहीं जुड़ पाया है. बता दें कि वेलोना गांव राजस्व गांव है. इसके बावजूद यहां विकास का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है.
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में नल-जल योजना अभी तक नहीं पहुंची है. गांव में सामुदायिक भवन और आंगनवाड़ी केंद्र भी नहीं है. जिससे काफी परेशानी होती है. आपको बता दें कि वेलोना गांव पटना और जहानाबाद जिला के सीमा पर बसा हुआ गांव है. यह पहले घोर नक्सल प्रभावित इलाका रहा है. ग्रामीणों ने इस बार वोट के माध्यम से चोट करके सबक सिखाने की बात कही है.
'हमारे गांव में न नल है न तो जल है. गांव में कई समस्याएं हैं लेकिन कोई भी व्यक्ति देखने तक नहीं आता है. अति पिछड़ा होने से कोई भी हमारे बच्चों का हाल तक नहीं लेने आता है. सभी लोग भूखे-प्यासे रहते हैं. लाइट की भी व्यवस्था नहीं है.' -सुमेरन रविदास, ग्रामीण