पटना: सूबे की सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर लाख दावे करती हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है. अस्पताल में भले मार्बल और संगमरमर जड़े हों लेकिन मूलभूत सुविधाओं से ये अस्पताल काफी महरूम हैं. पटना के गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में अधीक्षक नहीं हैं. अस्पताल में पानी की भी समस्या है.
गुरु गोविंद सिंह अस्पताल की स्थिति बदहाल
राज्य सरकार जिले को सभी अस्पतालों को हाईटेक बनाने की लगातार घोषणा करती है. लेकिन, आज भी कई अस्पताल ऐसे हैं जहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. जिले का सबसे बड़ा अस्पताल श्री गुरुगोविंद सिंह अस्पताल बिना अधीक्षक के राम भरोसे चल रहा है. इस अस्पताल में वार्ड से लेकर ऑपरेशन थियेटर तक पानी का सप्लाई नहीं है. दो आरओ और रेफ्रिजरेटर तो वार्ड में रखा है लेकिन वो भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.
टेक्नीशियन के अभाव में नहीं होता अल्ट्रा साउंड
अस्पताल में अल्ट्रा साउंड के लिए मशीन तो है लेकिन टेक्नीशियन नहीं होने के कारण मशीन बंद पड़ी है. ऐसे में मरीजों को अल्ट्रा साउंड कराने को लिए दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ता है. 320 कमरों के इस अस्पताल में निरीक्षण करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के कई पदाधिकारी आते हैं लेकिन किसी ने आजतक इसकी सुध नहीं ली. जबकि इस अस्पताल के सर्वे सर्वा खुद पटना के सिविल सर्जन हैं.
सिविल सर्जन ने डॉक्टरों के साथ की बैठक
सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी ने भी अस्पताल की बदहाली और कमी को माना है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने आठ महीने पहले घोषणा की थी कि एक सप्ताह में यहां अधीक्षक की नियुक्ति हो जायेगी. लेकिन आठ महीने के बाद भी नियुक्ति नहीं हो पाई है. फिलहाल मरीजों को कैसे बेहतर सुविधा मुहैया कराई जाए, इसे लेकर सिविल सर्जन ने अस्पताल के कई डॉक्टरों के साथ बैठक की. उन्होंने कहा कि बिना कोई भेद-भाव का काम करना और मरीजों को बेहतर सुविधा देना हमारी पहली प्राथमिकता है. सिविल सर्जन ने कहा कि अस्पताल में जो भी कमी है उसे जल्द दूर किया जाएगा.